कौशल सिखौला : एक बार फिर…

जो लोग यह कहते नहीं अघाते कि अंग्रेजों के आने से पहले भारत में सुईं भी नहीं बनती थी , वे कभी दक्षिण भारत के पांच राज्यों में मंदिर और किले देख आएं !

पता चल जाएगा कि भारत कितना समृद्ध था और मुगलों तथा अंग्रेजों ने प्रोपेगेंडा चलाकर भारत को दुनियाभर में कितना बदनाम किया !


यही भारत है जिसे संसार सोने की चिड़िया कहा करता था और भारत को लूटने के बाद इसे सपेरों का देश कहकर बदनाम किया करता था !
दक्षिण भारत को देखकर आप समझ जाएंगे कि कभी पूरा भारत ऐसे ही विराट और भव्य मंदिरों का देश हुआ करता था !

आक्रांताओं ने अखंड भारत में काबुल कंधार के रास्ते प्रवेश किया । उत्तर भारत और मध्य भारत को उन्होंने खूब लूटा । अयोध्या , मथुरा और काशी के तो मंदिर ही तोड़ डाले । गुजरात में सोमनाथ को लूटा । तीन हजार मंदिर तोड़े । सब जानते हैं , आक्रांताओं ने भारत की शानोशौकत को किस किस तरह उजाड़ा , अब किसी से छिपा नहीं है । लेकिन वीर शिवाजी और बाजीराव ने अपने चौड़े सीने की बदौलत उन्हें दक्षिण की तरफ नहीं घुसने दिया । परिणाम स्वरूप कर्नाटक , तमिलनाडु , आंध्रा , तेलंगाना और केरल हमलावरों की लूट से बच गए । ओडिसा भी काफी बचा रहा ।

दक्षिण भारत बहुत संपन्न है और संस्कृत की तरह तमिल तो विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है । चारों राज्यों में दक्षिणी राजाओं द्वारा बनवाए हुए बहुत वैभव सम्पन्न किले मौजूद हैं । मंदिर कईं कईं शताब्दियों पुराने हैं । उनकी कारीगरी , संयोजन और नक्काशी बेमिसाल हैं । पत्थरों की मूर्तियों के माध्यम से मंदिरों पर शिवपुराण , रामायण और महाभारत की कथाएं सुनाई गई हैं । अब बताइए , अगर भारत में सुईं भी नहीं बनती थी तो विशाल मंदिरों के पाषाण कैसे काटे गए ? कोणार्क का सूर्य मंदिर क्या हवा बना गई ? मूर्तियों को शिल्पकारों ने क्या बगैर औजार तराश दिया ? मंदिरों में राधाकृष्ण और देवी देवताओं की पोशाकें कैसे तैयार की गई ?

भारतवर्ष के इतिहास का सर्वनाश अंग्रेजों ने किया । मुगल तो इतिहास मिटाना चाहते थे , मिटा नहीं पाए । देख लीजिए जो मंदिर तोड़े वे कथाओं के माध्यम से जिंदा रहे । सोमनाथ मंदिर फिर बन गया , राममंदिर बन रहा है । लेकिन मैकाले के अंग्रेजीदां मानस पुत्रों ने इतिहास को बदलने का बेशर्म काम शुरू कर दिया । बाद में वामपंथी इतिहासकारों ने बाकी काम पूरा किया । गलत इतिहास पढ़ाकर बेशक वक्त को अंधेरे में समेटने का प्रबंध किया गया हो , लेकिन वह प्रयोग कामयाब नहीं हुआ । दक्षिण के विशाल मंदिर भारत की अनंत समृद्धि की दास्तान आज भी सुना रहे हैं । मंदिरों का अभूतपूर्व शिल्प , नक्काशी , मूर्तिकला और बारीक काम देखने जो विदेशी आते हैं वे खुद कहते हैं कि विश्व के असली आश्चर्य तो ये मंदिर हैं ।

मंदिरों की भरमार है पर आज हम दक्षिण में वेल्लूर श्रीपुर स्थित महालक्ष्मी स्वर्ण मंदिर का जिक्र कर रहे हैं । 1500 से 1800 किलो शुद्ध सोने से बना यह विशाल मंदिर सचमुच विश्व का आश्चर्य है । रात के समय जब प्रकाश किया जाता है तब यह मंदिर सुर्ख स्वर्ण रंग में खिल उठता है । दुर्भाग्य से हम भारतवासी अमृतसर में 750 किलो सोने से बने स्वर्ण मंदिर के बारे में तो जानते हैं , तमिलनाडु स्थित वेल्लूर के बारे में नहीं । मंदिर बाद में बना लेकिन वेल्लूर मठ भारत का प्राचीन मठ रहा है । अधिकांश भारतवासी इसकी बाबत नहीं जानते । भारत क्या था उसे अपनी आंखों से देखना है तो दक्षिण जाइए । हमारी धरोहर और हमारी वैदिक संस्कृति आज भी वहां बिखरी पड़ी है , उसी रूप में जीवित है ।

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