बालको चिमनी दुर्घटना : पूर्व CJI श्री चंद्रचूड़ ने.. पूर्व CEO गुंजन गुप्ता सहित अब तक 46 के साक्ष्य.. वैश्विक परिदृश्य में न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहें हैं औद्योगिक घरानों सहित सभी मजदूर यूनियन, निर्णय शीघ्र आने की संभावना बढ़ी…
कोरबा। बालको चिमनी दुर्घटना के लगभग 14 वर्ष बीतने के बाद अब इस पर शीघ्र ही न्यायालय का निर्णय आने की संभावनाएं बढ़ गई है। बालको चिमनी दुर्घटना में विवेचना अधिकारी विवेक शर्मा का साक्ष्य अंतिम चरण में है। पूर्व में तत्कालीन सीईओ गुंजन गुप्ता का साक्ष्य कथन 26 सितंबर 2024 को अंकित हुआ है। सूत्रों के अनुसार विवेचना अधिकारी के साक्ष्य के बाद इस बात की संभावना है कि बालको चिमनी दुर्घटना के संबंध में सुनवाई पूर्ण हो जाएगी और इसके बाद न्यायालय का निर्णय शीघ्र ही आ सकता है।
वैश्विक परिदृश्य में बेहद चर्चित बालको चिमनी दुर्घटना की 26 अक्टूबर वर्ष 2010 में सुनवाई आरंभ हुई थी। इस प्रकरण में अब तक 46 लोगों का साक्ष्य माननीय न्यायालय के समक्ष हो चुका है।
उल्लेखनीय है कि वैश्विक स्तर पर चर्चित दुर्घटना में 23 सितंबर 2009 को वेदांता-बालको पॉवर प्लांट विस्तार परियोजना 1200 मेगावाट की दो चिमनियों में से एक निर्माणधीन 225 मीटर ऊंची चिमनी उस समय गिरी जब चिमनी के ऊपरी भाग में निर्माण कार्य चल रहा था।
सरकारी आंकड़ों में दुर्घटना में 40 मजदूरों की मौत होना बताया गया। घटना के बाद चारों तरफ मलबा व खून से लथपथ लाशें पड़ी हुई थीं। मलबा हटाने और लाशें निकालने के लिए रेसक्यू ऑपरेशन दस दिन से ज्यादा चला।
दुर्घटना की जांच कर रहे बख्शी आयोग ने इस के लिए बालको और ठेका कंपनियों के साथ ही उन्होंने स्थानीय निकाय और श्रम विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की बात भी कही थी।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि परियोजना में चिमनी निर्माण से पहले उसकी स्ट्रक्चर, क्वॉलिटी और सिक्युरिटी से संबंधित बनाए गए कानूनों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया।
निर्माण के दौरान श्रमिकों और अन्य व्यक्तियों की सिक्युरिटी ऐंड सेफ्टी की पूरी व्यवस्था नहीं करने के लिए बालको ठेका कंपनी सेपको, जीडीसीएल को दोषी बताते हुए नगरपालिका, ग्राम निवेश विभाग और श्रम विभाग के तत्कालीन संबंधित अधिकारियों की उदासीनता को भी दुर्घटना का कारण माना गया था।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का वर्ष 2003 से बालको प्रबंधन को जारी नोटिस भी मात्र एक छलावा के सिवाय कुछ नहीं कहा जा सकता, संबंधित अधिकारी अगर चाहते तो काम रोका जा सकता था और असमय कालकलवित हुए मजदूरों के परिजनों को रोना नहीं पड़ता।


सूत्रों के अनुसार बक्शी आयोग की रिपोर्ट में एक अन्य बात भी सामने आई थी कि चिमनी ढहने के समय पूरे छत्तीसगढ़ क्षेत्र में किसी भी प्रकार की बिजली गिरने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

ध्वस्त चिमनी का बाल्को स्थल लगभग 22.24N और 82.45 E पर स्थित है जिसके लिए बिजली गिरने का कोई डेटा नहीं है। बाल्को के अपने ही क्षेत्र में छोटे-बड़े आकार की लगभग एक दर्जन चिमनी हैं और इनमें से किसी पर भी बिजली गिरने या बिजली आधारित दुर्घटना का अनुभव नहीं हुआ।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार बालको की ध्वस्त चिमनी-I को छोड़कर अन्य सभी चिमनी का निर्माण राफ्ट पर किया गया था न कि पाइल फाउंडेशन पर
एनआईटी विशेषज्ञ टीम की रिपोर्ट के अनुसार, चिमनी-I के ढहने की बड़ी गलती, कई कारणों में से, मुख्य रूप से पाइल कैप्स में दोष था।
तेज हवा या बवंडर को भी दुर्घटना के कारको में एक अन्य रिपोर्ट में माना गया था लेकिन ऐसा होता तो वहां पर अन्य स्थानों पर भी कुछ दुर्घटनाएं घटती।
-चित्र इंटरनेट से साभार।
