देवांशु झा : सीता की अग्निपरीक्षा.. निर्दयी आत्मध्वंस में कहीं वरदान की गरिमा का प्रश्न है तो कभी जनवाद की चिन्ता

एषासि निर्जिता भद्रे शत्रुं जित्वा रणाजिरे। पौरुषाद्यदनुष्ठेयं मयैतदुपपादितम् ।। मैंने शत्रु को पराजित कर तुम्हें प्राप्त कर लिया है भद्रे।

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प्रहलाद सबनानी : भारत के लिए वैश्विक स्तर पर बदल रहे हैं राजनैतिक एवं रणनीतिक समीकरण

वैश्विक स्तर पर आज परिस्थितियां, विशेष रूप से राजनैतिक, रणनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्र में, तेजी से बदल रही हैं। नए

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