बालको चिमनी दुर्घटना : एयर पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया.. ! CSEB प्रबंधन कितना दोषी..!! यक्ष प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाएंगे…? न्यायालय के शीघ्र आने वाले निर्णय पर टिकी हैं वैश्विक परिदृश्य में औद्योगिक घरानों, यूनियनों व विभिन्न संगठनों की निगाहें
कोरबा। बालको चिमनी दुर्घटना के लगभग 14 वर्ष बीतने के बाद साक्ष्य लगभग अंतिम चरण में है, सो अब इस पर शीघ्र ही न्यायालय का निर्णय आने की संभावनाएं बढ़ गई है। 23 सितंबर 2009 को हुई दुर्घटना में मजदूरों की दर्दनाक हृदय विदारक मृत्यु की गूंज वैश्विक परिदृश्य में सुनी गई थी। सरकारी आंकड़ों में दुर्घटना में 40 मजदूरों की मौत होना बताया गया। घटना के बाद चारों तरफ मलबा व खून से लथपथ लाशें पड़ी हुई थीं। मलबा हटाने और लाशें निकालने के लिए रेसक्यू ऑपरेशन दस दिन से ज्यादा चला।
बालको पुलिस थाने में अपराध क्रमांक 377/09 में प्राथमिकी दर्ज किया गया। धारा 304, 324, 326, 34 के तहत सेशन कोर्ट में प्रकरण की सुनवाई लगभग अंतिम चरण में है।
कानून के जानकारों का मानना है कि बालको चिमनी दुर्घटना की जांच के लिए आयोग बना, कई स्तरों पर जांच की गई लेकिन निर्माण कार्य के लिए अनुमति देने वाले जो जिम्मेदार विभाग हैं, उनसे पूछताछ की गई होती तो संभवतः प्रकरण की दिशा कुछ और होती। ऐसा नहीं होने के कारण संभवतः अभियोजन पक्ष कमजोर सिद्ध हो सकता है।
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बालको की निर्माणाधीन चिमनी के निर्माण के संबंध में प्रबंधन द्वारा विधिवत अनुमति क्या वन विभाग, उपसंचालक टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, नगर पालिक निगम प्रशासन से क्या नहीं ली गई थी…?
झोपड़ी या दो कमरे का छोटा सा घर तैयार करने वाले भी इन विभागों से अनुमति विधिवत लेते हैं और अनुमति नहीं लिए जाने की स्थिति में इन विभागों से नोटिस जारी कर कार्यवाही करने में कोई चूक नहीं की जाती। ऐसे में यक्ष प्रश्न तो यही उठता है कि बालको की चिमनी निर्माण के संबंध में तत्कालीन समय में इन विभागों के द्वारा प्रभावी ढंग से कार्यवाही क्यों नहीं की गई थी..? अगर कार्यवाही की गई होती तो संभवतः इतने लोगों की अकाल मृत्यु नहीं हुई होती..!
बालको के पॉवर प्लांट की चिमनी के पास ही लगभग कुछ सौ मीटर की दूरी पर ही हवाई पट्टी (एयर स्ट्रीप) है जहां देश-दुनिया के अतिविशिष्ट लोगों का आगमन लगातार बना रहता है।
इस हवाई पट्टी से मात्र कुछ सौ मीटर की ही दूरी पर बालको की चिमनी का निर्माण किया गया है।
सूत्रों का मानना है कि प्रश्न यहां पर यह भी उठता है कि बिलासपुर में हवाई सेवा के विस्तार के लिए आंदोलन लंबे समय तक चला और सूत्रों के अनुसार एयर पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को बिलासपुर में विस्तार के लिए अनुमति देने में आपत्ति इस बात को लेकर थी कि पास में ही NTPC सीपत के पॉवर प्लांट की चिमनी है।
NTPC सीपत के पॉवर प्लांट की चिमनी बिलासपुर एयर पोर्ट से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है, अगर इस पर एयर पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को आपत्ति रही हो तो रूमगड़ा हवाई पट्टी से बालको के पॉवर प्लांट की चिमनी की दूरी कितनी है, इस पर एयर पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को जानकारी क्या दी गई थी…?
क्या एयर पोर्ट और एयर स्ट्रीप के समीप निर्माण कार्यों के लिए नियम एक ही हैं या अलग अलग हैं?
अगर बालको के द्वारा पॉवर प्लांट के चिमनी निर्माण की जानकारी एयर पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को दी गई थी तो क्या अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया गया था..?
सूत्रों के अनुसार रूमगड़ा एयर स्ट्रीप का स्वामित्व CSEB के पास है, तो CSEB प्रबंधन ने क्या इस संबंध में एयर पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सूचना दी थी..?
इसके साथ ही और भी कई यक्ष प्रश्न हैं जो संभवतः अनुत्तरित ही रह जाएंगे।
भविष्य में भी इसी प्रकार की अन्य हो सकने वाली दुर्घटनाओं पर नियंत्रण तभी किया जा सकता है जब इस तरह के प्रश्नों के उत्तर सामने हो। अन्यथा दुर्घटनाएं आगे भी होती रहेंगी और दो जून की रोटी के लिए परिवार के सहारा बने मजदूर असमय मौत के मुंह में समाते रहेंगे..माताओं की कोख उजड़ती रहेगी, पत्नियां विधवाएं होती रहेंगी, बच्चे अनाथ होते रहेंगे, बहनों के आशीर्वाद का छत विक्षत होता रहेगा…इन भीषण दुर्घटनाओं में बच गए मजदूर अपंग होकर शापित जीवन विवशतावश गुजारते रहेंगे।