DM के निर्देश पर गठित जांच टीम ने बालको प्रबंधन को जारी किया नोटिस.. इन बिंदुओ पर कार्यवाही की अनुशंसा…
★ बालको CEO राजेश कुमार व पूर्व CEO अभिजीत पति को जारी किया गया नोटिस
★ कारखाना अधिनियम उल्लंघन के बिंदुओ पर जिला प्रशासन कठोर
★ श्रमवीरों के जीवन की सुरक्षा से खिलवाड़
★ श्रमवीरों के श्रम का शोषण
★ भूमि का अतिक्रमण
★ आवासीय क्षेत्रों में प्रदूषण
★ स्वास्थ्य के बिंदुओ पर 187 मरीजों की जांच, 150 घरों का सर्वे
★ बालको प्रबंधन पर छल के गंभीर आरोप

कोरबा। भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड कोरबा में बालको वेदान्ता कंपनी के विरुद्ध वर्ष न्यायालय कलेक्टर एवं जिलादण्डाधिकारी कोरबा के आदेश पर 2004 से 2022 तक किये गये उद्योग विस्तारीकरण में पर्यावरण अनुमति, संचालन सहमति के नियमों, पर्यावरण क्षति की अवहेलना व स्थानीय मुद्दो, रोजगार, श्रमिक सुरक्षा व स्वास्थ्य सामाजिक दायित्वों की शिकायत की जांच किये जाने हेतु जिला प्रशासन का एक दल का गठन किया गया था। जांच टीम का गठन पक्षकार डिलेंद्र यादव, गोविंद शर्मा (अध्यक्ष तितिजा सामाजिक संगठन द्वारा प्रस्तुत प्रकरण के संबंध में किया गया था।
जांच के लिए तत्कालीन समय में गठित दल में प्रदीप कुमार साहू (अपर कलेक्टर), सीमा पात्रे (SDM), मुकेश कुमार देवांगन(तहसीलदार), शैलेश पिस्दा (क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण अधिकारी), राजेश आदिले (सहायक श्रम आयुक्त), दिशा शुक्ला (उप संचालक, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा अधिकारी) एवंसंबंधित राजस्व निरीक्षक एवं हल्का पटवारी शामिल थे।
नोटिस का उत्तर नहीं दिया..!
आश्चर्य की बात है कि जिला प्रशासन के द्वारा नियुक्त जांच दल द्वारा बालको प्रबंधन को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया था लेकिन जांच प्रतिवेदन में बालको प्रबंधन के द्वारा प्रति उत्तर में क्या कहा गया इसका कोई उल्लेख नहीं है। इसका आशय स्पष्ट है कि बालको प्रबंधन के द्वारा जांच दल को स्पष्टीकरण देने की कोई आवश्यकता ही नहीं समझी गई!
…लेकिन बालको प्रबंधन भूल गया है कि जिला प्रशासन पर्यावरण, स्वास्थ्य, पुनर्वास, औद्योगिक सुरक्षा के विषय पर संवेदनशील है और जांच दल के द्वारा चाहे गए स्पष्टीकरण का संतोषजनक उत्तर नहीं दिए जाने की स्थिति में जिला प्रशासन के द्वारा कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
गठित जांच दल द्वारा शिकायत में उल्लेखित तथ्यों का परीक्षण किया गया तथा दिनांक 24.05.202 को स्थल निरीक्षण किया गया।
शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत पत्र में वर्ष 2004 से 2022 तक उद्योग विस्तारीकरण के क्रम में क्रमशः 540 मेगावाट विद्युत संयत्र 1200 मेगावाट विद्युत संयंत्र, स्मैल्टर विस्तारीकरण हेतु जारी पर्यावरण स्वीकृति तथा राज्य शासन द्वारा जारी उद्योग संचालन अनुमति में दिये गये निर्देशों का उल्लंघन किये जाने के संबंध में प्रभारी उप संचालक औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कोरबा द्वारा पत्र क्र. – DDK/ HIS/2023/340 कोरबा दिनांक 08.06.2023 द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया ।
