“मंच पर ‘सोनिया गांधी हिंदुस्तान’, ‘राहुल गांधी हिंदुस्तान’ के नारे.. वहां बंगाल को बांग्लादेश बनाने के नारे लगे” -रविशंकर प्रसाद

राहुल गांधी को वक्फ पर बोलने के लिए अहमदाबाद जाना पड़ाजबकि संसद में 12-13 घंटे की बहस के दौरान वे चुप रहे। यह दिखाता है कि उन्हें खुद नहीं पता कि कब और क्या बोलना है।

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वक्फ की संपत्ति पर गरीब मुसलमानों के लिए कोई अस्पतालविद्यालयअनाथालाय या कौशल केन्द्र का न होना क्या राहुल गांधी के अनुसार सही है? वक्फ अधिनियम में हुए संशोधन द्वारा विधवा मुस्लिम बहनों की तरक्की के लक्ष्य से राहुल गांधी को कोई समस्या है क्या?

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देश ने अब राहुल गांधी को गंभीरता से लेना बंद कर दिया है। हर मंच से ओबीसी की बात करने वाले राहुल गांधी बताएं कि कांग्रेस की शीर्ष निर्णय लेने वाली इकाई में कोई ओबीसी क्यों नहीं है?

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कांग्रेस शासित राज्यों में कोई ओबीसी मुख्यमंत्री नहीं हैजबकि भाजपा के कई राज्यों में ओबीसी मुख्यमंत्री हैं। संगठन से लेकर सरकार तक भाजपा ने ओबीसी को नेतृत्व दिया।

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जिस मंच पर कांग्रेस सरदार पटेल की चिंता करने का स्वांग रच रही हैउसी मंच पर सोनिया गांधी हिंदुस्तान’राहुल गांधी हिंदुस्तान’ के नारे लग रहे थे। सरदार पटेल की आत्मा अगर यह देख रही होगीतो उन्हें भी दुख ही होगा। हमने ‘इंदिरा इज इंडियाइंडिया इज इंदिरा’ वाला ज़माना भी देखा है।

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राहुल गांधी का सरदार पटेल जी के प्रति प्रेम उनके दोहरे चरित्र को दर्शाता हैक्योंकि सरदार पटेल का निधन 1950 में हुआ और कांग्रेस ने 41 साल तक उन्हें भारत रत्न नहीं दिया यह सम्मान 1991 में उन्हें भाजपा समर्थित सरकार में मिला।

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मुर्शीदाबाद की घटना में लगे भड़काऊ भाषण कानून व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती है, जो पूरी तरह अस्वीकार्य हैं। वहां बंगाल को बांग्लादेश बनाने के नारे लगे। ममता बनर्जी अब तक कार्रवाई क्यों नहीं कर रही हैं?

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सरदार पटेलनेताजी सुभाष चंद्र बोस और मौलाना आजाद की विरासत के लिए कांग्रेस ने कुछ नहीं किया और जब भाजपा ने इन महान विभूतियों को उनकी प्रामाणिक प्रतिष्ठा देनी शुरू कियातब जाकर उन्हें असली सम्मान मिला।

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संघ को लेकर भी राहुल गांधी को किसी ने चिट पकड़ाई है। राहुल गांधी के परनाना पंडित नेहरू (हालांकि राहुल गाँधी ने परदादा कहा)उनकी दादी इंदिरा गांधी और उनके पिता राजीव गांधी सभी ने मिलकर संघ को जमकर गालियां दीलेकिन संघ बढ़ता गया और इस वर्ष संघ ने 100 वर्ष पूरे कर लिए।

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए अहमदाबाद, गुजरात में हो रहे कांग्रेस के अधिवेशन पर जम कर हमला बोला। उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम पर देरी से प्रतिक्रिया देने के लिए राहुल गांधी की जमकर आलोचना की और उनके इस प्रतिक्रिया को भी किसी पर्ची से पढ़ा हुआ बताया। उन्होंने राहुल गांधी से कांग्रेस की शीर्ष समिति में कोई ओबीसी न होने पर प्रश्न खड़े किए और कांग्रेस द्वारा सरदार पटेल, नेताजी और मौलाना आजाद जैसे नेताओं को लंबे समय तक नजरअंदाज किए जाने की भी आलोचना की। श्री प्रसाद ने मुर्शीदाबाद की घटना पर ममता बनर्जी से कार्रवाई की मांग की और कहा कि वक्फ में पारदर्शिता लाना गलत नहीं, लेकिन कांग्रेस इसे भी मुद्दा बना रही है।

श्री प्रसाद ने कहा कि राहुल को वक्फ पर बोलने की कोशिश करने के लिए अहमदाबाद आने का इंतजार करना पड़ा। संसद में चली 12 -13 घंटे की बहस के दौरान राहुल गाँधी नहीं बोले। यही दिखाता है कि राहुल गांधी को विचार की स्पष्टता नहीं है कि क्या बोलना चाहिएक्या नहीं और कब बोलना चाहिए? 

