“नमामि हसदेव” भाग-08 : मां सर्वमंगला मंदिर से बालको के जहर से मां को नवजीवन देने अमित जोगी पुनः शंखनाद करेंगे “हसदेव बचाव” आंदोलन का…!

“मां मैं आ रहा हूं”… गूंजेगा हसदेव तट पर..!

★  “हसदेव बचाओ” आंदोलन के जनक अमित जोगी को मां हसदेव ने बुलाया है..

★  “हसदेव बचाओ” अभियान से नई राजनीतिक पारी की शुरुआत करने का दम दिखाएंगे अमित जोगी..?

★   पदयात्रा से भगीरथ अवतार.. मां का आशीर्वाद कराएगा चुनावी वैतरणी पार…

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राजनीति में सफल पारी के आरंभ का रास्ता आखिर पदयात्रा से ही क्यों?

क्या ये राजनीतिक सफलता का अचूक हथियार है?

शायद हां… क्योंकि देश में पदयात्राओं का इतिहास इसी ओर इशारा करता है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से लेकर छत्तीसगढ़ के एकमात्र लोकनायक नेता के रूप में स्थापित रहे अजित जोगी की राजनीतिक सफलता का मार्ग पदयात्रा से ही प्रशस्त हुआ था।

कुछ अरसे पूर्व 2017 में ही मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह ने 6 महीने तक नर्मदा परिक्रमा कर 110 विधानसभा सीटों का दौरा कर लोगों से संपर्क किया और उनकी समस्याओं को जाना।

राजनीतिक सफलता का पर्याय बन चुकी पदयात्राओं का इतिहास लंबा है और पदयात्रा से शुभ-मंगल राजनीतिक पारी के शुरुआत की ग्यारंटी 101% है।

…और यही पदयात्रा प्रकृति से जुड़कर प्रकृति के संरक्षण के निमित्त किया जाए तो सफलता की ग्यारंटी 200% बढ़ जाती है।

बड़े युद्ध हो, सभ्यताओं का विकास हो, राजनीतिक पदयात्राओं की बात हो या वृहद स्तर पर कोई आयोजन सबकी सफलता नदी के तट पर ही तय हुई।

इनकी पदयात्राओं से राजनीतिक बलि चढ़ी विरोधियों की

अपने पिता वाईएसआर के नक्शे कदम पर चलकर हुए जगन मोहन ने भी 3,648 किमी की नवंबर 2017 में कडपा जिले में पिता के पैतृक गांव से पदयात्रा कर करीब 2 करोड़ लोगों से संपर्क साधा। 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने 175 में से 151 सीटें जीतीं और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

2011 के चुनाव में ममता बनर्जी की पदयात्रा से बुद्धदेव की कुर्सी छीन गई थी।


छत्तीसगढ़ में जोगी कांग्रेस रसातल की ओर

अब जब अजित जोगी के असमय कालकलवित होने के बाद से जोगी कांग्रेस का साथ लगातार लोग छोड़ने लगे हैं और हाल में बड़ा झटका 4 बार के विधायक रहे धर्मजीत सिंह के भाजपा प्रवेश से लगा है।

मरवाही में रविवार को जोगी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का कांग्रेस प्रवेश।

विधानसभा चुनाव भी निकट है और पार्टी के अस्तित्व पर संकट गहराया हुआ है। कोई ऐसा विषय भी पार्टी नेतृत्व को दिख नहीं रहा है जिससे हाशिए पर जा रही पार्टी में प्राण फूंके जा सके।


2023 के  विधानसभा चुनावों से ठीक पहले अपने मतदाताओं को एकजुट करने और युवा तुर्क अमित जोगी को पदयात्रा के बैकअप की आवश्यकता है और यह पदयात्रा उन्हें ऊंचाइयों पर ले जाएगी।

वर्ष 2022 में जन अधिकार यात्रा निकाल कर अमित जोगी ने पार्टी को नवजीवन देने का प्रयास किया लेकिन कोई विशेष सफलता नहीं मिली।


अरसे पूर्व तब राजनीति में कदम रख चुके अमित जोगी ने “हसदेव बचाओ आंदोलन” की शुरुआत की थी लेकिन यह आंदोलन अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ गया।

प्रकृति में निरंजन नदी के तट पर वृक्ष के नीचे बुद्ध को ज्ञान मिला तो महावीर स्वामी ऋजुवलिका नदी के तट पर ज्ञान मिला। न्यूटन को वृक्ष के नीचे गुरुत्वाकर्षण का ज्ञान मिला।

कहने का आशय यह है कि जो देती है वो प्रकृति देती है। प्रकृति की शरण में आकर संभव है कि अमित जोगी के राजनीतिक जीवन में एक नई दिशा मिल जाए।

ये कौन सा विटामिन प्रवाहित किया जा रहा है..?