प्राप्त प्रतिवेदन अनुसार प्राप्त शिकायत के संबंध में दिनांक 24.05.2023, 25.05.2023, 26.05.2023, 29,05,2023, 30.05.2023 एवं दिनांक 31.05.2023 को कारखाना भारत एल्युमिनियम कम्पनी लिमिटेड बालको नगर कोरबा का निरीक्षण जांच दल के द्वारा किया गया। निरीक्षण के दौरान पाए गए उल्लंघनो के आधार पर कारखाना अधिभोगी तथा कारखाना प्रबंधक को निरीक्षण रिपोर्ट जारी किया गया है। उक्त रिपोर्ट में उल्लेखित उल्लंघनो को निर्धारित समयावधि में दूर नहीं किये जाने की स्थिति में कारखाना अधिभोगी तथा कारखाना प्रबंधक के विरूद्ध उनके द्वारा अभियोजन की कार्यवाही किया जाना प्रतिवेदित किया गया है।
बालको CEO राजेश कुमार को जारी गया नोटिस
प्रभारी उप संचालक, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कोरबा के द्वारा राजेश कुमार (कारखाना अधिभोगी) व 02 – आर. के. सिंह ( कारखाना प्रबंधक) मेटल डिविजन भारत एल्युमिनियम कम्पनी लिमिटेड बालको नगर को कारखाना अधिनियम 1948 एवं छ.ग. कारखाना नियमावली 1962 के निम्नलिखित प्रावधानों का उल्लंघन के संबंध में स्पष्टीकरण क्रमांक / IHD / DDK / Show Cause /2023/325-326 कोरबा दिनांक 02.06.2023 जारी किया गया था।
★ स्पष्टीकरण देने के लिए जांच दल के द्वारा कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 7-A ( 1 ) का उल्लंघन, कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 32 (a ) का उल्लंघन, कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 38 ( 1 ) (b ) का उल्लंघन, कारखाना नियमावली-1962 के नियम -67 – 4 (B) का उल्लंघन, कारखाना अधिनियम -1948 की धारा-109 सहपठित नियम – 119 का उल्लंघन, कारखाना अधिनियम-1948 की धारा-109 सहपठित नियम – 120 का उल्लंघन, छ.ग. कारखाना नियमावली 1962 के नियम-131-A (1) ( C ) (i) का उल्लंघन, कारखाना अधिनियम- 1948 की धारा-107 सहपठित छ.ग. कारखाना नियमावली 1962 के नियम 127 (2) (1) का उल्लंघन वकारखाना अधिनियम 1948 की धारा-41- C(a) के उल्लंघन को लेकर बिंदु तय करते हुए स्पष्टीकरण मांगते हुए नोटिस जारी किया गया है।
★ प्रभारी उप संचालक, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कोरबा द्वारा राजेश कुमार (कारखानाअधिभोगी ) एवं आशुतोष द्विवेदी (कारखाना प्रबंधक) पॉवर डिविजन भारत एल्युमिनियम कम्पनी लिमिटेड बालको नगर को कारखाना अधिनियम 1948 एवं छ.ग. कारखाना नियमावली 1962 के निम्नलिखित प्रावधानों के उल्लंघन के संबंध में स्पष्टीकरण मांगते हुए नोटिस क्रमांक / lHD/DDK/ IR/ 2023/327-328 कोरबा दिनांक 02.06.2023 जारी किया गया है।
स्पष्टीकरण के लिए जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि कारखाना अधिनियम 1948 की धारा- 7 – A (1) का उल्लंघन,कारखाना अधिनियम 1948 की धारा-38 (1) (b) का उल्लंघन, कारखाना अधिनियम 1948 की धारा-41-C (a) का उल्लंघन, छ.ग. कारखाना नियमावली 1962 के नियम-67-4 (B) का उल्लंघन, कारखाना अधिनियम 1948 की धारा-41 सहपठित नियम 73 (1) का उल्लंघन, कारखाना अधिनियम 1948 की धारा-109 सहपठित नियम – 119 का उल्लंघन, कारखाना अधिनियम 1948 की धारा-109 सहपठित नियम 120 का उल्लंघन, छ0ग0 कारखाना नियमावली 1962 के नियम-131-A(1)(C) (i) का उल्लंघन, कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 107 सहपठित छ0ग0 कारखाना नियमावली 1962 के नियम–127(2)(1) के उल्लंघन को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट करें।
