सुरेंद्र किशोर : अल्पसंख्यक वोट के लिए कितना नीचे गिरोगे ?सी.ए.ए.के विरुद्ध अफवाह और अब मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण पर सफेद झूठ ! ?
अल्पसंख्यक वोट के लिए कितना नीचे गिरोगे ?
———————
पहले 2019-20 के सी.ए.ए.के विरुद्ध अफवाह और अब
मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण पर सफेद झूठ ! ?
——————————-
कुछ तथाकथित सेक्युलर नेताओं ने सन 2019-20 में दिल्ली के शाहीनबाग धरना स्थल पर जाकर इस अफवाह को पूरा बल पहुंचाया कि सी.ए.ए. लागू होने से मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी।
इस अफवाह के कारण जगह-जगह दंगे हुए जिनमें 69 लोग मारे गये थे।
क्या वैसे अफवाहबाजों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा नहीं चलना चाहिए ?उन सब नेताओं के नाम अखबारों में छपे ही थे।
नहीं चला,इसलिए अब वही तत्व यह अफवाह फैला रहे हैं कि मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान सभी मतदाताओं को अपने मात-पिता का जन्म प्रमाण पत्र दिखाना पड़ेगा।
यदि इस अफवाह को लेकर एक बार फिर दंगे होते हैं तो क्या यह झूठ फैलाने के लिए उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलना चाहिए ?नहीं चलता है,इसीलिए वे अपने अगले झूठ के साथ तैयार रहते हैं।
मतदाता सूची में गलत तरीके से नाम शामिल करवाने
और गलत तरीके से सूची से नाम कटवाने के अपराध
में भी आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान होना चाहिए।
इस सुझाव के पक्ष में
कितने राजनीतिक दल होंगे और विरोध में कितने
दल होंगे ?कल्पना कर लें।
अनेक राजनीतिक दलों का फिलहाल स्वार्थ यह है कि 2003 के
बाद जिन घुसपैठियों के नाम नाजायज तरीके से भारत की मतदाता सूचियों में जोड़ दिए गए हैं,उनके नाम न हटें ताकि, वे इस बार भी उन्हें वोट दे सकें।
गलत तरीके से नाम चढ़वाने का आशय यह है कि किसी अपात्र का नाम
रिश्वत देकर या किसी अन्य उपाय से मतदाता सूची में शामिल करवा दिया जाये।
गलत तरीके से नाम कटवाने का मतलब है कि जो व्यक्ति भारत का वास्तविक नागरिक हैं और उसका नाम मतदाता सूची में शामिल है,यानी जो वैध मतदाता है,उसका नाम मतदाता सूची से हटवाया दिया जाये।
———————
असलियत यह है कि 2003 के बाद लाखों-लाख बांग्ला देशियों और रोहिग्याओं के नाम बिहार सहित भारत की मतदाता सूचियों में शामिल करवा दिए गए हंै।ऐसा इस देश के जेहादियों,मुस्लिम वोट लोलुप दलों और भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर किया है।
दूसरी ओर, इस बीच यानी 2003 में और 2003 के बाद जिनका निधन हुआ,उनके नाम नहीं हटे।जो इस बीच 18 साल के हो गये,उनके नाम नहीं जुड़े।
ऐसे ही काम के लिए विशेष गहन
पुनरीक्षण का काम हो रहा है।
चुनाव आयोग बार-बार यह कह रहा है कि 1 जनवरी 2003 तक की मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं को कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है।
इसके बावजूद अफवाह ब्र्रिगेड सक्रिय है–कह रहा है कि हम अपने माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र कहां से ला पाएंगे ?
——————
ऐसी ही अफवाह मुस्लिम वोट लोलुप नेताओं ने 2019-20 में शाहीन बाग के धरना स्थल पर जाकर फैलाया था।
जेहादी गिरोह अफवाह फैलाते हैं तो उनका उद्देश्य समझ में आता है,पर कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों ने भी सी.ए.ए.विरोधी धरना स्थल पर जाकर कहा कि सी.ए.ए.लागू होने के बाद मुसलमानों की नागरिकता खत्म हो जाएगी।
केंद्र सरकार कहती रही कि यह नागरिकता देने का कानून है ,खत्म करने का नहीं।पर अफवाह ब्रिगेड दंगा करवा कर लोगों की जान लेने में अंततः सफल हो गया था।
——————–
ऐसे अफवाह फैलाने वालों के लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान जल्द से जल्द होना चाहिए।
—————
आज जो अफवाह फैला रहे हैं कि सबको अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र देना पड़ेगा,वे यह अपराध करके दंगा करवाना चाहते हैं ?
——————-
सी.ए.ए. के तहत गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत में नागरिकता इन दिनों दी जा रही है।
इस अभियान के तहत क्या किसी मुस्लिम की नागरिकता छीन ली गई ?
नहीं।
मौजूदा गहन पुनरीक्षण को लेकर यह अफवाह भी फैलाई जा रही है कि यह नेशनल पोपुलेशन रजिस्टर तैयार करने की पूर्व पीठिका है।
यदि है भी क्या हर्ज है ?
पाकिस्तान सहित दुनिया के अनेक देशों में उनका अपना नेशनल पोपुलेशन रजिस्टर है।
पर भारत के मुस्लिम वोट लोलुप नेताओं को ऐसा रजिस्टर नहीं चाहिए।क्योंकि तब फिर वे नये घुसपैठियों को मतदाता कैसे बना पाएंगे ?
ऐसे ही जेहादी मुस्लिम तुष्टिकरण के चक्कर में पश्चिम बंगाल में सी.पी.एम.बर्बाद हुई।
तुष्टिकरण के कारण ही केरल में भी सी.एम.एम.अगली बार विधान सभा चुनाव में सत्ता से बाहर हो जाएगी।गत लोक सभा चुनाव में सी.पी.एम.को सिर्फ एक सीट मिली है।
पश्चिम बंगाल में सी.पी.एम.अधूरा तुष्टिकरण से काम चलाना चाहती थी।पूर्ण तुष्टि करण टी.एम.सी.कर रही है।
केरल में कांग्रेस पूर्ण तुष्टिकरण कर रही है।