राहुल गांधी की वक्फ को असंवैधानिक बताने वाली टिप्पणी पर श्री प्रसाद ने तीन सवाल पूछे-

  • वक्फ की 8 लाख एकड़ संपत्ति पर मुस्लिम समाज के लिए कोई अस्पतालविद्यालयअनाथालाय या कौशल केन्द्र का न होना क्या राहुल गांधी के अनुसार सही है?
  • मुस्लिम समाज की विधवाओं की तरक्की के लक्ष्य से वक्फ अधिनियम में हो रहे संशोधन से राहुल गांधी को कोई समस्या है क्या?

 

  • वक्फ अधिनियम में संशोधन से पिछड़ेअति पिछड़े पसमांदा मुस्लिम के सशक्तिकरण से ओबीसी की बात करने वाले राहुल गांधी को कोई परेशानी है क्या?

श्री प्रसाद ने कहा कि इन सवालों के उनके पास कोई उत्तर नहीं है। उन्हें जब कहा गया, तब राहुल गांधी ने वक्फ पर कुछ नहीं बोला। काफी दिन बाद आज उन्होंने बस एक प्रतिक्रिया दे दी है, लेकिन वक्फ के मूल मुद्दों के बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा।

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रसाद ने अधिवेशन की एक वीडियो पत्रकारों के समक्ष रखते हुए कहा कि जिस मंच से सरदार पटेल की चिंता की गईउसी मंच से नारे लगाये गए- सोनिया गांधी हिंदुस्तान’राहुल गांधी हिंदुस्तान’। आपातकाल के समय कांग्रेस ने इंदिरा इज इंडियाइंडिया इज इंदिरा ‘और ‘इंदिरा तेरे नाम की जयसुबह की जयशाम की जय’ के नारे लगाए थे। आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी की बुरी हार और उनके राजनीतिक हश्र के बावजूद भी यह लोग आज भी ऐसे ही नारे लगा रहे हैं। राहुल गांधी को समझना होगा कि भारत बहुत बड़ा है और भारत की प्रतिष्ठा, विरासत एवं गरिमा किसी भी पार्टी से बहुत बड़ी है। सरदार पटेल के प्रति राहुल गांधी का प्रेम आश्चर्यजनक है क्योंकि सरदार पटेल का निधन 1950 में हुआ, लेकिन उन्हें भारत रत्न उनके निधन के 40 वर्ष पश्चात 1991 में भाजपा समर्थित सरकार में मिला। 41 वर्ष तक कांग्रेस ने उन्हें भारत रत्न क्यों नहीं दिया? सरदार पटेल देश के प्रमाणिक रत्न थे। देश की 556 रियासतों में 555 रियासतों को सरदार पटेल ने भारत से जोड़ा. कोई समस्या नहीं हुई और सिर्फ एक रियासत जम्मू-कश्मीर नेहरू के जिम्मे थी, जिसमें ऐसी समस्या खड़ी हुई कि उस समस्या को  धारा 370 हटाकर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ठीक किया। कांग्रेस ने 41 वर्ष तक सरदार पटेल को भारत रत्न क्यों नहीं दिया? मौलाना आजाद का निधन 1959 में हुआ और उनको भारत रत्न 1992 में मिला क्योंकि 1991 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव थे और अगर गांधी परिवार का व्यक्ति ही 1991 में प्रधानमंत्री होता तो यह काम भी श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को करना पड़ता। यह इनकी छोटी और संकीर्ण सोच को दर्शाता है।

 