जंगल से बहती हुई निर्मल-स्वच्छ केसला नदी(डेंगुर नाला) और बालको लालघाट की तक पहुंचते ही पानी का रंग और यही विषैला पानी हसदेव नदी मिलकर निगम के नल कनेक्शनों से सीधे गर्भस्थ शिशुओं से लेकर जनमानस के स्वास्थ्य के साथ खतरनाक खिलवाड़ कर रहा है। नल से पहुंचे पानी को कुछ समय रखने पर नीचे विषैले अपशिष्ट पदार्थों का जमावड़ा हो जाता है। हजारों नल कनेक्शनों के द्वारा जब शहर में, कस्बों में, वार्डों में लोगों के घरों में पहुंचता है तो नीचे तल पर कुछ समय बाद ऐसी स्थिति निर्मित होती है। अब इसे पीकर शरीर को कौन से विटामिन मिलते होंगे यह सहज ही समझा जा सकता है।

जंगल से बहती हुई निर्मल-स्वच्छ केसला नदी(डेंगुर नाला) और बालको लालघाट की तक पहुंचते ही पानी का रंग और यही विषैला पानी हसदेव नदी में मिलकर निगम के नल कनेक्शनों से सीधे गर्भस्थ शिशुओं से लेकर जनमानस के स्वास्थ्य के साथ खतरनाक खिलवाड़ कर रहा है। नल से पहुंचे पानी को कुछ समय रखने पर नीचे विषैले अपशिष्ट पदार्थों का जमावड़ा हो जाता है

प्रदूषण का स्तर खतरनाक तरीके से बढ़ गया है। इसकी गोद में खेल रही मछलियों समेत सभी जल-जीवों का अस्तित्व संकट में है।-फ़ाइल फोटो।

वेदों, शास्त्रों में समस्त प्राणियों की पालनकर्ता नदी, नाले, तालाबों को मां की गौरवमयी उपाधि दी गई है। इसी सम्मान की परंपरा का निर्वाह करते पुराने बुजुर्ग आज भी स्नान करने के लिए सीधे पैर को पानी में नहीं रखते बल्कि हाथों में लेकर पहले सिर-माथे पर लगाकर क्षमा याचना करते हैं कि “हे मां तुझ पर पैर रख रहा हूं क्षमा करना, अपने आशीष से सदा हमारे जीवन को शीतलता प्रदान करना।”…लेकिन आज गंदगी नदी में डालकर अपनी समृद्धि के द्वार खोले जा रहे हैं। नदियों को जीवनधारा, जीवनदायिनी की कागजी उपाधि देनें वाले हमें बचाने के लिए जल-जीव संरक्षण का ढोल पीटने पीटने करने वाले भी न जाने कहां खो गए हैं!!


मां सर्वमंगला मंदिर से मां हसदेव को नवजीवन देने अमित जोगी करेंगे हसदेव बचाव आंदोलन का शंखनाद…?

छत्तीसगढ़ के एक मात्र लोकप्रिय लोकनायक अजित जोगी ने 51 शक्तिपीठों में से एक बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी दंतेवाड़ा में शंखिनी-डंकिनी नदी के संगम तट पर विराजी मां दंतेश्वरी मंदिर का आशीर्वाद लेकर पदयात्रा की शुरुआत की और उसके बाद राजनीतिक जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

कोरबा जिलेवासियों को भी आस है कि जीवनदायिनी मां हसदेव के तट पर विराजी एक मां सर्वमंगला का आशीर्वाद लेकर दूसरी मां हसदेव को नवजीवन प्रदान कर अपने राजनीतिक जीवन को संजीवनी प्रदान करेंगे और जिलेवासियों को भी स्वच्छ जल दैनिक उपयोग के लिए मिलेगा।

हसदेव और बालको का बहुत पुराना नाता रहा है। हसदेव के जल ने ही बालको की समृद्धि को जन्म दिया है लेकिन आज बालको प्रबंधन द्वारा सहायक नदी केसला नदी (डेंगुर नाला) को माध्यम बनाकर हसदेव की जलधारा को दूषित किया जा रहा है।

