छत्तीसगढ़ में गृह विभाग का आदेश तत्काल लागू “औपनिवेशिक परंपरा पर विराम”

गार्ड ऑफ ऑनर प्रथा लगभग समाप्त

छत्तीसगढ़ सरकार ने औपनिवेशिक काल से चली आ रही ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देने की परंपरा को सामान्य प्रशासनिक दौरों में समाप्त करने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब मंत्रियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नियमित आगमन, निरीक्षण एवं भ्रमण के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाएगा।

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गृह विभाग का आदेश, तत्काल प्रभाव से लागू

राज्य के गृह विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि पुलिस बल को अनावश्यक औपचारिकताओं से मुक्त कर उनकी ऊर्जा को कानून-व्यवस्था एवं जनसुरक्षा में लगाया जाए।

औपचारिकता नहीं, जनसेवा पर जोर

सरकार का मानना है कि गार्ड ऑफ ऑनर जैसी परंपराएं ब्रिटिश शासन की मानसिकता को दर्शाती हैं। इन्हें समाप्त कर लोकतांत्रिक, जनकेंद्रित और सरल प्रशासन की दिशा में कदम बढ़ाया गया है, जिससे समय और संसाधनों की भी बचत होगी।

राष्ट्रीय समारोहों में रहेगा सम्मान यथावत

यह स्पष्ट किया गया है कि स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय एवं राजकीय समारोहों, साथ ही संवैधानिक पदों पर आसीन विशिष्ट अतिथियों के लिए सम्मान की परंपरा पूर्ववत जारी रहेगी।

प्रशासनिक सुधार की दिशा में ऐतिहासिक पहल

इस निर्णय को छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक सुधारों की श्रृंखला का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विभिन्न वर्गों ने इस पहल का स्वागत करते हुए इसे नए भारत की सोच और औपनिवेशिक विरासत से मुक्ति की दिशा में सकारात्मक बदलाव बताया है।

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