सुधांशु त्रिवेदी के आरोपों पर मानहानि का दावा करने की हिम्मत करेगी कांग्रेस..? “राजीव गाँधी फाउंडेशन को भी सोरोस की संस्था से पैसे मिले थे, जिसकी ख़बरें मीडिया में पहले से है…
ऐसा लगता है कि “हाथ बदलेगा हालात” कहने वाली कांग्रेस का ‘हाथ‘ देश के हालात को बद से बदतर करना चाहता है और अगर सीधे शब्दों में कहें तो “कांग्रेस का हाथ विदेशी शक्तियों के साथ” अब बिलकुल साफ दिखाई दे रहा है।
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ऐसा क्यों होता है कि जब भी संसद का सत्र शुरू होने वाला होता है, ठीक उससे पहले विदेश से कोई न कोई मुद्दा बनाया जाता है और कांग्रेस उसी मुद्दे पर संसद को बाधित करने लग जाती है? क्या यह महज एक संयोग है या फिर व्यवस्थित रूप से भारत विरोधी प्रयोग है?
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मीडिया में विषय आया है कि फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसिफिक (FDL–AP) जिसके के प्लेटफ़ॉर्म से जिस तरह भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थित बातें कही जा रही हैं, उसमें सोनिया गाँधी जी सह-अध्यक्ष हैं और भारत विरोधी एजेंडा के सूत्रधार जॉर्ज सोरोस इसे फंड कर रहे हैं।
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भाजपा कांग्रेस और विपक्ष से स्पष्ट रूप से पूछना चाहती है कि FDL–AP से कांग्रेस के और सोनिया गाँधी जी के क्या संबंध हैं? सोनिया गांधी ने इस संस्था में सह–अध्यक्ष का पद क्यों स्वीकार किया था?
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FDL–AP के प्लेटफ़ॉर्म से जिस तरह जम्मू-कश्मीर के संबंध में भारत विरोधी और पाकिस्तान के समर्थन में बातें की जा रही हैं, क्या इसमें सह-अध्यक्ष होने के नाते सोनिया गाँधी जी की सहमति है?
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भाजपा का स्पष्ट रूप से मानना है कि जॉर्ज सोरोस और उनसे जुड़े संगठन भारत में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और यह साजिश देशद्रोह के समकक्ष है। यदि कांग्रेस का ऐसे लोगों के साथ संबंध है तो कांग्रेस यह बताए कि क्या उनका शीर्ष नेतृत्व देशद्रोहियों के साथ है?
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देशद्रोही शक्तियों के साथ कांग्रेस के लोग पदाधिकारी बने बैठे हैं। जॉर्ज सोरोस जैसे वो लोग जो एलानिया कह रहे हैं कि वो भारत में अस्थिरता लाना चाहते हैं, मोदी सरकार को हटाना चाहते हैं, उनके साथ कांग्रेस की दोस्ती का राज क्या है?
