सुरेंद्र किशोर : बिहार चुनाव.. नियम कानून सिर्फ गरीबों के लिए ? चुनाव आयोग क्या कर रहा है..!!
नियम कानून सिर्फ गरीबों के लिए ?
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बिहार विधान सभा के उम्मीदवार गण
अपने क्रिमिनल रिकार्ड्स,शैक्षणिक योग्यता
और सपंत्ति के विवरण अखबारों में नहीं
छपवा रहे हैं

क्या बिहार चुनाव के उम्मीदवार निम्नलिखित नियमों और
चुनाव आयोग के निदेशों का पालन कर रहे हैं ?
क्या वे अपनी शैक्षणिक योग्यता,संपत्ति का विवरण और मुकदमों के विवरण का राष्ट्रीय और स्थानीय अखबारों में व्यापक प्रचार कर रहे हैं ?
चुनाव अभियान के दौरान तीन बार सूचनाएं प्रकाशित करनी हंै। क्या ऐसा हो रहा है ?
यदि नहीं हो रहा है तो चुनाव आयोग क्या कर रहा है ?
वह अपने कत्र्तव्यों का पालन क्यों नहीं कर रहा है ?
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मेरे घर राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर के कुल आठ दैनिक अखबार आते हैं।
जाहिर है कि वे व्यापक प्रसार वाले अखबार हैं।
मैंने अब तक किसी अखबार में उम्मीदवारों के बारे में ऐसी सूचना नहीं पढ़ी।
इस देश में आखिर क्या चल रहा है ?
क्या इस संबंध में जो नियम है,वह बदल दिया ?
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नियमांे का विवरण
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भारत में चुनावी उम्मीदवारों के लिए अपने आपराधिक रिकॉर्ड संपत्ति कमजंपसे ंदक देनदारियों और शैक्षिक योग्यताओं का विवरण देना कानूनी रूप से अनिवार्य है।यह खुलासा एक अनिवार्य हलफनामे फॉर्म 26 के माध्यम से किया जाता है जिसे नामांकन पत्र के साथ दाखिल किया जाता है। ये नियम भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई निर्णयों के माध्यम से स्थापित और सुदृढ़ किए गए हैं।
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उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य घोषणाएँ
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उम्मीदवारों को सभी आपराधिक मामलों का विवरण देना होगा जिनमें वे मामले भी शामिल हैं जो लंबित हैं या जिनमें उन्हें पहले दोषी ठहराया जा चुका है। इसमें मामलों की स्थिति अपराध और संबंधित अदालती विवरण शामिल हैं। अगर वे किसी राजनीतिक दल के उम्मीदवार हैं तो उन्हें अपनी पार्टी को अपने आपराधिक इतिहास के बारे में भी बताना होगा।
संपत्ति और देनदारियाँ उम्मीदवारों को अपनी अपने जीवनसाथी और आश्रितों की संपत्ति की घोषणा करनी होगी। इसमें चल और अचल दोनों तरह की संपत्ति शामिल है। घोषणापत्र में सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों या सरकार के प्रति सभी देनदारियों का भी उल्लेख होना चाहिए।
शैक्षिक योग्यता उम्मीदवार की उच्चतम शैक्षिक योग्यता शपथपत्र में निर्दिष्ट की जानी चाहिए।

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अनिवार्य प्रचार आवश्यकताएँ
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हलफनामा दाखिल करने के अलावा विशिष्ट नियमों के तहत उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का व्यापक प्रकाशन अनिवार्य है। ये नियम उम्मीदवारों और उन्हें नामांकित करने वाले राजनीतिक दलों दोनों पर लागू होते हैं।
राजनीतिक दल पार्टियों को अपने उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास अपनी आधिकारिक वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित करना होगा। उन्हें चुनाव अवधि के दौरान कम से कम तीन बार एक राष्ट्रीय और एक स्थानीय NEWSPAPER में भी यह जानकारी प्रकाशित करनी होगी। पार्टी को यह भी सार्वजनिक रूप से बताना होगा कि उसने आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार को क्यों चुना और उसकी JEET की क्षमता के बजाय उसकी योग्यता से संबंधित कारण बताने होंगे।
उम्मीदवार को स्वयं भी भारत के चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित विशिष्ट समय SEEMAA का पालन करते हुए सोशल मीडिया समाचार पत्रों और टेलीविजन पर अपने आपराधिक इतिहास का व्यापक प्रचार करना होगा ।
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सूचना तक सार्वजनिक पहुँच
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चुनाव आयोग एक ऑनलाइन पोर्टल चलाता है जहाँ नागरिक उम्मीदवारों द्वारा दायर हलफनामों को देख सकते हैं। मतदाता उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने उम्मीदवार को जानें K Y C ऐप का भी उपयोग कर सकते हैं।
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अनुपालन न करने पर दंड
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जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 125 के तहत झूठा या अधूरा हलफनामा दाखिल करना दंडनीय अपराध है। अधूरा हलफनामा नामांकन रद्द होने का आधार भी बन सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि जानकारी का खुलासा न करने या भ्रामक जानकारी देने पर चुनाव को अमान्य घोषित किया जा सकता है।


