कौशल सिखौला : ” लड़की हूं लड़ सकती हूं “.. रायबरेली से…
ऐसा पहली बार हुआ है जब देश की सबसे पुरानी और आजादी के संघर्ष की मुखिया कांग्रेस पार्टी ने अपने गढ़ यूपी को अलविदा कह दिया है। जिस प्रदेश ने देश को लगभग तमाम प्रधानमंत्री दिए हैं , बेहद कमजोर हालात में कांग्रेस यहां से अपने दिग्गजों को उतारने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही।
वैसे भी सदा से बड़ा भाई रही कांग्रेस खुद को छोटा भाई मान चुकी है । तभी तो यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से कुल 17 सीटों पर लड़ने को पार्टी सहमत हो गई । इसे कांग्रेस की बदहाली कहा जाएगा कि रायबरेली और अमेठी जैसी सीटों पर चुनाव लड़ने में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के फिलहाल तो पसीने छूट रहे हैं।
जिस प्रदेश ने और जिन दो सीटों ने देश को जवाहरलाल नेहरू , इंदिरा गांधी , राजीव गांधी जैसे प्रधानमंत्री बार बार दिए हों , जिन दो सीटों ने सोनिया और राहुल के रूप में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्षों को बार बार जिताकर भेजा हो , उन सीटों का हश्र देखिए । सोनिया राजस्थान से राज्यसभा चली गईं हैं , राहुल का नाम केरल के वायनाड से घोषित हो गया है । प्रियंका गांधी आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ीं।
यद्यपि कुछ वर्ष पहले ” लड़की हूं लड़ सकती हूं ” कहकर उन्होंने सनसनी जरूर फैला दी थी । पिछले लोकसभा चुनाव में तो यह भी कहा गया कि प्रियंका काशी से मोदी के खिलाफ़ चुनाव लड़ेंगी । लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ । अब उम्मीद थी कि मां सोनिया द्वारा छोड़ी गई रायबरेली से प्रियंका लड़ेंगी । खबर है कि प्रियंका ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया।
लेकिन इसका खुलासा कुछ दिनों में हो जाएगा । हो सकता है कि राहुल पहले की तरह अमेठी से भी पर्चा भरें और प्रियंका भी रायबरेली से लड़ने को तैयार हो जाएं । गांधी परिवार के पलायन का असर देखिए कि सलमान खुर्शीद और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है । हिन्दी बैल्ट की कईं राज्यों में कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे हैं।
इंडिया गठबंधन के सबसे बड़े दल कांग्रेस के लिए यह सुखद नहीं है । ऐसा तब , जबकि बंगाल के बाद अब कश्मीर में भी गठबंधन में दरार पड़ गई है । माना कि बिहार और महाराष्ट्र में एनडीए का तालमेल भी आसानी से नहीं हो पा रहा । परंतु बीजेपी में टिकटों के लिए कोई संकट नहीं है । गठबंधन का संयोजक नीतीश कुमार को न बनाकर कितनी बड़ी गलती हुई , इसका पता निश्चय ही अब चल रहा है ।