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अफसोस की बात ये है कि देश के ऊपर जो रहस्यपूर्ण प्रश्न बाहर से उठाए जा रहे हैं, कांग्रेस उनका साथ दे रही है। उनका साथ देना एक प्रकार से देशद्रोही शक्तियों के साथ हाथ मिलाने के समान है।
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विदेशी शक्तियों के साथ खड़े रहने का कांग्रेस का इतिहास रहा है। यह वही कांग्रेस है जिसने तेल के बदले कूपन लिए थे और सद्दाम हुसैन से पैसा लिया था जिसका 2005 की वोल्कर रिपोर्ट में खुलासा भी हुआ था।
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कांग्रेस पार्टी पर यह आरोप केवल भारतीय जनता पार्टी के नहीं है बल्कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व विदेश मंत्री ने खुद अपनी किताब में सोनिया गांधी को लिखे पत्र में विदेशी हस्तक्षेप को स्वीकार किया था।
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राजीव गाँधी फाउंडेशन को भी सोरोस की संस्था से पैसे मिले थे, जिसकी ख़बरें मीडिया में पहले से है।
भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज सोमवार को नई दिल्ली स्थित भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया और कांग्रेस पर संसद को बाधित करने की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए देशविरोधी ताकतों के साथ कांग्रेस के संबंधों पर कुछ सुलगते सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि कहा कि जो लोग आज भी विदेशी मदद के आधार पर भारत को अस्थिर करने का सपना देख रहे हैं, उनका मंसूबा कभी पूरा नहीं होगा।
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डॉ त्रिवेदी ने कहा कि पूरा देश यह जानता है कि संसद की कार्यवाही चल रही है, लेकिन विपक्ष की आदत है कि वे सदन की स्वाभाविक प्रक्रिया में व्यवधान डालते हैं, और उनकी यह आदत अब भी जारी है। इसके अतिरिक्त कुछ गंभीर, चिंताजनक और महत्वपूर्ण विषय भी हैं जो देश की स्थिरता और सुरक्षा से संबंधित हैं, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में उभरकर सामने आ रहे हैं। जब भी संसद की कार्यवाही चल रही होती है, तब–तब विदेश से ऐसी रिपोर्टें या घटनाएं सामने आती हैं, जो संसद की कार्यवाही को बाधित करती हैं। उदाहरण के तौर पर किसानों से संबंधित रिपोर्ट 3 फरवरी 2021 को आई थी, जबकि भारतीय संसद का सत्र 29 जनवरी 2021 को था। पेगासस रिपोर्ट 18 जुलाई 2021 को आई, जबकि संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई 2021 को था। हिंडनबर्ग रिपोर्ट 24 जनवरी 2023 को आई, जब संसद का बजट सत्र 30 जनवरी 2023 को था। बीबीसी की डाक्यूमेंट्री 17 जनवरी 2023 को आई, जबकि संसद का सत्र 30 जनवरी 2023 से शुरू हुआ था। मणिपुर का वीडियो 19 जुलाई 2023 को रिलीज हुआ, जबकि संसद का मॉनसून सत्र 20 जुलाई 2023 को शुरू हुआ। 10 मई 2024 को वैक्सीन से संबंधित रिपोर्ट आई, जबकि भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे थे। अगस्त 2024 में सेबी के अध्यक्ष के खिलाफ रिपोर्ट आई और हाल ही में 25 नवंबर से भारत का संसद सत्र शुरू होने वाला था, लेकिन 20 नवंबर को यूएस में एक रिपोर्ट जारी हो गई।
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भाजपा सांसद ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सभी उचित साक्ष्यों के साथ जनता के सामने यह सवाल रखती है कि क्या यह महज एक संयोग है या फिर एक व्यवस्थित रूप से भारत विरोधी प्रयोग है? अब उस भारत विरोधी प्रयोग की कड़ियाँ भी जुड़ती जा रही हैं। एक संस्था है, जिसका नाम है ‘फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स इन एशिया पैसिफिक’, जो एक एनजीओ है और इसकी स्थापना 1994 में हुई थी। इस संस्था के चार सह–अध्यक्ष हैं, जिनमें से एक कांग्रेस की वरिष्ठ नेता आदरणीय सोनिया गांधी भी हैं। अन्य सह-अध्यक्षों में पूर्व फ़िलीपीन्स के राष्ट्रपति कोराजोन एक्विनो, नेशनल कांग्रेस ऑफ न्यू पॉलिटिक्स के अध्यक्ष किम डेंग ज़ुम और पूर्व राष्ट्रपति ऑस्कर सांचेज़ शामिल हैं। इसके अलावा सोनिया गांधी राजीव गांधी फाउंडेशन की चेयरपर्सन के तौर पर इसमें शामिल हैं। ऐसे हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों की भागीदारी भारत के राजनीतिक और कूटनीतिक हितों के संदर्भ में इन संगठनों के संभावित प्रभाव और रणनीतिक निहितार्थों पर सवाल उठाती है।
