फर्जी आधार-पैन कार्ड, भाग-01 : कलेक्टर चलाएंगे हंटर.. लैंको, बालको, एनटीपीसी और.. संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े त्रिपाठी के आरोप गंभीर
क्या कलेक्टर और जिला प्रशासन ठोस कार्रवाई की दिशा में आगे बढ़ेंगे..?
नवपदस्थ कलेक्टर और पुराना सवाल: बाहरी मजदूर, फर्जी पहचान और प्रशासन
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कोरबा। नवपदस्थ कलेक्टर कुणाल दुदावत कोरबा के 19 वें कलेक्टर बने हैं और अंकज्योतिष की दृष्टि से इस अंक से वे सूर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य जो चारों ओर से प्रकाश देते हैं न की दिए तले अंधेरा की स्थिति होती है।
श्री कुणाल की सबसे बड़ी खासियत यही रही है कि ब्यूरोक्रेसी जब बैकफुट पर मानी जाती रही, उस दौर में भी वे जहां-जहां पदस्थ रहे, वहां रिज़ल्ट-ओरिएंटेड कार्यशैली के जरिए अपनी अलग और ठोस पहचान बनाने में सफल रहे। दबाव, सिफारिश और राजनीतिक समीकरणों के बीच भी निर्णय लेने का साहस और जमीनी स्तर पर उत्कृष्ट कार्य की क्षमता ही है जो उन्हें भीड़ से अलग खड़ा करती है।
ऐसे अधिकारियों की मौजूदगी यह विश्वास जगाती है कि प्रशासन केवल फाइलों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि परिणाम सड़क, गांव और जनता तक दिखाई देंगे।

उनके पदस्थ होने से यह भी आस बंधी है कि कोरबा जिले के औद्योगिक संयंत्रों लैंको, बालको, एनटीपीसी, सीएसईबी आदि में कार्यरत श्रमिकों, कर्मचारियों के आधार कार्ड, पैन कार्ड के सत्यापन के लिए जिला प्रशासन द्वारा कड़ी कार्यवाही शुरू की जाएगी।
देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदेश के बाहर से आये कार्यरत बाहरी मजदूरों, कर्मचारियों के आधार और पैन कार्ड को लेकर लंबे समय से गंभीर प्रश्न उठते रहे हैं। औद्योगिक विकास के नाम पर देश-प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से मजदूरों को लाकर काम कराया जाना सामान्य प्रक्रिया मानी जाती रही है, लेकिन अब जिस तरह पूरे देश में दस्तावेज़ों की प्रामाणिकता को लेकर चर्चाएं तेज़ हुई हैं, उसने स्थानीय स्तर पर भी औद्योगिक संयंत्रों के प्रमुखों के साथ ही प्रशासन की भूमिका को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।

सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या कलेक्टर और जिला प्रशासन इस दिशा में अब ठोस और निर्णायक कार्रवाई करेंगे..?

