सतीश चंद्र मिश्रा : कर्ज पुराण-1, भारत पर कर्ज और विपक्षी कउव्वे की कांव कांव….

मार्च 2004 के अंत तक भारत का कुल बाह्य ऋण (external debt) लगभग 113 बिलियन डॉलर था।
मार्च 2014 में यह 446 बिलियन डॉलर हो चुका था। यानि 10 साल के कांग्रेसी शासनकाल में भारत का विदेशी कर्ज 333 बिलियन डॉलर बढ़ा था।
मोदी सरकार के 11 वर्ष के शासनकाल के पश्चात्, मार्च 2025 में भारत का विदेशी कर्ज बढ़कर 736 बिलियन डॉलर हो गया था। यानि 11 साल के मोदी शासनकाल में भारत का विदेशी कर्ज 290 बिलियन डॉलर बढ़ा था।
और अधिक आसानी समझना हो तो इसे ऐसे समझिए कि कांग्रेसी शासनकाल में भारत पर औसतन 33 बिलियन डॉलर कर्ज बढ़ा। जबकि , मोदी शासनकाल में औसतन 26.36 बिलियन कर्ज बढ़ा। यानि मोदी शासनकाल की तुलना में कांग्रेसी शासनकाल में प्रतिवर्ष औसतन 25 प्रतिशत अधिक कर्ज बढ़ा।
उपरोक्त संदर्भ में यह भी ध्यान रखना होगा कि, कांग्रेसी शासनकाल में देश में क्या हुआ, देश को क्या मिला… और मोदी शासनकाल में देश में क्या हुआ, देश को क्या मिला…
क्योंकि अंतर बताने वाली सूची बहुत लंबी है… इसलिए केवल 3 उदाहरण दे रहा हूं…
1. आधिकारिक आंकड़ों (TRAI और विभिन्न रिपोर्ट्स) के अनुसार, 2014 में 20 करोड़ इंटरनेट यूजर्स के लिए प्रति GB की औसत कीमत ₹269 थी। आज (दिसंबर 2025) में 100 करोड़ इंटरनेट यूजर्स के लिए 1GB डेटा की प्रभावी कीमत औसतन ₹9 से 12 प्रति GB है।

2. आज भारत 80 करोड़ लोगों को भोजन सामग्री मुफ्त दे रहा है। कांग्रेस शासनकाल में एक व्यक्ति को नहीं मिलती थी।

Veerchhattisgarh

3. भारत 4 करोड़ गरीब लोगों को मोदी शासनकाल में घर बनाकर दे चुका है, जबकि 1985 से 2014 तक 29 साल में 85 लाख लोगों को इंदिरा आवास दिए गए थे।
ऐसे ही लगभग 100 से अधिक अंतर अन्य भी हैं, आप स्वयं ध्यान करें…
लेकिन विपक्षी कउव्वे क्योंकि ग़ज़ब हुड़दंग कर रहे हैं, कांव कांव कर रहे हैं कि, मोदी ने भारत को कर्ज में डूबो दिया, इसलिए उन विपक्षी कउव्वों के इलाज के लिए यह बताना जरूरी था।
विपक्षी कउव्वों के कर्ज़ पुराण के जवाब की यह पहली किस्त है। अगली और अंतिम किस्त कल शाम तक, जो इन विपक्षी कउव्वों की कालिख को और ज्यादा गहरा कर देगी… बात करूंगा आंतरिक ऋण (घरेलू कर्ज) की… जिसको लेकर विपक्षी कउव्वे भारत पर 200 लाख करोड़ से अधिक कर्ज़ होने की कांव कांव लंबे अरसे से कर रहे…
अगली किस्त के साथ मिलते हैं कल…

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