सुरक्षा से खिलवाड़ व श्रमवीरों के श्रम मूल्य को लेकर पूर्व CEO अभिजीत पति को भी जारी किया गया नोटिस
★ प्रभारी उप संचालक, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कोरबा द्वारा भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड द्वारा निर्माणाधीन नवीन स्मेलटर परियोजना का निरीक्षण दिनांक 24.05.2023 भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) अधिनियम-1996 के अंतर्गत किया गया। तथा निरीक्षण के संबंध में अभिजीत पति (नियोक्ता ) मेटल डिविजन भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड बालको कोरबा को स्पष्टीकरण क्र०-HIS / DDK / Show Cause / 2023/339 कोरबा दिनांक 07.06.2023 जारी किया गया।
निरीक्षण के दौरान निर्माणाधीन कार्यस्थल में भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) अधिनियम 1996 एवं छ.ग. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) नियम-2008 के निम्नलिखित प्रावधानों का उल्लंघन होना पाया गया है :-
01. छ.ग. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) अधिनियम- 1996 की धारा30 (1) के प्रावधानानुसार प्रत्येक नियोजक, ऐसे रजिस्टर और अभिलेख रखेगा जिनमें उसके द्वारा नियोजित भवन कर्मकरों की ऐसी विशिष्टयां, उनके द्वारा किए गए कार्य, काम के उन घंटो की संख्या, जो उनके लिए सामान्य कार्य दिवस के रूप में होंगे, सात दिन की प्रत्येक अवधि में एक विश्राम दिन जो उन्हे अनुज्ञात किया जाएगा, उनका संदत्त मजदूरी, उनके द्वारा दी गई रसीदें और ऐसे प्रारूप में ऐसी अन्य विशिष्टया दी जाएंगी वे जो विहित की जाए परंतु निरीक्षण के दौरान ऐसे रजिस्टर एवं अभिलेख संधारित नही पाए गए। जिससे यह स्पष्ट है कि आपके द्वारा भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) अधिनियम-1996 की धारा-30 ( 1 ) का उल्लंघन किया गया है।
02. छ.ग. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) नियम 2008 के नियम – 46 (1) के प्रावधाननुसार प्रत्येक नियोजक, प्रत्येक भवन कर्मकार से जिससे भवन या अन्य सन्निर्माण कार्य के क्षेत्रों के भीतर कार्य करने या वहां से जाने की अपेक्षा है, जहां कहीं उस वस्तुओं सामग्री के गिरने का संकट है नियोजक द्वारा राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रकार के और परीक्षित सुरक्षा हेलमेटो की व्यवस्था की जाएगी परंतु निरीक्षण के दौरान सुरक्षा उपकरण रजिस्टर से जो जानकारी प्राप्त हुई उसके अनुसार श्रमिकों को अंतिम बार वर्ष 2021 में सुरक्षा उपकरण प्रदान किए गए थे।
इससे यह स्पष्ट होता है कि कार्यस्थल में श्रमिकों को उचित रूप से सुरक्षा हेलमेट तथा अन्य सुरक्षा उपकरण प्रदान नहीं किए जाते है। अतः स्पष्ट है कि उनके द्वारा छ.ग. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) नियम – 2008 के नियम – 46 (1) का उल्लंघन किया गया है।
03. भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) अधिनियम-1996 की धारा – 29 (1) के प्रावधानानुसार प्रत्येक नियोजक की यह जिम्मेदारी है कि जहां किसी भवन कर्मचार से किसी दिन सामान्य कार्य दिवस के रूप में घंटो की संख्या से अधिक कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। वहां वह अपनी मजदूरी की मामूली दर से दुगुनी दर पर मजदूरी पाने का हकदार होगा परंतु निरीक्षण के दौरान पाया गया कि उनके द्वारा श्रमिकों को अतिकाल मजदूरी का भुगतान नही किया जाता है इससे यह स्पष्ट होता है कि उनके द्वारा भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) अधिनियम- 1996 की धारा 29 ( 1 ) का उल्लंघन किया गया है।
04. छ.ग. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) नियम-2008 के नियम-241 (1)(a ) के प्रावधाननुसार प्रत्येक नियोजक ऐसे कार्य की बाबत् जिसे पर वह भवन निर्माण कर्मकारों को लगाता है घोषणा करेगा कि प्रारूप क्र. – 16 एवं प्रारूप क्र. – 17 में क्रमशः एक मस्टर रोल और एक रजिस्टर जहां ऐसे भवन निर्माण कर्मकार के लिये मजदूरी कालावधि एक पक्ष या इससे कम है नियोजक द्वारा घोषित किया जाएगा परंतु निरीक्षण के दौरान ऐसे रजिस्टर एवं अभिलेख संधारित नहीं पाए गए, जिससे यह स्पष्ट है कि उनके द्वारा छ.ग. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) नियम-2008 के नियम-241 (1) (a ) का उल्लंघन किया गया है।
05. छ.ग. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) नियम-2008 के नियम – 36 के प्रावधानानुसार प्रत्येक नियोजक, किसी भवन या अन्य सन्निर्माण कार्य सन्निर्माण स्थल पर यह सुनिश्चित करेगा कि उस दशा में जहां ऐसे सन्निर्माण स्थल पर 500 से अधिक भवन कर्मकार नियोजित किए जाते है वहां निम्नलिखित आपात स्थितियां, जैसे:-
(क) अग्नि और विस्फोट,
(ख) उत्थापक साधित्रों आदि परिवहन उपस्कारों का ढ़ह जाना,
(ग) भवन, शेड या सरंचनाओं आदि का ढ़ह जाना, इत्यादि विपत्तियों से निपटने के लिए आपात कालीन कार्य योजना तैयार की जाती है और मुख्य निरीक्षक के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जाती है परंतु उनके द्वारा आज दिनांक तक कार्यालय में उपरोक्तानुसार अनुमोदन हेतु आपात कालीन कार्य योजना प्रस्तुत नही।की गई है इससे स्पष्ट होता कि उनके द्वारा छ.ग. भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) नियम-2008 के नियम-36 का उल्लंघन किया गया है।

भूमि पर अतिक्रमण
जांच प्रतिवेदन में बालको प्रबंधन के द्वारा किए गए भूमि अतिक्रमण को लेकर कहा गया है कि शिकायतकर्ता द्वारा अपने शिकायत में कंपनी वर्ष 2004 में शासन द्वारा प्राप्त भूमि के अतिरिक्त कई हेक्टेयर वन, राजस्व व निजी कृषि भूमि पर अतिक्रमण किया जाना लेख किया है। उक्त संबंध में अ.वि.अ.(रा.) कोरबा द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन अनुसार बालको प्रबंधन द्वारा ग्राम रोगबहरी पटवारी हल्का नम्बर-12 में स्थित राखड़ डेंम में अतिरिक्त कब्जा पाया गया। जिसका विवरण निम्नानुसार है:-
ख.नं. क्रमशः 339/1,521/1,543/1, 352, कुल रकबा हे. क्रमशः 20.376, 11.930, 30.605, 1.668, अर्जित रकबा हे. क्रमशः 1.376, 11.849, 15.843 मौका जांच अनुसार अतिरिक्त प्रभावित रकबा हे. 3.327, 0.081, 0.402, 0.254 हैं। जांच प्रतिवेदन में उक्त उल्लेखित भूमियों को बड़े झाड़ के जंगल के मद की भूमि बताया गया है।
प्रदूषण पर जांच दल की नोटिस का उत्तर नहीं..!
