परख सक्सेना : शिवराज सिंह चौहान.. “शिव ही सुंदर है” के मायने क्या हैं ?

अगला बीजेपी अध्यक्ष वही चाहिए जो रेंग रही कांग्रेस को पूरी तरह नष्ट कर सके। दिल्ली मे नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद यदि किसी को इसका व्यापक अनुभव है तो वो शिवराज ही है।

 

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मध्यप्रदेश मे 2003 मे आखिरी बार कांग्रेस देखी गयी थी, उमा भारती के नेतृत्व मे बीजेपी ने 173 सीटें जीती थी। तिरंगा विवाद के चलते उमा भारती को एक साल के अंदर कुर्सी गवानी पड़ी।

 

उमा भारती के बाद बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री बने लेकिन एक साल मे उनकी भूमिका का भी समापन आया, उमा भारती जेल से लौट चुकी थी। 2005 आ गया था, वाजपेयी युग समाप्त हो गया और आडवाणी तथा प्रमोद महाजन अपना कुनबा जोड़ने मे लग गए।

उमा के तीखे तेवर दोनों को रास नहीं आये, भीतरी गुटबाजी इतनी बढ़ गयी कि 2005 के दशहरे पर उमा ने विधायकों को अपने घर बुलाया, कुल 98 विधायक आये। यदि उमा उस दिन बगावत कर देती तो सूबे मे बीजेपी गिर जाती।

उमा की बगावत सिर पर थी और बाबूलाल गौर से भी बीजेपी संतुष्ट तो नहीं थी, ऐसे मे याद आये दिल्ली मे बैठे सांसद शिवराज सिंह चौहान जो पगयात्रा के लिये प्रसिद्ध थे।

शिवराज को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने अख़बार मे एक लेख लिखा जिसकी अंतिम पंक्ति थी “शिव ही सुंदर है”। शिवराज भोपाल आये तो विधानसभा मे विधायको ने मेज थपथपानी शुरू कर दीं।

पटवा ने बिना देर किये फिर एक लेख लिखा और अंत मे पंक्ति थी “चुके मत चौहान”।

बीजेपी इशारे समझ रही थी। 2005 के अंत मे शिवराज मुख्यमंत्री बनाये गए। लेकिन ट्विस्ट ये है कि शिवराज ने मुख्यमंत्री बनने से पहले अपने पासे फेकने शुरू कर दिये थे।

सांसद होने के बावजूद राज्य मे दिलचस्पी दिखाते, प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव लड़ा ये जानते हुए कि पराजय निश्चित है, दिल्ली मे रहकर आडवाणी और महाजन से करीबी बढ़ाते रहे और विधायको के काम निजी रूचि लेकर करवाते।

2005 का अंत हो चुका था, 2008 मे फिर चुनाव थे राज्य की हालत खस्ता थी, दिग्विजय के काले युग से जनता उभरी नहीं थी, विकास शून्य पर ही था और बीजेपी की कलह जनता की यादो मे ताज़ा थी।

ज्यादातर लोगो ने यही कहा कि शिवराज बलि का बकरा बनेंगे मगर शिवराज ने सत्ता तंत्र का बेहतरीन प्रयोग किया और अपने पक्ष मे हवा बनाई। चंबल से डाकुओ का सफाया हुआ, भू माफियाओ के एनकाउंटर करवाए।

इन दो मुद्दों पर 2008 का चुनाव बीजेपी जीत गयी हालांकि विधायकों की संख्या 173 से 143 हो गयी। शिवराज ने इसके बाद सड़को पर काम किया और पीथमपुर तथा मंडीदीप जैसे औद्योगिक नगरो को जीवंत किया।

2013 मे बीजेपी फिर अपने 2003 वाले मुकाम पर आ गयी, शिवराज मीडिया प्रबंधन के चैंपियन है। मध्यप्रदेश मे सरकार विरोधी खबरें आज भी छन कर ही बाहर आती है, 2013 के बाद शिवराज की स्थिति कमजोर हुई मगर उन्होंने बीजेपी को कमजोर नहीं होने दिया।

2018 मे बहुमत से जरूर चुके लेकिन करवट बदलना हुआ और दोबारा मुख्यमंत्री बन गए।

2023 मे बीजेपी का फिर 160 पार होना और 2024 मे 29/29 होना शिवराज के नेतृत्व का ही कमाल था। मध्यप्रदेश मे कांग्रेस को खत्म करने वाले शिवराज ही है।

गुजरात मे नरेंद्र मोदी और मध्यप्रदेश मे शिवराज ने ना सिर्फ विकास बल्कि राजनीतिक प्रबंधन से कांग्रेस को समाप्त किया। मोदीजी अध्यक्ष नहीं बनेंगे, शिवराज अब क़ृषि मंत्री है। मुख्यमंत्री से ज्यादा कार्यभार है, अध्यक्ष बन गए तो और बढ़ जाएगा।

हालांकि योग्यता के आधार पर देखा जाए तो इस समय बीजेपी अध्यक्ष के लिये शिवराज से बड़ा कोई उम्मीदवार नहीं। यदि अध्यक्ष बने तो कांग्रेस बचे खुचे राज्यों मे समाप्त हो जायेगी इसकी गारंटी पक्की है।

✍️परख सक्सेना
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