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डॉ त्रिवेदी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बारे में मंच के बयानों से गंभीर चिंताएँ उठती हैं। यह संस्था अपने लेखों में भारत के बारे में कहती है कि यहां लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ खत्म हो रही हैं, जबकि पाकिस्तान के लिए यह कहती है कि “इस्लाम का मतलब है न्याय और न्याय का मतलब है अधिकार“, जो पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा कही गई बात को प्रदर्शित करती है। इस मंच ने इस्लामाबाद के क्षेत्रीय अध्ययन संस्थान के निदेशक, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल निशात अहमद की अंतर्दृष्टि के साथ “कश्मीर में शांति, न्याय और स्वतंत्रता की संभावनाओं” पर भी चर्चा की। वेबसाइट के अनुसार, इस मंच को वित्तीय सहायता सोरोस फाउंडेशन से मिलती है, और जॉर्ज सोरॉस वही व्यक्ति है जिन्होंने कहा है कि उन्होंने 1 अरब डॉलर मोदी सरकार को गिराने की कोशिशों में निवेश किए हैं। अब यह स्पष्ट है कि धन के प्रवाह का स्रोत कौन है, और इस पर आज तक किसी ने इतनी मुखरता से जवाब नहीं दिया था, लेकिन जॉर्ज सोरॉस ने यह कहा है। भारतीय जनता पार्टी इस पर चिंता व्यक्त करती है और इस मुद्दे को संसद में उठाने के प्रयास कर रही है, जिसके तहत भाजपा के राज्यसभा सांसद एवं मुख्य सचेतक श्री लक्ष्मीकांत बाजपेयी, श्रीमती कविता पाटीदार और कई अन्य भाजपा सांसदों के अतिरिक्त जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा और तमिलनाडु में भाजपा के सहयोगी श्री जीके वासन ने भी संसद में चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस भी दिया था, लेकिन विपक्ष इस पर ईमानदारी से चर्चा करने से बचने का प्रयास कर रहा है। आज सोनिया गांधी का जन्मदिन है, उन्हें अपने सांसदों से गतिरोध खत्म करने और इस अहम मुद्दे पर चर्चा होने देने का आग्रह करना चाहिए।
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वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी विपक्ष और कांग्रेस से स्पष्ट रूप से पूछना चाहती है कि FDL–AP से कांग्रेस के और सोनिया गाँधी जी के क्या संबंध हैं? FDL–AP के प्लेटफ़ॉर्म से जिस तरह भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थित बातें कही जा रही हैं, क्या वो कांग्रेस की सहमति से हो रही हैं? FDL–AP को सोरोस फाउंडेशन से फंडिंग हो रही है और जॉर्ज सोरोस के भारत विरोधी एजेंडे से पूरी दुनिया परिचित है। अभी कुछ दिन पहले ही जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित एक और संस्था OCCRP और कांग्रेस के लिंक सामने आया है। यह भी सामने आया है कि किस तरह यह संस्था भी भारत विरोधी एजेंडे को फैलाने में लिप्त है। सोरोस द्वारा फंडेड एक और संस्था ओपन सोसायटी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष सलिल शेट्टी राहुल गाँधी की तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गाँधी के साथ घूमते हैं। जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति हैं जिन्होंने खुलेआम भारत को अस्थिर करने और श्री नरेन्द्र मोदी सरकार को हटाने के लिए एक मीलियन डॉलर का फंड देने का ऐलान किया था।