गूगल मैप से लिए गए इस स्क्रीन शॉट में जीवनदायिनी हसदेव की दुर्दशा देखिए। यह मैप किस समय का अपडेट किया गया है, यह कहा नहीं जा सकता लेकिन तात्कालिक स्थिति यही है। ●हरे घेरे में दर्री बराज का स्वच्छ, निर्मल जल। ● नारंगी घेरे में दर्री बराज से आगे सर्वेश्वर एनीकट के पास की स्थिति और इसी नारंगी घेरे में गुलाबी तीर इंगित करता हुआ विषैले पानी के स्त्रोत को। इसी नारंगी घेरे में स्वामी आत्मानंद स्कूल दर्शित करते नदी के किनारे से निगम क्षेत्र की जनता को पानी सप्लाई किया जाता है। यह गूगल मैप कब का अपडेट है यह कहा नहीं जा सकता लेकिन वर्तमान में यही स्थिति दिख रही है। इतना तय है कि पर्यावरण विभाग कोरबा द्वारा पूर्व में नोटिस भी ऐसे बिंदु पर थमाया जा चुका है। जो भी है यह एक भयानक, भयंकर, भयावह स्थिति है। -फ़ाइल फोटो।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ जैसे हरित प्रदेश में जल की महिमा का पतन हो रहा है और उसके मुख्य कारण औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं। निजी संस्थान खुलकर, खुलेआम स्थानीय शासन, प्रशासन, पर्यावरण विभाग को ठेंगा दिखाते हुए आंखों में आंखें डाल कर हसदेव के पीने योग्य जल को खुलेआम विषैले अपशिष्टों से लगातार जहरीला कर रहे हैं। कोरबा में लगातार यही काम बालको प्रबंधन के द्वारा किया जा रहा है।

निगम प्रशासन मौन क्यों है…??

निगम प्रशासन को यह कभी दिखाई नहीं देता कि अब तो हसदेव का जल रोगदायिनी होकर सीधे पूरे कोरबा शहर में निगम के द्वारा दिए हजारों जल कनेक्शनों के माध्यम से शहरवासियों के पेट में जाकर सीधे सीधे मौत के मुंहाने पर विभिन्न बीमारियों के साथ पहुंच रहा है।

इससे कैंसर, विकलांगता, ब्लड प्रेशर, त्वचा रोग और फेफड़े की बीमारियों को बढ़ावा ही मिल रहा है।

सबसे गंभीर धारा में पर्यावरण विभाग की चेतावनी

कोरबा का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय भी मान चुका रहा है कि जीवनदायिनी हसदेव में लालघाट एवं चेकपोस्ट बस्ती के समीप के नाले के माध्यम से ऑयलयुक्त काला दूषित जल व्यापक मात्रा में प्रवाहित किया जाता रहा है, तब धारा – 33(क) के तहत नोटिस जारी करते हुए 03 दिनों में मेसर्स भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड से स्पष्टीकरण मांगा था। इन्हीं व्यथाओं को लेकर, स्वास्थ्य को लेकर हाई कोर्ट में याचिका भी लगी थी।

पर्यावरण विभाग द्वारा जारी किए गए इस नोटिस पर कभी विस्तार से पुनः अवगत कराया जाएगा, इस नोटिस के संबंध में अभी तो मात्र यही कहा जा सकता है कि इस धारा के तहत नोटिस तभी दिया जाता है जब हद पार हो चुकी हो।

भूजलस्तर हो रहा है कम

तलहटी में नीचे राख जम जाने के कारण हसदेव में जलभराव की क्षमता भी कम हो रही है और यही कारण है कि शहर का भूजलस्तर प्रतिवर्ष नीचे जा रहा है।

 

बालको प्रबंधन के द्वारा बहाए जा रहे विषैले काले पानी के बाजू में प्रवाहित हो रहे बरसाती नाली के पानी का रंग।

 

बरसाती नाली के पानी का रंग बालको प्रबंधन के द्वारा प्रवाहित काले विषैले पानी में घुलकर काला पड़ जाता है।
सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि ये पानी जब नल कनेक्शनों के माध्यम से लोगों के शरीर के भीतर पहुंच कर किस प्रकार की बीमारियों को जन्म देता होगा?

डॉ.रविकांत सिंह राठौर  जनहित के विषयों पर खुलकर अपनी बात रखने वाले निरंतर सामाजिक विषयों पर अग्र भूमिका निभाने वाले डॉ. रविकांत सिंह राठौर से प्रदूषण के दुष्प्रभाव और राख से होने वाले स्वास्थ्यगत दुष्परिणामों को लेकर कहते हैं – ” इससे अस्थमा हो सकता है। सांस से संबंधित सारी बीमारियां हो सकती हैं टीबी, निमोनिया को छोड़कर। न्यूकोनोसिस नामक बीमारी में राख के कण फेफड़े में जाकर जमा हो जाते हैं। राख के कारण कैंसर हो सकता है लंग कैंसर हो सकता है और अस्थमा जिसे है उसका अस्थमा बढ़ सकता है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से पूरे शरीर में ऑक्सीजन प्रदूषण के कारण कम पहुंचता है और खून में ऑक्सीजन कम पहुंचने से पूरे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। अगर आदमी बीमार है और साथ में उसे शुगर बीपी है तो प्रदूषित हवा में सांस लेकर बीमारी के बढ़ने के चांस भी हैं। राख के कारण अस्थमा, न्यूकोनोसिस,  कैंसर तीन बड़ी बड़ी बीमारियां तो हो ही सकती हैं। प्रदूषण के कारण लोगों के बाल भी झड़ रहे हैं और त्वचा संबंधी रोग भी इसके दुष्प्रभाव के रूप में सामने आ रहे हैं।

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