“नमामि हसदेव”-भाग-04 : पर्यावरण दिवस पर बालको का पर्यावरण विरोधी कुकृत्य जारी रहा.. निगम क्षेत्र में कैंसर, अस्थमा, न्यूकोनोसिस सहित कई बीमारियों को खुलकर दिया जा रहा निमंत्रण..

कोरबा। हसदेव नदी न केवल निगम क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए वरन इसके तट पर बसने वालों, इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़कर आजीविका कमाने वाले लोगों के लिए विश्वास और आशा का प्रतीक है। इसके साथ ही लोगों के उपयोग और पशुधन प्रबंधन के लिए भी अहम साधन है लेकिन लगातार नदी में अपशिष्ट पदार्थों का प्रवाहित कर जनजीवन के स्वास्थ्य के साथ ही जलजीवों से, प्रकृति से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है।

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बीते वर्षों में जीवनदायिनी जीवनधारा हसदेव के तल पर औद्योगिक प्रदूषण के अपशिष्ट पदार्थों का जमाव हो रहा है जिससे नदी के जलभराव की क्षमता पर अति दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जलभराव की क्षमता लगातार घटने के कारण शहर का भूगर्भीय जलस्तर भी घट रहा है। भूगर्भीय जल में भी बालको द्वारा छोड़े जा रहे अपशिष्ट मिक्स होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।


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औद्योगिक प्रदूषण निस्तारण को लेकर पर्यावरण विभाग कोरबा द्वारा गंभीर चेतावनी भी बालको प्रबंधन को दूषित काले अपशिष्ट जल युक्त तेल को लेकर पूर्व में जारी की जा चुकी है। लालघाट से होकर बहने वाली केसला नदी कहें या डेंगुर नाला में लगातार बालको प्रबंधन के द्वारा काला पानी प्रवाहित किया जा रहा है और यही पानी सीधे हसदेव नदी में जाकर मिल रहा है।
यह सब इस लिंक पर देखा जा सकता है…

विश्व पर्यावरण दिवस पर भी आज यह क्रम जारी रहा…बालको प्लांट से डेंगुर नाले में प्रवाहित किया जा रहा..

हसदेव की ओर छोड़ा जा रहा यह कौन सा विटामिन है.. अगर यह विटामिन है तो पदमश्री पुरस्कार के लिए नाम भेजा जाना चाहिए या इसके कारण लोगों की आयु कम हो रही है तो निगम क्षेत्र की जनता को  गैर इरादतन हत्या का प्रकरण पर्यावरण विभाग, बालको प्रबंधन किसके विरुद्ध दर्ज कराना चाहिए?
शनिवार की तस्वीरें, vdo नीचे के लिंक में स्थिति को भयावहता को दर्शाती है…
पहला vdo जब जंगल के बीच से बहते जल में सिक्के फेंककर गिनकर उठा लीजिए और चित्र साफ पानी से भरे नाले का..
आगे चलकर इसी में बालको प्लांट से किस प्रकार का विषैले केमिकल राख को इसी नाले में प्रवाहित किया जा रहा है और इसके बाद आगे केसला नदी/डेंगुर नाला की बर्बाद स्थिति…
लिंक के इनबॉक्स में देखें कि पूरा शहर निगम के जल कनेक्शनों के माध्यम से कितना राख, विषैले पदार्थों को पी-नहा रहा है।
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बालको प्लांट के भीतर से पूरी रफ्तार से निकलने वाला काला, विषैला पानी जो सीधे डेंगुर नाला के माध्यम से जीवनधारा हसदेव में मिलकर निगम के जल कनेक्शनों से सीधे लोगों के शरीर में पहुंच रहा है।
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बालको प्रबंधन के द्वारा बहाया जा रहा अपशिष्ट डेंगुर नाले से होकर हसदेव नदी के जिस स्थान पर मिलकर जीवनदायिनी हसदेव की धारा में मिलकर निगम क्षेत्र के निवासियों के लिए विषैला बना दे रहा है, उस स्थान से कुछ ही आगे नगर पालिक निगम का वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगा हुआ और यही से भेजे गए पानी को निगम क्षेत्र की जनता के उपयोग के लिए सप्लाई किया जाता है।


निगम क्षेत्र में हसदेव नदी से सप्लाई किए गए पानी को टंकी में 24 घंटे तक रख दिए जाने पर  टंकी के तल पर प्रदूषित पदार्थ एकत्र हो जाता है। स्वाभाविक रूप से यह कोई विटामिन तो है नहीं। लगातार बालकोप्लांट से प्रवाहित किए जा रहे अपशिष्ट पदार्थों के प्रवाह को लेकर पर्यावरण विभाग की चुप्पी भी जनस्वास्थ्य खिलवाड़ को प्रोत्साहित कर रही है।


इससे कैंसर, विकलांगता, ब्लड प्रेशर, त्वचा रोग और फेफड़े की बीमारियों को बढ़ावा ही मिल रहा है। कोरबा का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय भी मान चुका रहा है कि लालघाट एवं चेकपोस्ट बस्ती के समीप के नाले के माध्यम से ऑयलयुक्त काला दूषित जल व्यापक मात्रा में प्रवाहित किया जाता रहा है, तब धारा – 33(क) के तहत नोटिस जारी करते हुए 03 दिनों में मेसर्स भारत एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड से स्पष्टीकरण मांगा गया था। जनमानस के साथ हो रहे खिलवाड़ के गंभीर विषय को लेकर को लेकर हाई कोर्ट में याचिका भी लगी थी। याचिका के संबंध में क्या स्थिति निर्मित हुई थी, इस पर जानकारी के लिए बालको प्रबंधन से जुड़ीं मानसी चौहान व विजय बाजपेयी से ईमेल के माध्यम से संपर्क करने पर प्रतिउत्तर नहीं मिला।

जनहित के विषयों पर खुलकर अपनी बात रखने वाले निरंतर सामाजिक विषयों पर अग्र भूमिका निभाने वाले डॉ. रविकांत सिंह राठौर से प्रदूषण के दुष्प्रभाव और राख से होने वाले स्वास्थ्यगत दुष्परिणामों को लेकर कहते हैं – ” इससे अस्थमा हो सकता है। सांस से संबंधित सारी बीमारियां हो सकती हैं टीबी, निमोनिया को छोड़कर। न्यूकोनोसिस नामक बीमारी में राख के कण फेफड़े में जाकर जमा हो जाते हैं। राख के कारण कैंसर हो सकता है लंग कैंसर हो सकता है और अस्थमा जिसे है उसका अस्थमा बढ़ सकता है। प्रदूषित हवा में सांस लेने से पूरे शरीर में ऑक्सीजन प्रदूषण के कारण कम पहुंचता है और खून में ऑक्सीजन कम पहुंचने से पूरे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। अगर आदमी बीमार है और साथ में उसे शुगर बीपी है तो प्रदूषित हवा में सांस लेकर बीमारी के बढ़ने के चांस भी हैं। राख के कारण अस्थमा, न्यूकोनोसिस,  कैंसर तीन बड़ी बड़ी बीमारियां तो हो ही सकती हैं। प्रदूषण के कारण लोगों के बाल भी झड़ रहे हैं और त्वचा संबंधी रोग भी इसके दुष्प्रभाव के रूप में सामने आ रहे हैं।
यह है जंगल के बीच से निकलती केसला नदी/डेंगुर नाला का आज का vdo, पानी इतना स्वच्छ है कि आप सिक्के फेंकिए और गिनकर उठा लीजिए…

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