उद्योग के अनियमित विकास का आरोप
शिकायतकर्ता द्वारा अपने शिकायत में कंपनी द्वारा ऐशडाईक में सघन वृक्षारोपण नही करने एवं वृक्षों की कटाई करने के कारण पर्यावरण क्षति होने एवं मानव जीवन पर अनेक दुष्प्रभाव होने का उल्लेख किया गया है। उक्त संबंध में क्षेत्रीय अधिकारी छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल कोरबा से प्रतिवेदन प्राप्त किया गया। प्राप्त प्रतिवेदन अनुसार दिनांक 24.05.2023 को कुलिंग टॉवर के पास, बालको नगर कोरबा का ध्वनि मापन का कार्य किया गया। दिन में 72.0dB (A) एवं रात्रिकालीन 70.4 dB (A) परिणाम पाये गये । दिनांक 24.05.2023 को वायु मापन का कार्य दिन एवं रात्रिकालीन समय में निखिल मित्तल के दुकान के पास रिंग रोड बालको नगर कोरबा में किया गया जिसके दिन में 85.25 ug / Nm 3 एवं रात्रिकालीन परिणाम 106.0 ug / Nm3 परिणाम पाये गये, जो कि राष्ट्रीय परिवेशीय वायु गुणवत्ता मानकों।के Moderately Polluted श्रेणी के अंतर्गत आता है। दिनांक 24.05.2023 को किये गये वायु एवं ध्वनि मापन कार्य के परिपेक्ष्य में दिनांक 08.06.2023 को नोटिस जारी किया गया था। जिसके संबंध में वर्तमान तक कोई उत्तर उद्योग प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत नही किया गया है। प्रस्तुत प्रतिवेदन में ध्वनि मापन के क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्र बताया गया है। किंतु उक्त क्षेत्र उद्योग स्थापना के पूर्व से ही रिहायसी क्षेत्र है। तथा रिहायसी क्षेत्र से लगे हुए क्षेत्र बालको द्वारा कुलिंग टॉवर का निर्माण किया गया है, जिसके संबंध में नगर तथा ग्राम निवेश से ले-आउंट स्वीकृत कराये बिना उद्योग का अनियमित विकास किया गया है।
तत्पश्चात् वर्ष-2014 में इस अनियमित विकास का नियमितीकरण कराया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि उक्त क्षेत्र रिहायसी क्षेत्र की श्रेणी में आता है। जिसका ध्वनि प्रदूषण का लिमिट दिन में 55 dB (A) एवं रात्रिकालीन 45 dB (A) परिणाम होना चाहिए, जबकि प्राप्त परिणाम दिन में 72.0 db (A) एवं रात्रिकालीन 70.4 dB (A) है। यह रियाहसी क्षेत्र के मानक से बहुत अधिक है। प्रबंधन को रिहायसी क्षेत्र के हिसाब से ध्वनि को नियंत्रित करने की कार्यवाही की जानी चाहिए।”
187 मरीजों की जांच,
150 घरों का स्वास्थ्य सर्वे रिपोर्ट
इसके अतिरिक्त शिकायत में उल्लेखित बीमारियों की जांच के संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला कोरबा से प्रतिवेदन प्राप्त किया गया । प्राप्त प्रतिवेदन अनुसार शांति नगर बालको जिला कोरबा में दिनांक 14.07.2023, 28.07.2023 एवं 31.07.2013 को स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया, जिनमें कुल 187 मरीजो की जांच व 150 घरो का सर्वे किया गया जिसका विवरण निम्नानुसार है:-
जांच प्रतिवेदन में आगे उल्लेख किया गया है कि शिकायतकर्ता द्वारा अपने शिकायत पत्र में कंपनी द्वारा स्थानीय कृषकों व आदिवासियों की निजी भूमि को अतिक्रमण किया जाना उल्लेख किया गया है। किंतु किस खसरा क्रमांक की भूमि का अतिक्रमण किया गया है का स्पष्ट उल्लेख नहीं होने से विशिष्ट जांच किया जाना संभव नही है।
