बालको की दबंगई के आगे नतमस्तक सीएसईबी प्रबंधन.. पॉवर कंपनी के तेजतर्रार ऑफिसर अंकित आनंद-कटियार के पॉवर से रुकेगा अवैध कब्जा व रेल लाइन निर्माण..??

कोरबा। बालको प्रबंधन द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य को लेकर अक्सर विवाद की स्थिति निर्मित होती रही है। हालांकि बालको प्रबंधन के द्वारा सफाई दी जाती है कि उनके द्वारा किए जा रहे सभी कार्य वैध हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार “1,200 मेगावाट संयंत्र पर काम रोकने के लिए बाल्को को 11 नोटिस दिए गए थे, जिसमें अंतिम नोटिस 3 अक्टूबर, 2011 को दिया गया था।” लेकिन कंपनी द्वारा एक भी नोटिस का जवाब नहीं दिया।

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बालको प्रबंधन किसी नोटिस का प्रतिउत्तर देने में कितनी कोताही बरतता है यह तो वनविभाग के द्वारा अब तक लगभग सवा अरब रुपये हो चुके राशि को चुकाने के संबंध में लगातार दिए गए नोटिस से भी स्पष्ट हो जाता है।

लगभग एक दर्जन नोटिस पर एकाध टका सा उत्तर दिया गया और बदले में वनविभाग के द्वारा किसी तरह की अग्र कार्यवाही न करना वस्तुस्थिति को स्पष्ट कर देता है कि गड़बड़ी कहां पर है!!

वनविभाग चाहे तो आज भी न्यायालय में लगभग सवा अरब रुपयों की वसूली के लिए प्रकरण दर्ज करा सकता है लेकिन पता नहीं ये कैसा रिश्ता नाता है जो एक कदम भी आगे की कार्यवाही के लिए वनविभाग के द्वारा नहीं उठाए जा रहे हैं।

तब बालको का काम रुकवाने वाले अब क्यों है ढीले..?

ताजा घटनाक्रम में बालको प्रबंधन के द्वारा बालको चेकपोस्ट के समीप नई रेल लाइन का निर्माण किया जा रहा है। पूर्व में इस रेल लाईन के निर्माण कार्य पर अपने स्वामित्व की भूमि बताकर आपत्ति जताते हुए CSEB द्वारा निर्माण स्थल पर जाकर काम रुकवा दिया गया था।

जुलाई 2023 के vdo का स्क्रीन शॉट, जब cseb ने बालको द्वारा किए जा रहे रेलवे लाईन के निर्माण कार्य को रुकवा दिया था।

बता दें कि पूर्व में जुलाई 2023 में ही KTPS के SE सिविल पीतांबर नेताम द्वारा बालको प्रबंधन के द्वारा किए जा रहे रेलवे लाइन के निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया था लेकिन CSEB के उसी स्वामित्व की भूमि पर उसी रेल लाइन का काम विगत 4-5 दिनों से बिना किसी रोकटोक अबाध गति से चल रहा है।

अनुमति नहीं देने के बाद भी काम बंद कराने में हाथ क्यों कांप रहे हैं..?

पूर्व में काम रुकवाने वाले तेजतर्रार अधिकारी पीतांबर नेताम से इस रेलवे लाइन के बालको द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्यों के संबंध में चर्चा करने पर उनका कहना है कि हमारे पास कोई फोर्स तो है नहीं जो रुकवा सकें। हम तो पुलिस भी नहीं है जो fir कर सकें। इसके साथ ही श्री नेताम का कहना था कि बालको प्रबंधन के द्वारा रेल लाइन निर्माण कार्य के लिए CSEB द्वारा किसी तरह की अनुमति नहीं दी गई है।

अगर यह सब बिना किसी अनुमति के हो रहा है तो यह एक प्रकार से सीधे तौर पर कोई भी कह सकता है कि यह CSEB प्रबंधन को बालको प्रबंधन के द्वारा खुली चुनौती है कि हमारा काम नहीं रुकेगा क्योंकि सरकार किसी की हो सिस्टम हमारा है।

CSEB का सुरक्षा दस्ता क्या कर रहा है??

CSEB प्रबंधन की समस्त चल-अचल संपत्तियों के सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भारीभरकम सुरक्षा विभाग की तैनाती की गई है और इस सुरक्षा विभिन्न का काम सिर्फ यही है कि CSEB के नियमों के विरुद्ध कोई भी काम कोई करता है तो अपने दलबल के साथ डंडा लेकर खड़े होकर ऐसे कामों पर कड़ाई से रोक लगाना लेकिन सेफ्टी ऑफिसर राकेश खरे से इस संबंध में जानकारी लेने का प्रयास किया गया तो उन्होंने मोबाईल ही नहीं उठाया।

वेतन, भत्ते, स्वास्थ्य सुविधाओं, मकान, पेट्रोल खर्चे, बोनस सहित सभी प्रकार की सुविधाओं का लाभ उठाने वाला सुरक्षा विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठकर तमाशा देख रहा है ऐसे में इस विभाग के औचित्य पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा हो जाता है।

CSEB : चेयरमैन व एमडी क्या बोले?