श्री प्रसाद ने कहा कि सरदार पटेलनेताजी सुभाष चंद्र बोस और मौलाना आजाद की विरासत के लिए कांग्रेस ने कुछ नहीं किया और जब भाजपा ने इन महान विभूतियों को उनकी प्रामाणिक प्रतिष्ठा देनी शुरू कीतब जाकर उन्हें असली सम्मान मिला। क्या कांग्रेस ने सरदार पटेल की स्मृति में कोई भव्य स्मारक बनाया था? भाजपा ने गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनवाया, जिसे आज दुनिया भर से करोड़ों लोग देखने आते हैं। क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कोई प्रतिमा कांग्रेस लगवाई थी? भाजपा ने राजपथ पर उनकी भव्य प्रतिमा स्थापित की, जिससे देश को गर्व हुआ। अब जब मजबूरी में कांग्रेस को कुछ करना पड़ रहा है, लेकिन वो भी मन से नहीं कर रहे हैं। थोड़ा मन और श्रद्धा से करिए। अगर कहीं सरदार पटेल की आत्मा सोनिया गांधी हिंदुस्तानराहुल गांधी हिंदुस्तान’ को देख रही होगीतो उन्हें भी दुख हो होगा।

 

भाजपा सांसद ने कहा कि राहुल गांधी हर समय ओबीसीओबीसी की बात करने लगे हैं लेकिन उन्हें बताना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च समिति में कोई ओबीसी है, क्यावहां सिर्फ राहुल गांधीसोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ही हैंयही कांग्रेस पार्टी की सच्चाई है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने दलित और आदिवासी समाज को शीर्ष संवैधानिक पदों पर पहुँचाया, दलित समाज से आने वाले श्री रामनाथ कोविंद जी और आदिवासी समाज से आने वाली श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को राष्ट्रपति बनाया। ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा भाजपा ने दिया, कांग्रेस ने नहीं। कांग्रेस शासित राज्यों में कोई ओबीसी मुख्यमंत्री नहींजबकि भाजपा के कई राज्यों में हैं। संगठन से लेकर सरकार तक भाजपा ने ओबीसी को नेतृत्व दिया। ओबीसी जनगणना की बात करने वाले राहुल गांधी खुद अपनी पार्टी में ओबीसी को जगह नहीं देते। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार दलित, आदवासी, पिछड़े और अति पिछड़े के विकास के लिए समर्पित है। भाजपा सिर्फ बोलती नहींकरके दिखाती है। बिरसा मुंडा जैसे नायकों को राष्ट्रीय सम्मान दिलाना मोदी सरकार की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।

भाजपा सांसद श्री प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी बार-बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर सवाल उठाते हैं, लेकिन वे संघ को वास्तव में कभी समझा नहीं है। संघ को लेकर भी राहुल गांधी को किसी ने चिट पकड़ाई है, क्योंकि राहुल गांधी के परदादा पंडित नेहरू, उनकी दादी इंदिरा गांधी और उनके पिता राजीव गांधी सभी ने मिलकर संघ को जमकर गालियां दीं,  लेकिन संघ बढ़ता गया और इस वर्ष संघ ने 100 वर्ष पूरे कर लिए। देश के विकासराष्ट्र निर्माणसमाज सेवा और राष्ट्रभक्ति के लिए संघ सदैव समर्पित है। इन 75 वर्षों में लगभग 56 वर्ष से गांधी परिवार संघ का राग अलाप रहा है लेकिन आज भी संघ आगे बढ़ रहा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रसाद ने मुर्शीदाबाद की घटना को कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हुए कहा कि  वाहन जिस प्रकार से जलाए गए, वहां भड़काऊ भाषण दिए गएवे न केवल अस्वीकार्य हैंबल्कि कानून व्यवस्था के लिए भी गंभीर चुनौती भी हैं। इस घटना के दौरान बंगाल को बांग्लादेश बनाने के नारे लगाए गएममता बनर्जी उन पर कब कार्रवाई करेंगी? यह बिल गरीब महिलाओं, विधवाओं और पिछड़े मुस्लिम समाज के हक में लाया गया है। वक्फ का मामला बहुत सीधा है और मुतवल्ली ठीक है या नहीं सिर्फ यही तो सवाल है। क्या संपत्ति का ऑडिट होना, रख-रखाव और रेगुलेशन तय करना गलत है? एक बड़े नेता हुआ करते थे, जिनके बारे में कहा जाता था कि ना खाताना बहीजो चाचा का है वही सही’। वक्फ की अब वही स्थिति यहां है खाता  बहीजो मुतवल्ली कह देवही सही। भाजपा इसी व्यवस्था को तो पारदर्शी बनाना चाहती है। इस पर इतना हल्ला क्यों मचाया जा रहा है?

 

 

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