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा का स्पष्ट रूप से मानना है कि जॉर्ज सोरोस और उनसे जुड़े संगठन भारत में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और यह साजिश देशद्रोह के समकक्ष है। यदि कांग्रेस का ऐसे लोगों के साथ संबंध है तो कांग्रेस यह बताए कि क्या उनका शीर्ष नेतृत्व देशद्रोहियों के साथ है? देशद्रोही शक्तियों के साथ कांग्रेस के लोग पदाधिकारी बने बैठे हैं। वो लोग जो एलानिया कह रहे हैं कि वो भारत में अस्थिरता लाना चाहते हैं उनके साथ कांग्रेस की दोस्ती क्या है? सोनिया गांधी जी की इसमें क्या भूमिका है क्योंकि वो राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं। इसलिए यह इंडी गठबंधन से अधिक कांग्रेस का मुद्दा है। राजीव गांधी फाउंडेशन वह संस्था है जिसमें कांग्रेस के प्रथम परिवार के सभी लोग रहे हैं, इसलिए भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे को और गंभीरता से उठा रही है लेकिन अफसोस की बात ये है कि देश के ऊपर जो रहस्यपूर्ण प्रश्न बाहर से उठाए जा रहे हैं, कांग्रेस उनका साथ दे रही है। उनका साथ देना एक प्रकार से देशद्रोही शक्तियों के साथ मिलकर देशद्रोह करने के समान है।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि विदेशी शक्तियों के साथ खड़े होने का कांग्रेस का इतिहास रहा है। यह वही कांग्रेस पार्टी है जिसने तेल के बदले कूपन लिए थे और सद्दाम हुसैन से पैसा लिया था जिसका 2005 की वोल्कर रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत से जो अनाज भेजा गया उसके बदले में जो तेल के कूपन आए, वो भारत सरकार के नाम से नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी के नाम से जारी किए गए थे। जिसके कारण तत्कालीन विदेश मंत्री नटवर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था। अपनी किताब ‘वन लाइफ इज नॉट इनफ’ में नटवर सिंह ने लिखा है कि 11 जुलाई, 2006 को उन्होंने सोनिया गांधी से बात की थी, जिसमें यूपीए सरकार के विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने विदेशी हस्तक्षेप को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि ‘अलग–अलग स्रोतों से यह जानकारी मिली है कि अमेरिकी एजेंसियां हमारी खुफिया एजेंसियों में घुसपैठ कर रही हैं और यह घुसपैठ हमारे अपने कुछ लोगों की मदद से की जा रही है, जिनके रिश्तेदार अमेरिका में अच्छी तनख्वाह वाली नौकरियां कर रहे हैं।’ कांग्रेस पार्टी पर यह आरोप केवल भारतीय जनता पार्टी के नहीं है बल्कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व विदेश मंत्री ने खुद अपनी किताब में सोनिया गांधी को लिखे पत्र में विदेशी हस्तक्षेप को स्वीकार किया था। इस पर क्या कार्रवाई हुई थी? इसका मतलब साफ है कि कांग्रेस का ‘हाथ‘ देश के हालात को बद से बदतर करना चाहता है और अगर सीधे शब्दों में कहें तो “कांग्रेस का हाथ विदेशी शक्तियों के साथ” अब बिलकुल साफ दिखाई दे रहा है। इससे पहले फ्रांस से जो मीडिया रिपोर्ट आई थी, उसमें पहले ही यह बताया जा चुका था कि कांग्रेस की संलिप्तता और सम्बद्धता साफ है, और आज सर्वोच्च स्तर पर यह दिखाई भी पड़ा है।
भाजपा प्रवक्ता ने इंडी गठबंधन से प्रश्न किया कि क्या इंडी गठबंधन, कांग्रेस की इस विदेशी संबंध की गुथ्थी में साझेदार है या नहीं? सोनिया गांधी बताएं कि एशिया पैसिफिक में लोकतांत्रिक नेताओं के लिए जो फोरम है, जिसे जॉर्ज सोरोस ने फंड किया है, उसमें सोनिया गांधी ने सह–अध्यक्ष का पद क्यों स्वीकार किया था? और इसकी गतिविधियों के बारे में सोनिया गांधी ने देश को कोई जानकारी क्यों नहीं दी? डॉक्टर त्रिवेदी ने देश को आश्वस्त करते हुए कहा कि यदि कुछ लोगों को यह गलत फहमी है कि विदेश की छांव लेकर वो भारत को अस्थिर करने का प्रयास करेंगे, तो श्री आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी और एनडीए सरकार पूरी तरह से भारत के हितों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है। जो लोग अभी भी विदेशी मदद के आधार पर भारत में बदलाव का सपना देख रहे हैं, उनका सपना कभी भी पूरा नहीं होगा। ‘अपने वतन पर सदियों तक है रही हुकूमत गैरों की, लेकिन कुछ चेहरों पर अबतक धूल है उनके पैरों की’।
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