परसाभांठा विकास समिति का आंदोलन.. बालको की वादाखिलाफी..! ..प्रशासन का बना सिरदर्द.. ये हो सकता है स्थाई हल…

कोरबा। परसाभाठा विकास समिति के नेतृत्व में बालको प्रबंधन की वादाखिलाफी के विरुद्ध प्लांट के सभी गेट के सामने शुक्रवार की दोपहर से प्रदर्शन कर रहे हैं। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक स्थिति यथावत है। आक्रोशित आंदोलनकारियों ने प्लांट के प्रवेश द्वारों को पूरी तरह बंद कर दिया है। जिससे बाहर के लोग बाहर हैं और अंदर कार्यरत लोग अंदर ही हैं , जिससे काम प्रभावित हो रहा है।

उल्लेखनीय है कि बालको नगर में चक्काजाम के दौरान लिखित आश्वासन के कई माह बाद भी अन्य विषयों सहित परिवहन कर रहे भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक सड़क बनाने का वादा बालको प्रबंधन भूल गया, जिससे स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए हैं। स्थानीय लोग अब आंदोलन पर उतर गए हैं।

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दीवार तोड़कर रास्ता निकाला.. अनहोनी होने पर

जिम्मेदारी किसकी??

गेट से कर्मचारियों और ठेका मजदूरों का अंदर आना-जाना बंद कर दिया गया है। विकल्प के रूप में बालको से बजरंग चौक की ओर जाने वाले रास्ते में बालको की दीवार का एक छोटा सा हिस्सा तोड़कर कुछ लोगों ने अपने आने-जाने का रास्ता बना लिया है। प्रश्न यह उठता है कि अगर इस रास्ते से कोई असामाजिक तत्व भीतर चला गया और किसी तरह की अनहोनी हो गई तो उसका जिम्मेदार कौन होगा??

परसभांठा से लेकर रिसदा चौक तक ट्रकों का जमावड़ा

बना सरदर्द

परसभांठा से लेकर रिसदा चौक तक सैकड़ों ट्रकों की अनियमितता से कतार लगी हुई है। कतारें ऐसी है कि कार तो दूर की बात है, स्कूटर, मोटरसाइकिल का निकलना भी दुष्कर हो गया है। ऐसे में सबसे अधिक परेशानी उन लोगों को हो रही है जो चाम्पा या दर्री की ओर से होकर इस रास्ते का उपयोग करते हैं।

बालको की वादाखिलाफी बना प्रशासन का सिरदर्द..!

ऐसे में कैसे विश्वास जीतेगा बालको प्रबंधन..?

बार-बार आंदोलन की स्थिति निर्मित होने से जिला प्रशासन के लोगों को भी मोर्चा संभालने के लिए सामने आना पड़ता है, इससे जिला प्रशासन का कामकाज भी बुरी तरह से प्रभावित होता है। एसडीएम या तहसीलदार की उपस्थिति से न्यायालयीन कार्य भी आगे बढ़ जाते हैं। ऐसे में पक्षकारों को अगली सुनवाई के लिए फिर तारीख दे दी जाती है। आंदोलन में उपस्थिति से दूर क्षेत्रों से आये पक्षकारों को सर्वाधिक समस्या होती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बालको नगर में चक्काजाम के दौरान लिखित आश्वासन के कई माह बाद भी स्थानीय लोगों को रोजगार, राखड़ परिवहन कर रहे भारी वाहनों के लिए वैकल्पिक सड़क बनाने का वादा बालको प्रबंधन भूल गया, जिससे सीधे-सादे तरीके से जीवन बिताने वाले स्थानीय लोग आक्रोशित होकर आंदोलन पर उतर आए हैं।
बालको ने कोई समझौता पूर्व में आंदोलनकारियों के साथ किया है तो बालको प्रबंधन को उस समझौते का समय सीमा के स्थान पर समय सीमा से पूर्व ही पालन करते हुए स्थानीय नागरिकों का विश्वास जीतने की दिशा में एक कदम स्वयं ही आगे बढ़ाना चाहिए था।

अब आंदोलन की स्थिति को लेकर पुलिस प्रशासन भी चौकस है लेकिन एक प्रकार से पुलिस प्रशासन की परेशानी बालको के कारण बढ़ी है। जिला मुख्यालय बालको से लगभग 2-3 किलोमीटर की ही दूरी पर स्थित है, ऐसे में बार-बार इस प्रकार से आंदोलन की स्थिति का निर्मित होना कतई शुभ नहीं कहा जा सकता है।

धूल से बरसती बीमारियों की सौगात के बीच दुर्घटनाओं की आशंकाओं के बीच जीते लोग

 

गंभीर दुर्घटनाओं के कुस्वप्नो के बीच चलता है जीवन


पूर्व में भी सड़क व्यवस्था को लेकर स्थानीय नागरिकों द्वारा कई बार आंदोलन किया गया है लेकिन सड़क पर उठते धूल से बरसती बीमारियों की सौगात के बीच दुर्घटनाओं की आशंकाओं के बीच लोगों को विश्वास था कि स्थिति में सुधार होगा लेकिन ऐसा नहीं होने पर स्थानीय लोगों के सब्र का बांध भी टूट गया और वे सड़क पर अंतिम रूप से आ गए हैं।

ऐसे हो सकता है सड़क अव्यवस्था का

स्थाई व्यवस्थित समाधान

प्रशासन की पहल पर बालको प्रबंधन अगर सहयोग करे तो लगातार सड़क पर उड़ते हुए धूल, दुर्घटनाओं की आशंकाओं के बीच आवागमन करते लोगों को सदा के लिए मुक्ति मिल सकती है।

ये हो सकता है स्थाई समाधान

बालको प्लांट के लिए जितने भी भारी वाहनों का आवागमन दर्री से बालको की ओर होता है उन्हें बजरंग चौक से प्लांट के भीतर प्रवेश कराया जाना चाहिए और इसके साथ ही चांपा की ओर से आने वाले वाहनों को रिसदाचौक से सीधे बालको प्लांट के भीतर प्रवेश कराया जाना चाहिए।

स्वयं के रास्ते का उपयोग कर सकता है प्रबंधन

जल शोधक संयंत्र के पास के गेट से निकल सकता है रास्ता

बालको के पास अपना स्वयं का रास्ता है, जिसका बेहतर उपयोग वो चाहे तो कर सकता है। बालको प्रबंधन के पास भारी वाहनों के आवागमन के लिए अपनी स्वयं की व्यवस्था है जिससे अपने रास्ते का उपयोग करने पर आम रास्ते का उपयोग नहीं करना पड़ेगा और सदा के लिए सड़क को लेकर आंदोलन की स्थिति भी समाप्त हो जाएगी।
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प्रशासन की पहल पर बालको प्रबंधन अगर सहयोग करे तो लगातार सड़क पर उड़ते हुए धूल, दुर्घटनाओं की आशंकाओं के बीच आवागमन करते लोगों को सदा के लिए मुक्ति मिल सकती है।
बजरंग चौक के पास से प्लांट के भीतर जाने का रास्ता

बालको प्लांट के लिए जितने भी भारी वाहनों का आवागमन दर्री से बालको की ओर होता है उन्हें बजरंग चौक से प्लांट के भीतर प्रवेश कराया जाना चाहिए और इसके साथ ही चांपा की ओर से आने वाले वाहनों को रिसदाचौक से सीधे बालको प्लांट के भीतर प्रवेश कराया जाना चाहिए।
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