परख सक्सेना : मजबूत विपक्ष बनाना सरकार का काम नहीं.. बीजेपी को 400 सीटों की आवश्यकताक्यों नहीं है ?
सरकार यदि तानाशाह है तो उसका सबसे बड़ा समर्थन विपक्ष ही कर रहा है। सदन चलने ही नहीं दोगे तो सरकार को घेरोगे कैसे?
लोकसभा चलने नहीं दी गयी उधर केंद्रीय मंत्री ने विपक्ष की अनुपस्थिति मे एक बिल ही पास करवा लिया। सरकार का कट्टर समर्थक हुँ मगर ये बिल क्या था उसके मायने क्या थे वो किसी को नहीं पता।
राज्यसभा मे स्थिति थोड़ी ठीक थी मल्लिकार्जुन खड़गे ने ऑपरेशन सिंदूर पर बहुत यथार्थ प्रश्न पूछे मगर फिर वो ही हुआ जिसकी उम्मीद थी। जेपी नड्डा ने खड़े होकर उस प्रश्न की ही वैधता पर सवाल उठा दिया।
जेपी नड्डा ने स्लो बॉल डाली और कांग्रेस ने हवा मे शॉट मार दिया, ये तथ्य सिद्ध करने की जगह हंगामे शुरू करने लगे और यही नड्डा जी चाहते थे। ऊपरी सदन भी नहीं चल सका, सरकार की अपनी मौज रही।
मजबूत विपक्ष बनाना सरकार का काम नहीं है, वो गाँधी परिवार को ही सोचना पड़ेगा। ओम बिड़ला ने तो आइडिया भी दिया था कि ज़ब तक अपने सांसदों को शांत नहीं करोगे तब तक चर्चा कैसे होंगी। लेकिन बाबा बाहर आकर बोलने लग गए मुझे बोलने नहीं देते।
इनको लगता है कि ये बेचारा बनेंगे तो जनता अगली बार इसे प्रधानमंत्री बना देगी, अब इसे कोई समझाये कि प्रधानमंत्री बनने के लिये 272 सीटें चाहिए। जीतना छोड़ो आपको तो पहले 272 पर अस्तित्व चाहिए। खैर वो अलग विषय है।
अमेरिका से ट्रेड डील मझदार मे है क्योंकि अमेरिका क़ृषि उत्पादों मे भी भारतीय बाजार चाहता है। यदि ऐसा हुआ तो हमारे किसानो की धज्जिया उड़ जायेगी, इसलिए ट्रेड डील अटक रही है। जाहिर है हमें विकल्प चाहिए और वो तब ही पता चलेंगे ज़ब विपक्ष पूछेगा।
हमारा तो हक बनता नहीं क्योंकि हमने विपक्ष को वोट नहीं दिया था मगर यूपी महाराष्ट्र और तमिलनाडु वालो को तो विचार करना चाहिए कि आपने जिन लोगो को चुना है वो तो खुद सरकार का अप्रत्यक्ष समर्थन कर रहे है।
बीजेपी को 400 सीटों की आवश्यकता ही नहीं है उनके 234 मे से 200 तो गायब हो जाते है बहुमत तो क्या सारा सदन ही आपका है।
मैंने आज तक सरकार का कट्टर समर्थन किया है, यहाँ तक कि कुछ गलत चीजों पर भी डिफेंड किया मगर इस मानसून सत्र मे कुछ स्पष्टीकरण की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा लग रहा है कि विपक्ष भी उन 293 लोगो के साथ ही खेल रहा है।
ऊपर से ये लोग बोल रहे है ऑपरेशन सिंदूर के लिये मोदी शाह और राजनाथ सिंह को भी बुलाओ। मोदीजी जब भी आते है विपक्ष हमेशा इनके आगे बेबस दिखता है, मोदीजी बुरी तरह से रोस्ट करते है और सोशल मीडिया पर एक साल का मीम मटेरियल आ जाता है।
11 सालो मे मोदीजी के आगे राहुल गाँधी की अब तक वही दुर्दशा देखी है जो अमेरिका से भिड़कर सोमालिया की हो सकती है।
इस बार भी यही होगा लिखकर ले लो किसी को कोई जवाब नहीं मिलेगा, विपक्ष फिर जलील होगा और प्रधानमंत्री से लेकर बीजेपी सांसदों के ठग लाइफ मीम्स की भरमार आयेगी।
✍️परख सक्सेना
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