शिकायतकर्त श्री डिलेन्द्र यादव पिता स्व० श्री देवधारी यादव द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र दिनांक 17.08.2023 के पैरा – 3 अनुसार वर्ष 2013 में शांतिनगर के हित के लिए माननीय उच्च न्यायालय छ.ग. बिलासपुर में जनहित याचिका क्र0 – 27 / 2013 यह कहते हुए दायर किया गया कि कुलिंग टॉवर के निर्माण व परिचालन से संपूर्ण शांतिनगर क्षेत्र गंभीर वायु व ध्वनि प्रदूषण से ग्रसित होगा। जिससे यह प्रभावित क्षेत्र का पुनर्वास व विस्थापन किया जाना उचित होगा।
पुनर्वास, भूमि मूल्यांकन, रोजगार को लेकर बालको पर छल करने के गंभीर आक्षेप
पैरा – 4 अनुसार यह कि उक्त जनहित याचिका में राज्य शासन व बालको प्रबंधन की तरफ से उत्तर शपथ पत्र दाखिल किया गया और बताया गया कि शांति नगर के 87 प्रभावित परिवारों का पुनर्वास बालको प्रबंधन द्वारा किया जाना है। इस आशय से हमारे द्वारा दायर की गई जनहित याचिका वापिस लिया गया ।
पैरा – 5 अनुसार यह कि बालको के पत्र दिनांक 14 मई 2013 में “अ” “ब” व “स” विकल्प प्रभावितों के समक्ष रखा गया, जिसमें समस्त प्रभावित परिवारों ने “ब” विकल्प का चयन आम सहमति से किया, “व” विकल्प में ” उद्योग स्थापना के लिए राज्य शासन द्वारा आवंटित भूमि में से शांतिनगर के रहवासियों के लिए पुनर्वास हेतु भूमि बालको उपलब्ध कराएंगा एवं शासन के दिशा निर्देशों के अनुरूप सम्पत्ति व अन्य साजो सामान हेतु मुआवजा का भुगतान करेंगा” वही बालको के पत्र दिनांक 23.05.2013 में “च” विकल्प का विस्तार करते हुए बताया गया कि:-
01. जिला प्रशासन के द्वारा चिन्हित औद्योगिक उपयोग की भूमि को शांतिनगर के प्रत्येक भू-विस्थापितों की जमीन के बराबर की भूमि उन्हे आबंटित की जाएंगी।
02. प्रशासनिक लोक निर्माण विभाग के द्वारा प्रत्येक भूविस्थापित के गृह निर्माण की लागत का मूल्यांकन किया जाएगा एवं शासन के दिशा निर्देशों के अनुरूप उनका भुगतान किया जाएगा अथवा क्र. – 1 के अनुसार आबंटित भूमि में भू-स्वामी के द्वारा स्वयं ही निर्माण कार्य कराया जा सकता है।
03. प्रत्येक भू विस्थापित के घरो में निर्मित कुंआ, टयूबवेल, वृक्ष इत्यादि की मुआवजा राशि शासन के दिशानिर्देशों के अनुरूप की जाएगी।
04. रोजगार के लिए शासन के द्वारा निर्देशित मुआवजा राशि प्रदान की जाएंगी।
पैरा-6 अनुसार यह कि, दिनांक 24.09.2013 को अनुविभागीय अधिकारी (रा.) की अध्यक्षता में भूमि के मूल्य के मूल्यांकन हेतु बैठक आहूत की गई जिसमें पुनर्वास के संबंध में किसी भी प्रकार की कोई चर्चा नहीं की गई।
पैरा- 7 अनुसार यह कि दिनांक 28.11.2013 को माननीय उच्च न्यायालय के आदेश में स्पष्ट किया गया.कि शांतिनगर के प्रत्येक भू-विस्थापितों का पुनर्वास को बालको प्रबंधन ने स्वीकार किया है।
पैरा – 8 अनुसार यह कि, दिनांक 24.10.2013 को बालको प्रबंधन ने समस्त प्रभावित परिवारों के साथ भूमि क्रय हेतु प्रथम इकरारनामा निष्पादित क़राया, इसके उपरांत मुआवजा राशि का प्रथम भुगतान में द्वितीय इकरारनामा छल पूर्वक / गुमराह करते हुए पुनर्वास शब्द का उल्लेख कर निष्पादित किया व खातेदारों तथा समिति के पदाधिकारियों से हस्ताक्षर कराया, चूंकि 24.09.2023 की बैठक में स्पष्ट उल्लेख था कि मुआवजा राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाना है, किंतु बालको प्रबंधन उच्च न्यायालय के आदेश आने के उपरांत प्रभावित परिवारों के साथ छल करते हुए अपने मन मर्जी से इकरारनामा निष्पादित कराता गया और मुआवजा राशि का भुगतान किश्तों में करता गया, ताकि समस्त प्रभावित परिवारों को पुनर्वास / स्थाई रोजगार ना देना पड़े।
