टीशा अग्रवाल : परफेक्ट फेमिली..अधिकारों की नहीं कर्तव्यों-दायित्वों की बात

महिलाओं को स्वयं महिलाओं से आजादी, उन्मुक्तता, प्रशंसा चाहना चाहिए! उनसे जलन, कुढ़न, प्रतिस्पर्धा से मुक्ति मांगनी चाहिए…जबकि वह यह सब पुरुषों से चाहती हैं।

पुरुषों से महिलाओं को स्वीकार्यता, सहजता और निष्पक्षता चाहना चाहिए… जबकि वह यह सब घर की महिलाओं से चाहती हैं।

Veerchhattisgarh

महिलाएं अगर नौकरी करें तो उनसे सुपर वुमन बनने की अपेक्षा, और अगर वह घर के कार्य करें तो उनसे आत्मनिर्भर बनने की अपेक्षा पुरुषों को नहीं करनी चाहिए।

महिलाएं अगर कमाएं तो स्वयं के लिए और पुरुष कमाए तो परिवार के लिए…महिलाओं को यह अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।

परफेक्ट फेमिली वो होती है जहाँ सभी अपने अधिकारों से पहले कर्तव्यों और दायित्वों को समझते हैं।

हर दिन न महिला का दिन हो सकता है और न ही हर दिन पुरुष का दिन। अच्छे दिन तालमेल से बनते हैं।

बाकी तो…

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *