सर्वेश तिवारी श्रीमुख : पंचायत.. चालाक प्रधान कभी बनराकस को उत्तर नहीं देता। वह देखता है, मुस्कुराता है, और…

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पंचायत के चौथे सीजन में प्रधान जी चुनाव हार गए हैं। यदि आप विजयी बनराकस से प्रधान जी की तुलना करें तो बनराकस प्रधान जी के आगे कहीं नहीं ठहरता। न धन में, न पहुँच में, न ही कर्मठता में… फिर भी प्रधान जी हार गए। क्यों?

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दरअसल प्रधान जी की हार उसी दिन तय हो गयी थी, जिसदिन उनके लोगों (सचिव जी और विकास) ने बनराकस की बीबी का फेंका हुआ चप्पल वापस उसके घर में फेंक कर लौटाया और फिर प्रधान मंजू देवी ने क्रांति देवी के साथ झोंटाझोटी किया था। प्रधान चौकड़ी जब से बनराकस की बकलोली को भाव देने लगी, उसका कद बढ़ने लगा। वह बकलोली कर ही रहा था कि प्रधान उससे उलझें और उसका काम बने।


देखिये! हर प्रधान के जीवन में कोई न कोई बनराकस आता रहता है। बनराकस का कार्य ही है प्रधान पर उल्टा पुल्टा आरोप लगाना। उनके समस्त योगदान को खारिज करना और उनमें दिन भर कमियां ढूंढते रहना। बनराकस चुकी विरोध का चेहरा है, इसलिए उसमें ग्लैमर है। उसके साथ लोग भी होते हैं। वे बनराकस की पीठ थपथपायेंगे, उसे मजबूत भी करेंगे…
पर भाई साहब! ऐसे में हर प्रधान जी का एक ही तरीका होना चाहिये कि वे चुप्पी साधें। मुस्कुराते हुए बगल से निकल जाएं। बनराकस चीखेगा, चिल्लायेगा, नए नए आरोप गढ़ेगा, लेकिन कोई उत्तर नहीं देना है। यदि उन्होंने गलती से भी बनराकस का उत्तर दिया, समझिये कि फँस गए। बनराकस के पास सवालों की झड़ी होगी। प्रधान जी एक का उत्तर देंगे, वह सौ नए प्रश्न लेकर आएगा। उसके सारे प्रश्नों का उत्तर दिया ही नहीं जा सकता…
प्रधान के पास खोने के लिए उनकी सत्ता है, बनराकस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं। उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा। वह कुछ भी कह सकता है, कुछ भी कर सकता है। लेकिन प्रधान की मजबूरी होती है। उसे एक सीमा में रहना होता है, वह लिमिट क्रॉस नहीं कर सकता…
बनराकस की एक मजबूती और होती है, हर पराजित, असफल नेता उसी के साथ खड़ा होता है। किसी भी क्षेत्र में लगातार असफल हो रहे लोग कभी किसी सफल व्यक्ति का समर्थन नहीं करते, वे सदैव उन्हें भला बुरा कहते हैं और उनके विरोधियों को बल देते हैं। फकौली विधायक इसी कारण बनराकस के साथ उतनी मजबूती से खड़े हुए हैं, वरना पंचायत चुनाव में किसी विधायक का इतना इंट्रेस्ट नहीं होता कि वह छापा डलवाये, वोट मांगे और रिजल्ट के दिन डांस करे…
बनराकस केवल फुलेरा में नहीं है, वह देश के हर गाँव, हर मुहल्ले, हर राज्य में है। आप नजर दौड़ाइये, आप पाएंगे कि चालाक प्रधान कभी बनराकस को उत्तर नहीं देता। वह देखता है, मुस्कुराता है, और आगे बढ़ जाता है…
सुनिये! यदि आप प्रधान हैं और कोई बनराकस आपके पीछे पड़ा है, तो उसका उत्तर मत दीजिये। कोई पूछे तो कहिये, अरे भूषण जी तो मेरे दोस्त हैं, बड़े भाई हैं। बनराकस इसी से हारता है।
बोलिये प्रेम से, जय फकौली जय फुलेरा, जय भारत…

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