पैरा-9 अनुसार यह कि 24.09.2013 की बैठक में सम्पत्तियों का मूल्यांकन लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाना था, किन्तु बालको प्रबंधन स्वयं एक शीट बनाकर परिसम्पत्तियों का मूल्यांकन अपने हिसाब से किया, जिसमें लोक निर्माण विभाग के द्वारा किसी प्रकार की कोई गाईड लाईन या सर्वे का उल्लेख नही है।
पैरा – 10 अनुसार यह कि, बालको के पत्र क्र0 – 24.06.2016 मे दिये गये मुआवजा राशि का उल्लेख किया गया है, किंतु पुनर्वास / स्थाई रोजगार के संबंध में कोई उल्लेख नहीं है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बालको प्रबंधन शांतिनगर संपूर्ण 87 परिवारों का पुनर्वास वर्तमान समय तक नहीं किया है और ना ही देने की मंशा रखता है।
पैरा – 11 अनुसार यह कि पुनर्वास व शांतिनगर में छुटे हुए खातेदारों की भूमि के सर्वे हेतु प्रभावितों द्वारा दिनांक 15.03.2023 को पुनः जन आंदोलन व विरोध किया गया जिसमें 17.03.2023 को बालको प्रबंधन व शांतिनगर के प्रभावितों के मध्य पुनः सहमतिपत्र निष्पादित की गई जिसमें बालको प्रबंधन ने बताया कि उच्च न्यायालय के अनुरूप पुनर्वास व्यवस्था शांतिनगर के प्रभावित परिवारों के लिए किया जाएंगा व छूटे हुए परिवारों का सर्वे 15 दिवस के भीतर प्रारंभ किया जाएगा। किंतु बालको प्रबंधन ने वर्तमान समय तक ऐसा कुछ भी नही किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बालको प्रबंधन की मंशा पुनर्वास को लेकर संदेह के दायरे है।
पैरा – 12 अनुसार यह कि बालको प्रबंधन के पत्र दिनांक 09.05.2023 मे अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष यह बताया है कि, हम शांतिनगर के समस्त प्रभावित परिवारों का मुआवजा / पुनर्वास / रोजगार के संबंध में संपूर्ण राशि का भुगतान किया जा चुका है, जबकि बालको प्रबंधन ने केवल भूमि का क्रय कर किश्तों में मुआवजा राशि का भुगतान किया है, जिससे पुनर्वास की स्थिति स्पष्ट नही होती।
उपरोक्त शपथ पत्र में प्रस्तुत बिन्दुओं के आधार पर उस क्षेत्र के सभी प्रभावित परिवारों के लिए पुनर्वास एवं रोजगार का मांग किया जा रहा है। जबकि कलेक्टर कोरबा के द्वारा आयुक्त, बिलासपुर संभाग बिलासपुर को प्रेषित प्रतिवेदन क्र. / 5632 / शिका.शाखा / 2018 कोरबा, दिनांक 02.04.2018 के कंडिका – 4 अनुसार दिनांक 24.09.2013 को हुई बैठक में लिये उक्त निर्णय पर शांतिनगर पुनर्वास समिति ( अध्यक्ष आर ए० नारायण एवं अन्य पांच द्वारा) श्री एन० बैजेन्द्र कुमार, प्रमुख सचिव उद्योग एवं मुख्यमंत्री सचिवालय छ०ग० शासन को बालको शांतिनगर के पुनर्वास एवं मुआवजा वितरण के संबंध में पृथक से एक सहमति पत्र दिनांक 24.09.2023 को प्रेषित किया, जिसमें प्रभावितों को उचित मुआवजा देने व भूमि का मूल्य, मकान का मूल्य, बसाहट व नौकरी के बदले उचित मुआवजा तथा ट्रांसपोटिंग व्यय शामिल करते हुए एक माह की मोहलत में उक्त भूमि छोड़ने की मांग की गई है।
इसी पत्र के कंडिका – 11 (7) अनुसार शांतिनगर रहवासियों द्वारा ध्वनि प्रदूषण, स्वास्थ्य संबंधी संभावित समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में किये शिकायत के आधार पर बालको प्रबंधन द्वारा उनके व्यवस्थापन हेतु दिनांक 24.09.2013 को बैठक में लिए निर्णयानुसार one to one खरीद बिक्री की प्रक्रिया की जा रही है।
CSR की जानकारी जानबूझकर बालको प्रबंधन
छिपा रहा
