सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में नए उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देने और उनकी सुगमता के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं

  • भारत सरकार एनआईसीडीपी के हिस्से के रूप में विभिन्न औद्योगिक गलियारा परियोजनाएं विकसित कर रही है जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विनिर्माण और निवेश केंद्रों को टक्कर दे सकती हैं

भारत सरकार उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) और अन्य केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के जरिए, उचित नीतियां लागू करके देश के समग्र औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने वाला एक सक्षम परितंत्र प्रदान करती है। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की चल रही योजनाओं जैसे मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, पीएम गति शक्ति, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी), राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, व्यापार करने में आसानी (ईओडीबी) को बढ़ावा देना और अनुपालन बोझ को कम करना, राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस), भारत औद्योगिक भूमि बैंक, परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति का उदारीकरण, भारतीय फुटवियर और चमड़ा विकास कार्यक्रम (आईएफएलडीपी) योजना आदि के अलावा, सरकार ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में नए उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा देने और उनकी सुगमता के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।  भारत सरकार के सभी संबंधित मंत्रालयों/विभागों में परियोजना विकास प्रकोष्ठों (पीडीसी) के रूप में निवेश में तेजी लाने के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया गया है।

भारत सरकार राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (एनआईसीडीपी) के तहत विभिन्न औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं का विकास कर रही है, जिसका उद्देश्य भारत में ग्रीनफील्ड औद्योगिक विस्तार/क्षेत्रों/केंद्रों का विकास करना है, जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विनिर्माण और निवेश केंद्रों को टक्कर दे सकें। महाराष्ट्र में एनआईसीडीपी के तहत, शेंद्रा-बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र (एसबीआईए) और दिघी पोर्ट औद्योगिक क्षेत्र (डीपीआईए) का विकास किया जा रहा है। दोनों परियोजनाओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

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  1. शेंद्रा-बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र (एसबीआईए): दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआईसी) के हिस्से के रूप में 4,584 एकड़ में चरण 1 को पिछड़े जिले औरंगाबाद में विकसित किया गया है। महाराष्ट्र औद्योगिक टाउनशिप लिमिटेड (एमआईटीएल) नाम से एसपीवी को शामिल किया गया है। प्रमुख ट्रंक इंफ्रास्ट्रक्चर कार्य पूरे हो चुके हैं। 294 निवेशकों/कंपनियों को 2,620 एकड़ में फैली विकसित भूमि आवंटित की गई है, जिसमें एंकर निवेशक यानी दक्षिण कोरियाई कंपनी ह्योसुंग को 100 एकड़ का आवंटन भी शामिल है। प्रधानमंत्री ने 7 सितंबर 2019 को शेंद्रा औद्योगिक क्षेत्र और 29 सितंबर 2024 को बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र को राष्ट्र को समर्पित किया है।
  2. दिघी पोर्ट औद्योगिक क्षेत्र: भारत सरकार ने अगस्त, 2024 में एनआईसीडीआईटी ढांचे के तहत महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में 6,056 एकड़ भूमि को विकसित करने की मंजूरी दी है जिसकी कुल परियोजना लागत 5,468 करोड़ रुपये हैं। इस परियोजना से लगभग 1 लाख रोजगार क्षमता (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) उत्पन्न होने और लगभग 12,000 करोड़ रुपये का निवेश आने की संभावना है।

 

एनआईसीडीपी के तहत, ईडीएफसी (पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारा) के आधार पर अमृतसर कोलकाता औद्योगिक गलियारे (एकेआईसी) की अवधारणा की गई है और  यूपी सरकार की ओर से प्रस्तावित 2 परियोजनाओं- आईएमसी आगरा और आईएमसी प्रयागराज पर अगस्त 2024 में भारत सरकार ने विचार किया और उन्हें मंजूरी दी। एकेआईसी के हिस्से के रूप में, शाहजहांपुर प्रभाव क्षेत्र में आता है और वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा कोई औद्योगिक स्मार्ट शहर प्रस्तावित नहीं है।

पिछले तीन वर्षों में एनआईसीडीआईटी द्वारा एमआईटीएल (शेंद्रा-बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र में एसपीवी) को कोई धनराशि जारी नहीं की गई है। हालांकि, एसबीआईए परियोजना के ट्रंक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए एनआईसीडीआईटी द्वारा (3 दिसंबर, 2024 तक) एमआईटीएल को इक्विटी के रूप में जारी की गई कुल धनराशि 3000 करोड़ रुपये है।

सरकार ने 31.03.2026 तक 1700.00 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ केंद्रीय क्षेत्र की योजना “भारतीय फुटवियर और चमड़ा विकास कार्यक्रम (आईएफएलडीपी)” को भी मंजूरी दी है। आईएफएलडीपी के तहत, महाराष्ट्र को नीचे दिए गए विवरण के अनुसार सहायता प्रदान की गई है: –

  1. चमड़ा व्यावसायिक क्षेत्र एकीकृत विकास (आईडीएलएस) उप-योजना: महाराष्ट्र में 01 इकाई के प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से 2024-25 के दौरान 5.75 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं।
  2. मेगा लेदर फुटवियर और एक्सेसरीज क्लस्टर डेवलपमेंट (एमएलएफएसीडी): डीपीआईआईटी ने महाराष्ट्र के रतवाड़ गांव में मेगा लेदर फुटवियर और एक्सेसरीज क्लस्टर डेवलपमेंट को विकसित करने की मंजूरी दी है, जिसकी कुल परियोजना लागत 256.42 करोड़ रुपये है। इसमें भारत सरकार की 125.00 करोड़ रुपये की सहायता शामिल है।

 

इसके अलावा, भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख के औद्योगिक विकास के लिए निम्नलिखित केंद्र की योजनाओं को मंजूरी दी है:

  1. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए 15.06.2017 से 31.03.2021 तक औद्योगिक विकास योजना (आईडीएस), 2017। अब तक इस योजना के तहत प्रोत्साहन के रूप में 93.09 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
  2. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए 01.04.2017 से 31.03.2022 तक औद्योगिक विकास योजना (आईडीएस), 2017। अब तक इस योजना के तहत प्रोत्साहन के रूप में 642.63 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
  3. जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक विकास के लिए 01.04.2021 से 31.03.2037 तक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना (एनसीएसएस)। अब तक इस योजना के तहत प्रोत्साहन के रूप में 299.10 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।

 

यह जानकारी वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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