डॉ. भूपेंद्र सिंग : वामपंथी इतिहास लेखन.. चाणक्य के विरुद्ध षड्यंत्र…
चाणक्य अथवा कौटिल्य वास्तव में कोई व्यक्ति चंद्रगुप्त के साथ थे या नहीं, बामपंथी इतिहासकारों के लिए यह मूल विषय है ही नहीं। ये सारा विमर्श इसलिए चलाया जा रहा है कि यह स्थापित किया जा सके कि मौर्य साम्राज्य के निर्माण में किसी ब्राह्मण व्यक्ति की भूमिका नहीं थी।

यदि यह स्थापित हो जाएगा तो जातीय बंटवारे के लिए चाणक्य और चंद्रगुप्त के उदाहरण को मिटाया जा सकता है। यदि चाणक्य नाम का यह व्यक्ति किसी और जाति से होता तो उसे मिटाने के लिए उतने प्रयास नहीं होते, जितना उसके ब्राह्मण होने के कारण किया जा रहा है।
यह बात सत्य है कि चाणक्य को साबित करने के लिए कोई समकालीन साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं लेकिन प्रत्येक ग्रीक साहित्य इस बात को स्पष्ट करता है कि चंद्रगुप्त (सेंड्रकोट्टस) को नंद वंश के ख़िलाफ़ मज़बूत प्रतिकार करने में एक ब्राह्मण मंत्री/ सलाहकार ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अब उस ब्राह्मण मंत्री का नाम चाणक्य था या रमेश, सुरेश, दिनेश या महेश, इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। वामपंथी जिस एजेंडे के तहत चाणक्य पर हमला कर रहे हैं, वह एजेंडा कभी भी पूर्ण नहीं हो सकता क्यूंकि ग्रीक साहित्य में यह लगभग 2000 साल से स्थापित सत्य है और चंद्रगुप्त को नंद वंश के ख़िलाफ़ उठ खड़े होने में ब्राह्मण सलाहकार की भूमिका थी।
ब्राह्मणों के भीतर बैठे उन तत्वों का प्रतिकार और विरोध करना तो मुझे समझ आता है जो जन्म आधारित भेद दृष्टि को सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से स्थापित करने का प्रयास करके समाज को बाटने और हिंदू द्रोह करने का पाप करते हैं लेकिन ब्राह्मणों को इतिहास से मिटाने का प्रयास निंदनीय है। ब्राह्मणों ने अपने साहित्य, दर्शन और कर्मकाण्डों के माध्यम से भारत भूभाग को एक राष्ट्र की पहचान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नस्लीय आधार पर भारत के अलग अलग छोर पर रहने वाले लोग यदि किसी एक कारण से एक संस्कृति के नज़र आते हैं तो वह है ब्राह्मणजनित कर्मकांड।


