अमित सिंघल : कोंग्रेसियों को पता था कि वह भ्रामक है, लेकिन फिर भी ऐसा दुष्कृत्य किया
कुछ वर्षो से देखता आ रहा हूँ कि लोग भ्रामक समाचार, पोस्ट, वीडियो, कृत्रिम बुद्धि से “निर्मित” फोटो या वीडियो इत्यादि को शेयर करते है।
भ्रामक समाचार, पोस्ट, वीडियो, रूपांतरित वीडियो इत्यादि को शेयर करना एक गंभीर चिंता का विषय है।
कई बार सोशल मीडिया में “मित्रगण” या अन्य लोग कुछ भ्रामक पोस्ट कर देंगे या रूपांतरित वीडियो डाल देंगे। जब इंगित किया जाता है तो कह देते है कि उन्हें पता है कि “यह” असत्य है या भ्रामक है, लेकिन दिनभर के तनाव से मुक्ति पाने के लिए या फिर हंसी-ठिठोली में ऐसा पोस्ट कर दिया। कुछ लोग पोस्ट हटा लेते है, अधिकतर नहीं।
चलिए, यह तो आम नागरिक समूह है। मुझे क्रोध आता है, कुछ से अलग भी हो लेता हूँ, फिर भी ऐसी भ्रामक पोस्ट की पहुंच सीमित रहती है।
लेकिन जब वही भ्रामक पोस्ट, क्लिप, कृत्रिम बुद्धि से “निर्मित” फोटो या वीडियो किसी राष्ट्रीय दल के नेता एवं प्रवक्ता करते है, विपक्ष के नेता करते है, तब यह केवल गंभीर चिंता का विषय नहीं रह जाता है।
ऐसा नहीं है कि राष्ट्रीय दल के नेता एवं प्रवक्ता अज्ञानता में ऐसा वीडियो पोस्ट कर रहे है। नहीं, उनके निर्देश पर जानबूझकर ऐसे वीडियो बनाए जा रहे है, पोस्ट किये जा रहे है। क्योकि वे चाहते है कि देश में धरना, प्रदर्शन, अशांति एवं असुरक्षा बढ़े।
उदाहरण के लिए, कांग्रेसियों द्वारा बनाया गया अमित शाह का संसद में दिए गए सम्बोधन का भ्रामक क्लिप। पूरा सम्बोधन तो छोड़िये, अगर उस विषय वस्तु पर 30-35 सेकंड की क्लिप सुनेंगे, तो स्पष्ट है कि अमित शाह बाबा साहेब अंबेडकर के सम्मान एवं समर्थन में बोल रहे थे। यहाँ तक कि जब वह वक्तव्य दिया गया था, तब सभी कोंग्रेसी चुप थे; नहीं तो वे लोग सदन की कार्यवाई नहीं चलने देते।
लेकिन कोंग्रेसियों ने केवल 12 सेकंड का क्लिप काटकर प्रसारित किया कि अमित शाह ने अंबेडकर का अपमान कर दिया। कोंग्रेसियों को पता था कि वह भ्रामक है, लेकिन फिर भी ऐसा दुष्कृत्य किया।
यही स्थिति केजरीवाल की है। कृत्रिम बुद्धि से “बाबा साहेब” का वीडियो बनाकर प्रसारित किया कि “अंबेडकर” केजरीवाल का समर्थन कर रहे है। फिर केजरीवाल के विरोधियों ने भी उसी क्लिप का रूपातंरण करके “बाबा साहेब” द्वारा केजरीवाल की पिटाई दिखा दी।
ऐसी भ्रामक समाचार, पोस्ट, वीडियो एक महामारी का रूप ले रही है। ऐसे नेतागण यह समझना नहीं चाहते है कि कृत्रिम बुद्धि के टूल, क्लिप काटने का टूल, आम जनता को भी उपलब्ध है। यहाँ तक कि मोबाइल से भी ऐसी क्लिप या फोटो बनाई जा सकती है। वर्णन करने की आवश्यकता नहीं है, अगर जनता “अपनी” पर आ गयी, तो ऐसे नेतागण को मुंह छुपाने की जगह भी नहीं मिलेगी।
झूठ बोलने वाला सच्चाई छुपाने का प्रयास करता है, वह हमें वास्तविकता से दूर ले जा रहा है। अतः उनका प्रभाव सीमित होता है।
इसके विपरीत, क्लिप कटुवो एवं कृत्रिम बुद्धि से फर्जी वीडियो बनाने वालो के लिए सत्यता का कोई मायने नहीं है; उसका उद्देश्य न तो सच बोलना और न ही सच छिपाना है। उसकी निगाह तथ्य पे है ही नहीं। उसे परवाह नहीं है कि वह जो कहता हैं, वह वास्तविकता का वर्णन है। उसे तो बस कोई भी विषय उठा लेना है, या उसका काल्पनिक सृजन कर लेना है, जिससे उसका स्वार्थ पूरा हो सके।