CSEB के MD तेजतर्रार एस.के. कटियार जो लगातार कोरबा-जांजगीर क्षेत्र के दौरे पर अक्सर रहतें हैं, उनको बालको द्वारा CSEB की जमीन पर किए जा रहे अवैध रेल लाइन के निर्माण कार्य के संबंध में व्हाट्सएप पर जानकारी उपलब्ध कराकर कार्यवाही करने के विषय में जानकारी के लिए चर्चा करने पर उनका कहना था कि “मुझे नहीं मालूम मैं अभी दिल्ली में हूं। मैं नहीं देख सकता। आप वहां के किसी सीनियर से बात कर लीजिए कोरबा से।”

 

अब यक्ष प्रश्न यह उठता है कि बड़े बड़े काम मोबाइल पर हो रहे हैं और ऐसे में विभाग के तेजतर्रार MD कोरबा अपने अधीनस्थ विभागीय अधिकारियों को क्या निर्देश भी जारी नहीं कर सकते??

विभागीय चेयरमैन अंकित आनंद जो ऐसे अवैध कार्यों को लेकर कड़क रहतें हैं उनसे इस संबंध में जानकारी के लिए संपर्क नहीं हो पाया।


सूत्रों की माने तो रेल लाइन कोई गांव की पगडंडी तो होती नहीं है कि कही से भी, कही पर भी तैयार कर उपयोग कर लिया जाए। नियमानुसार इसके लिए रेलवे के ऑपरेशन डिपार्टमेंट से भी अनुमति लिया जाना आवश्यक है। क्या बालको प्रबंधन के रेल लाइन निर्माण के संबंध में CSEB के द्वारा इस प्रकार की कोई अनुमति रेलवे विभाग को दी गई है, यह भी यक्ष प्रश्न है?

क्या है परदे के पीछे का खेल..?

निर्मित हो रही रेल लाइन की जमीन सूत्रों के अनुसार CSEB पूर्व की है और ऐसे में CSEB पूर्व के प्रबंधन के द्वारा विगत लगभग लगातार 3-4 दिनों से चुप्पी साधे रखना अनेक संदेहों को जन्म देता है। प्रश्न अब यह उठता है कि अगर जमीन CSEB पूर्व की है तो क्या अब CSEB प्रबंधन कार्यवाही करने के लिए आगे क्यों नहीं आ रहा है ? अगर जमीन CSEB की है तो अपनी जमीन पर कब्जे के लिए कार्यवाही करने में झिझक क्यों? क्या इसके पीछे कोई खेल है?? इसके पीछे कोई खेल खेला जा रहा है तो CSEB की विजिलेंस टीम को इसकी जांच करना चाहिए।


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वनविभाग के रास्ते पर CSEB प्रबंधन..?

उल्लेखनीय है कि वनविभाग को वर्तमान राशि लगभग एक अरब बाईस करोड़ चौदह लाख सत्ताईस हजार तीन सौ पंचानवे रुपये की वसूली के लिए वर्ष 2009 से वनविभाग के द्वारा बालको को लगातार स्मरण पत्र लिखा जा रहा है। लगातार स्मरण पत्र जारी कर वनविभाग द्वारा “अंतिम पत्र है” “कानूनी कार्यवाही करेंगे” “180 वन अधिनियम के तहत कार्यवाही करेंगे” मात्र “चेतावनी भरे पत्र लेखन” की परंपरा का औपचारिक रूप से निर्वहन किया गया है और अगर नहीं की गई है तो “ठोस कार्यवाही।”

क्या CSEB प्रबंधन भी वनविभाग के रास्ते पर चलेगा और मात्र चेतावनी जारी करते-करते तक ही पूरी की पूरी रेल लाइन बिछ जायेगी…?

 

क्या है वनविभाग का प्रकरण..? इस link पर पढ़ें…

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क्या अपने स्वामित्व के हिस्से वाली भूमि पर घेराबंदी की हिम्मत करेगा सीएसईबी प्रशासन..?

सीएसईबी प्रशासन के पास अपने स्वामित्व वाली भूमि के दस्तावेज हैं, इसके बाद भी विचित्र स्थिति है कि एक सक्षम विभाग अपने ही विभागीय भूमि पर कब्जा नहीं कर पा रहा है? किन बंधनों से CSEB के अधिकारियों की टीम बंधी हुई है?

क्या सीएसईबी प्रबंधन अपने स्वामित्व वाली भूमियों पर घेरेबंदी करेगा, जिससे भविष्य में पुनः विवाद की स्थिति निर्मित न हो..इस पर शासन-प्रशासन सहित जिलेवासियों की दृष्टि टिकी हुई है।

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