अमित भाई शाह.. चाय से लेकर समस्या तक सबको “ठंडा” करके ही निपटाते हैं

साल 2019 । अमित शाह देश के गृहमंत्री बने  । उनकी प्राथमिकता सूची में नक्सलवाद को खत्म करना प्रमुख था । लेकिन अमित शाह की एक आदत है वह किसी भी कार्य को सोच समझ कर , थोड़ा समय लेकर करते है । चाय से लेकर समस्या तक सबको “ठंडा” करके ही निपटाते हैं अमित भाई शाह !
तो लगभग 3 वर्षों तक उन्होंने नक्सलवाद को लेकर पूर्ण अध्ययन किया और उसके पश्चात उन्होंने पाया कि इसे खत्म करने के लिए सबसे पहले इनके फंडिंग चैनल और इनको वैचारिक आधार प्रदान करने वाले अर्बन नक्सलियों को रोकना होगा । अमित शाह की टीम 3 वर्षों तक लगातार शांति के साथ इस पर कार्य करती रही और एक ठीक-ठाक सफलता भी अर्जित की ।
उसके पश्चात आया वर्ष 2022 । एक बड़े स्तर पर ऑपरेशन शुरू किया गए । एकाएक बड़ी संख्या में नक्सली खत्म होने लगे । उनके आत्मसमर्पण होने लगे । नक्सलियों के आका भौंचक्के रह गए । बदले में कुछ हमले सुरक्षा बलों पर भी हुए । सुरक्षा बलों को हानि भी उठानी पड़ी । लेकिन माओवादी नक्सलवाद तेजी से खात्मे के कगार पर पहुंचने लगा । लेकिन अमित शाह की गहन पैनी नजर और निर्णय लेने की क्षमता ने माओवादी नक्सलियों के पैर उखाड़ दिए ।  इसे इस एक घटना से आप समझ सकते ।
सुरक्षा बलों की बढ़त को रोकने के लिए 2022 में माओवादियों ने जंगल में जगह-जगह जहर बुझे लोहे की कीलें लगानी शुरू कर दी, जो जूते को पार जवानों के पैर को घायल कर देता था। जहर फैलने के कारण इसकी चपेट में आए चार-पांच जवानों के पैर काटने पड़ गए।
जब अमित शाह को इसकी जानकारी मिली तो उन्हें ऑपरेशन रूकवा दिया और सेंसर लगे विशेष जूते बनवाकर जवानों को उपलब्ध कराया, जो लोहे की कील से उन्हें सचेत कर देता था। इसके बाद सुरक्षा बलों ने पूर्ण ताकत के साथ उनका सफाया कर दिया ।
आजादी के बाद से पुलिस और प्रशासन के लिए अबूझ बना रहा छत्तीसगढ़ का अबूझमाड़ जिला और बस्तर से माओवादियों का सफाया आसान काम नहीं था। लेकिन गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह की दृढ़ इच्छाशक्ति, सटीक रणनीति और धैर्य ने इसे संभव बना दिया।
माओवादियों की फंडिंग रोकने से लेकर उनके बारे में जानकारी जुटाने के लिए खुफिया तंत्र तैयार करने, सुरक्षा की खाई (सिक्यूरिटी गैप) को पाटने के लिए अग्रिम सुरक्षा चौकियों (एफओबी) की स्थापना और सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक तकनीक और साजो सामान से लैस करने तक की रणनीति बनाने में अमित शाह की सक्रिय भागीदारी थी। इसी ने सफलता की पटकथा लिखी । आज पूरा देश वर्ष 2026 को नक्सलवाद के खात्मे के तौर पर देख रहा है । कुछ खबरें तो यह भी है कि दिसंबर 2025 के अंत तक ही नक्सलवाद और माओवादी दम तोड़ देंगे।
ये विशेष घटना आपसे इसलिए शेयर की क्योंकि आज उन्हीं अमित शाह जी का आज जन्मदिन है ।  आज उनके जन्मदिन पर आपको एक दिलचस्प बात और भी बताता हूँ।  इस बात में में पहले तो यह कि अमित शाह को चाय पीना बेहद पसंद है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि शाह को चाय को ‘ठंडा” करके पीने की आदत है, शाह कभी गर्म चाय नहीं पीते। चाहे कितनी भी जल्दी क्यों ना हो..वो चाय को हमेशा ‘ठंडी’ करके ही पीते हैं। लगता है इसी ‘गर्म’ चाय को ‘ठंडा’ करके पीने में ही अमित शाह के जीवन का दर्शन छुपा है, जिसकी चर्चा मैने इस लेख की शुरुआत में की थी ।
ठंडी चाय पीने वाले इन्ही अमित शाह ने 90 के दशक में ही अहमदाबाद के एक रेस्टोरेंट के बाहर नरेंद्र मोदी से कह दिया था कि “नरेंद्र भाई देश का पीएम बनने के लिए तैयार हो जाइए.”  आश्चर्य की बात यह कि उस वक्त नरेंद्र भाई सीएम भी नहीं थे ।
अमित भाई शाह का आज 61वां जन्मदिन है। 22 अक्टूबर 1964 को जन्मे अमित शाह ही वह शख्स हैं जिन्होंने भाजपा को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया। पार्टी अध्यक्ष के तौर पर साल भर में 110 दिन का टूर करने वाले पहले आदमी भी अमित शाह ही थे। गलती करने पर सांसदों और विधायकों को खूब लताड़ने का कार्य भी किसी अध्यक्ष ने किया तो वो शाह ही थे।
कहते हैं पार्टी के प्रति अंदरूनी निष्ठा न रखने वाले कई नेता इनसे मिलने के बाद रोते हुए बाहर निकलते थे ।
कुशल संगठक, श्रेष्ठ रणनीतिकार, अद्वितीय राजनीतिक प्रतिभा के धनी, केन्द्रीय गृह मंत्री माननीय श्री अमित शाह जी को जन्मदिवस की आत्मीय बधाई!  आप स्वस्थ रहें और शतायु हों ।
हैप्पी बड्डे अमित शाह जी !!!!!
सादर
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साभार- सुधांशु तक।।
चित्र इंटरनेट से साभार।

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