तकनीकी वस्त्र भारत की आर्थिक रीढ़ बनेंगे: श्री गिरिराज सिंह

  • प्रधानमंत्री ने महिलाओं के नेतृत्व वाली अर्थव्यवस्था की परिकल्पना की है और हथकरघा तथा हस्तशिल्प क्षेत्र में महिलाएं बहुत बड़ा योगदान कर सकती हैं: श्री गिरिराज सिंह
  • केंद्रीय मंत्री ने भारत मंडपम में भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) में वस्त्र मंडप का उद्घाटन किया
  • भारत बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहा है, इसलिए इस कार्यक्रम की थीम ‘जनजातीय’ समुदाय से प्रेरित है: श्री गिरिराज सिंह
  • वस्त्र मंडप में विशेष हथकरघा और हस्तशिल्प प्रदर्शनी सह बिक्री की पेशकश की गई
  • हथकरघा और हस्तशिल्प विकास आयुक्त, वस्त्र मंत्रालय के कार्यालय ने वस्त्र मंडप को को क्यूरेट किया

      केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) में विशेष हथकरघा और हस्तशिल्प प्रदर्शनी सह बिक्री के अंतर्गत वस्त्र मंडप का उद्घाटन किया। इस अवसर पर वस्त्र राज्य मंत्री श्री पाबित्रा मार्गेरिटा भी मौजूद थे। श्री गिरिराज सिंह और श्री पाबित्रा मार्गेरिटा ने मंडप में विभिन्न स्टालों का दौरा किया और हथकरघा बुनकरों तथा कारीगरों से बातचीत की। 43वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) में केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने वस्त्र उद्योग में कार्बन फाइबर के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत तकनीकी वस्त्रों के प्रवर्धन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने बताया कि तकनीकी वस्त्रों में 12 प्रकार या सेक्टर हैं। श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए 1500 करोड़ रुपये दिए हैं और हमारा देश तकनीकी वस्त्रों के निर्यात पर पहले से अधिक ध्यान दे रहा है। उन्होंने कहा कि तकनीकी वस्त्र भारत की अर्थव्यवस्था का रीढ़ बनेंगे। उन्होंने बताया कि भारत भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहा है, इसलिए इस कार्यक्रम का विषय ‘जनजातीय’ समुदाय से प्रेरित है।

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श्री गिरिराज सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार बुनकरों और उनके परिवारों को बेहतर आय के अवसरों के लिए वस्त्र मूल्य श्रृंखला में सुधार करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा हथकरघा समुदाय रहता है जो निरंतरता और ऊर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित करता है। दुनिया टिकाऊ उत्पादों के उपयोग की ओर बढ़ रही है और हथकरघा उद्योग शून्य-कार्बन उत्सर्जन करता है तथा इसमें किसी भी प्रकार की ऊर्जा की खपत नहीं होती है।

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वस्त्र राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा ने हथकरघा और हस्तशिल्प प्रदर्शनी का दौरा करते हुए कारीगरों को जोड़े रखने के लिए उत्पादन को बढ़ावा देने और उनकी आय बढ़ाने के लिए हथकरघा और हस्तशिल्प को मजबूत करने पर जोर दिया है। उन्होंने आधुनिक बाजार की जरूरतों के अनुकूल ढलते हुए भारत की समृद्ध शिल्प विरासत को संरक्षित करने के महत्व पर भी जोर दिया। उद्घाटन समारोह में वस्त्र सचिव श्रीमती रचना शाह, हथकरघा विकास आयुक्त श्रीमती अमृत राज और वस्त्र मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

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भारत मंडपम में विशेष हथकरघा एवं हस्तशिल्प प्रदर्शनी के आकर्षण नीचे दिए गए हैं:

  

206 स्टॉल (हथकरघा और हस्तशिल्प का कुल 27 राज्य शामिल हैं)

100 हथकरघा (22 राज्य शामिल हैं)

100 हस्तशिल्प (27 राज्य शामिल हैं)

थीम मंडप के लिए 06 (थीम – भारतीय वस्त्रों की आदिवासी बहुतायत)

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08 लाइव हथकरघा, कला/शिल्प प्रदर्शन [कनी शॉल (जम्मू एवं कश्मीर), तंगालिया/कुच्छी शॉल (गुजरात), कुल्लू/किन्नौरी शॉल (हिमाचल प्रदेश), लोईन लूम (मणिपुर और नगालैंड), सींग और हड्डी शिल्प (उत्तर प्रदेश), भागलपुरी सिल्क (बिहार), बाग प्रिंट (ओडिशा)]

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हथकरघा बुनकरों के साथ खुदरा विक्रेताओं/ब्रांडों आदि के बी2बी बातचीत सत्र।

डॉ. रजनी द्वारा जीआई टैग लगे हथकरघा और हस्तशिल्प पर कार्यशाला,

प्रत्यूष कुमार द्वारा निरंतरता / परिपत्रता / पुनर्चक्रण / अपसाइक्लिंग पर टॉक शो।

प्रधानमंत्री ने मन की बात (112वीं कड़ी) के दौरान सराहना करते हुए कहा कि हथकरघा कारीगरों का काम देश के कोने-कोने में फैला हुआ है और जिस तरह से हथकरघा उत्पाद लोगों को पसंद आए, वह बहुत सफल है, जबरदस्त है। उन्होंने स्थानीय उत्पादों के साथ फोटो सोशल मीडिया पर हैशटैग ‘#मायप्रोडक्टमायप्राइड’ के साथ अपलोड करने का आग्रह भी किया।

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हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। भारत का हथकरघा क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख लोगों को रोजगार देता है, जो इस मामले में देश भर में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है। हथकरघा बुनाई और हस्तशिल्प की कला में पारंपरिक मूल्य जुड़े हुए हैं और प्रत्येक क्षेत्र में उत्तम विविधताएं हैं।

बनारसी, जामदानी, बालूचरी, मधुबनी, कोसा, इक्कत, पटोला, तसर सिल्क, माहेश्वरी, मोइरांग फी, फुलकारी, लहरिया, खंडुआ, तंगलिया, मधुबनी पेंटिंग, वार्ली पेंटिंग, आर्ट मेटल वेयर, कठपुतली, हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग, चिकनकारी, टाई एंड डाई, वॉल हैंगिंग, टेराकोटा, इमिटेशन ज्वेलरी आदि कुछ ऐसे नाम हैं जो विशिष्ट बुनाई, डिजाइन और पारंपरिक रूपांकनों के साथ दुनिया भर में ग्राहकों को आकर्षित करते हैं।

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भारत सरकार ने हथकरघा और हस्तशिल्प के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, ताकि उत्पादों की विशिष्टता को उजागर करने के अलावा, उत्पादों को प्रोत्साहित करने और उन्हें एक अलग पहचान देने के लिए जीरो डिफेक्ट एंड पर्यावरण पर जीरो इफेक्ट वाले उच्च गुणवत्ता युक्त उत्पादों की ब्रांडिंग की जा सके। यह खरीदार के लिए एक गारंटी भी है कि खरीदा जा रहा उत्पाद वास्तव में हस्तनिर्मित है। प्रदर्शनी में सभी कारीगरों को अपने उत्कृष्ट उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है और इस प्रकार उनके उत्पादों के लिए बेहतर बाजार बनाने और हथकरघा तथा हस्तशिल्प समुदाय की आय में सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है।

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“विशेष हथकरघा एवं हस्तशिल्प प्रदर्शनी सह बिक्री” वस्त्र मंत्रालय के हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास आयुक्त कार्यालय की एक पहल है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम (एनएचडीसी) लिमिटेड के माध्यम से हथकरघा बुनकरों और कारीगरों को अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं को बेचने के लिए मौका प्रदान करना है। यह प्रदर्शनी बुनकरों और उपभोक्ताओं के बीच संपर्क साधने में सक्षम बनाती है।

इस प्रदर्शनी में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से लाए गए हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पाद रखे गए हैं और बिक्री के लिए भी उपलब्ध हैं। इनमें भागलपुरी सिल्क, मिथिला पेंटिंग, आदिवासी आभूषण, कढ़ाई एवं क्रोशिया से कढ़ाई किए गए (क्रोकेटेड) सामान, लाख की चूड़ियां,  जूट शिल्प, मधुबनी पेंटिंग, हाथ ब्लॉक प्रिंट, वेंकटगिरी साड़ी, कानी शॉल, बनारसी साड़ी एवं ओढ़नी, कोसा, चंदेरी, बस्तर लौह एवं हाथ की कढ़ाई के आदिवासी सामान, लकड़ी की नक्काशी, कच्छ बंधनी, सोज़नी शिल्प, मंगलगिरी, मेखला चादोर, मोइरांग फी, इकत, बोमकाई साड़ी, बाघ प्रिंट, मिट्टी के बर्तन और मिट्टी की वस्तुएं, चमड़ा (बैग और सहायक उपकरण), कौना, जनजातीय हाथ कढ़ाई, कला धातु के बर्तन, पट्टचित्र, कोटपैड, अरणी, फुलकारी, पोचमपल्ली रेशम, जामदानी, गडवाल, बेंत और बांस, धनियाखली, तंगेल सूट, कांथा काम, ऑक्सीकृत आभूषण आदि शामिल हैं।

वस्त्र मंडप हॉल नंबर 05, भूतल, भारत मंडपम में है और प्रदर्शनी सुबह 10 बजे से शाम 07.30 बजे तक जनता के लिए खुली रहेगी। भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला (आईआईटीएफ) 14 से 27 नवंबर 2024 तक चलेगा।

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