शिकायतकर्ता द्वारा अपने शिकायत में कंपनी द्वारा सामाजिक दायित्वों का निर्वाहन खानापूर्ति रूप में किया जाना तथा स्थानीय विकास के नाम पर स्कूल व्यवस्था एवं स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बदतर होना लेख किया गया है। प्रबंधन द्वारा सीएसआर की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। जिसके कारण सीएसआर के कार्यों का भौतिक सत्यापन नहीं किया जा सका है। ऐसा प्रतीत होता है कि बालको प्रबंधन द्वारा जान बुझकर सीएसआर की जानकारी नहीं दी जा रही है।
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शिकायतकर्ता द्वारा अपने शिकायत में वर्ष 2004 से 2022 तक अनेक परियोजना विस्तार के पर्यावरण स्वीकृति व उद्योग संचालन सम्मति में दिये गये दिशा निर्देशों के अनुसार स्थानीय निवासियों को प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रोजगार न देकर जिले व राज्य के बाहर से श्रमिक लाकर कार्य कराया जाना उल्लेख किया गया है।
उक्त संबंध में भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमि० द्वारा प्रस्तुत जानकारी निम्नानुसार है:-
प्रभारी सहायक श्रम आयुक्त, जिला कोरबा द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन अनुसार बालको संस्थान का निरीक्षण श्रम निरीक्षक के द्वारा किया गया तथा उक्त संबंध में जांच प्रतिवेदन एवं बालको प्रबंधन द्वारा स्थानीय रोजगार 86 प्रतिशत तथा अन्य प्रांतो से 14 प्रतिशत नियोजित किये जाने की जानकारी प्रस्तुत किया गया है।
जांच दल के द्वारा की गई कार्यवाही के पश्चात अपना निष्कर्ष निष्कर्ष प्रस्तुत करते हुए जांच प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया है कि जांच दल में सम्मिलित विभागों द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत में उल्लेखित उद्योग विस्तारीकरण में पर्यावरण अनुमति संचालन सहमति के नियमों की अवहेलना श्रमिक सुरक्षा व स्वास्थ्य के संबंध में की गई शिकायत निम्न बिन्दुओं पर प्रमाणित होना पाया गया:-
01. औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के संबंध में बनाये गये कारखाना अधिनियम-1948 की विभिन्न धाराओं का उल्लघंन तथा कारखाना नियमावली, 1962 के विभिन्न नियमों का उल्लघंन होना पाया गया। जिसके संबंध में कार्यवाही हेतु उप संचालक, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा जिला कोरबा को प्रबंधन के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया जाना उचित होगा।
02. कंपनी द्वारा प्राप्त भूमि के अतिरिक्त भूमि पर अतिक्रमण होना पाया गया। उक्त संबंध में नियमानुसार कार्यवाही किये जाने हेतु अनुविभागीय अधिकारी (रा.) कोरबा को निर्देशित किया जाना उचित होगा।
03. वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण मानक स्तर से अधिक होना पाया गया। जिससे स्थानीय वासियों के स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। जिसके संबंध में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के संबंध में बालको प्रबंधन को निर्देशित किया जाना उचित होगा।
04. नगर तथा ग्राम निवेश से ले-ऑउट स्वीकृत कराए बिना उद्योग का अनियमित विकास किया गया है। तत्पश्चात् अनियमित विकास का नियमितीकरण कराया गया है।
05. WP(PIL) 27/2013 में पारित आदेश दिनांक 28.11.2013 एवं बालको के पत्र दिनांक 23.05.2013 के आधार पर पुनर्वास एवं नौकरी की मांग की जा रही है। इस संबंध में कलेक्टर कोरबा के प्रतिवेदन दिनांक 02.04.2018 के अनुसार one to one खरीद बिक्री की प्रक्रिया की गई है।
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-चित्र इंटरनेट से साभार।
