भोजपुरी साहित्यिक आ सांस्कृतिक महोत्सव

गोपालगंज के आसपास के होखीं, भोजपुरी खातिर नेह-छोह होखे, कविताई आ सङ्गीत में रुचि होखे त आईं काल्ह! अंजन जी के गाँव अब सचहुँ भोजपुरी खातिर धाम नियर हो गइल बा।
सभे आपन लोग ह। आमंत्रित वक्ता, कवि, गायक लोग भी आपन ह, आ आयोजक लोग भी… दर्शक दीर्घा में बइठल लोग भी सभे घरेलुये बुझइहें… जेकरा के ओहिजा सम्मानित कइल जाइ, उ लोग भी बिल्कुल अपना जइसन ही लागी… एह आयोजन के सबसे बड़ खूबी इहे त ह।

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हमार एह बेर के विशेष रुचि के कारण ई बा कि एह बेर के अंजन सम्मान मनोज भावुक भइया के दिहल जाता। भोजपुरी के जेतना निमन कवि/शायर, ओतने निमन लेखक! बल्कि ओतने बढ़िया वक्ता, प्रस्तोता… पत्रिका के सम्पादक हइए हवन, टीवी के एंकर हइए हवन… मने भोजपुरी से जुड़ल कवनो काम खातिर जोहीं त मनोज भावुक रेडी मिलिहैं… हमरा बुझाता एह सम्मान खातिर एकरा से निमन कवनो नाम होइये नइखे सकत! Manoj Bhawuk भइया एगो शानदार लग्जरी जीवन के लात मार के भोजपुरी खातिर जवन समर्पण देखवले बाड़ें, उ दुर्लभ बा। अइसने लोग कवनो कार्यक्रम के प्रतिष्ठा तय करेला…
एक मंच पर भरत शर्मा, मुन्ना सिंह, उदय नारायण सिंह, विजय बहादुर चौबे, बिष्णु ओझा, मदन राय, गोपाल राय, संजोली पाण्डेय आ अइसने लगभग 25 गो अउरी गायक… ई लोग ओइसन लोग जे भोजपुरी सङ्गीत के प्रतिष्ठा खातिर लड़त रहल बा लो… एह सारा लोग के एक्के साथे सुनला के अवसर मिलल एगो दुर्लभे संजोग बा। ई अपना आप में एगो ऐतिहासिक अवसर होइ… सई किलोमीटर मोटसाईकिल चला के त खाली एह लोग के देखे जाइल जा सकता!


कविताई वाला सत्र में डॉ अनिल चौबे भइया, संजय मिश्रा ‘संजय’ भइया आ अइसने जाने केतना कवि… कुल मिला के एगो जबरदस्त कविसम्मेलन! सुनल जाई Sanjay भइया से एक बेर फेर “पीतर के गगरी पर सोना के पानी…”
चार पाँच बरिस पहिले एगो छोट वाट्सप ग्रुप से शुरू भइल जय भोजपुरी जय भोजपुरिया के जतरा अब अमही के धाम बना दिहले बा… इस सुभाष चाचा के तप ह।
हमनी के टीम सदानीरा भी स्वागत में रही। विवेक, आदित्य, आकृति, हम राजन, रजनीश, अवनीश, सचिन… सब लोग रहीं। आईं लोगिन… आनन्द बरसी…

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।

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