किसान आंदोलन : कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना..जयराम शुक्ल
किसान गुस्साए क्यों हैं..? अव्वल तो यह कि यह आंदोलन पंजाब-हरियाणा का है। इसमें वास्तविक किसानों का सरोकार कितना है
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Read moreहम अतीतजीवी हैं। वर्तमान के हर बदलाव को विद्रूप बताते हुए उस पर नाहक ही लट्ठ लेकर पिल पड़ते हैं।
Read moreदुनिया की कोई समस्या जान से बड़ी नहीं होती… कोरबा के जिला चिकित्सालय में वर्ष 2014 से बतौर मेडिकल ऑफिसर
Read moreरामधारी सिंह दिनकर नेहरू के करीबी माने जाते थे। प्रधानमंत्री रहते हुए पंड्डिजी ने ही उन्हें राष्ट्रकवि का खिताब बख्शा
Read moreकहते हैं कि हमारा समाज धर्मभीरु है। उसकी रक्षा के लिए हम किसी पराकाष्ठा तक जा सकतें हैं। यदि ऐसा
Read moreहैसियत का मतलब औकात नहीं होता..जनाब। प्रशांत भूषण की हैसियत अरबों रुपयों की है पर औकात..? सिर्फ ..एक रुपये की।
Read moreतीज त्योहारों की तरह हर साल शिक्षक दिवस भी आता है। पूजाआराधना में जैसे गोबर की पिंडी को गणेश मानकर
Read more“दद्दा ध्यानचंद क्या थे यह नई पीढ़ी को मालूम होना चाहिए। वे सचिन की तरह भगवान नहीं बल्कि बेहद मामूली
Read moreलालकिले की प्राचीर पर पंद्रह अगस्त को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार सातवीं बार तिरंगा ध्वज फहरा रहे थे तब
Read more“लोकतंत्र 51 बनाम 49 का खेल नहीं है । लोकतंत्र मूलतः परंपराओं, सहयोग और सहिष्णुता के आधार पर सत्ता में
Read moreराम और कृष्ण में यही बुनियादी फर्क है। राम लक्ष्यधारी थे और कृष्ण चक्रधारी। चक्र के निशाने पर दसों दिशाएं
Read more“रामायण कथा वनवासियों के पराक्रम और अतुल्य सामर्थ्य की कथा है, जिसमें उन्होंने राम के नेतृत्व में पूंजीवाद, आतंकवाद के
Read more(जब आप औरो के लिए ईश्वर से, प्रकृति से या किसी से भी मांगते हैं तो आपको ज्यादा मिलता है।कैसे
Read more(सच्चाई की राह मनुष्य के सम्मान , प्रतिष्ठा और आत्म गौरव के लिए एक कवच के समान होती है। सत्य
Read more(हरि आकाश से अनंत..हरि कथा अनंत, श्रीराम से बढ़कर है राम नाम..बता रहेें हैं आदरणीय जयराम) 2077, भाद्रपद कृष्णपक्ष द्वितीया,
Read more(महान चरित्रों का पूजन करना और उनके आदर्शों का अनुकरण करना,उनके बताए गए नीतिगत मार्ग को follow करना 2 भिन्न
Read more(नई शिक्षा नीति को लेकर प्रस्तुत है शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके संतोष पांडे (graduated Chemistry
Read more(संदर्भ:डा.गोविंदनारायण सिंह जन्मशती) (रचनात्मक लेखन के साथ लोगों को जागरूक करना कौशल है।रचना कई बार कल्पना के आधार पर की
Read more(क्या पता कल न हो भोगना..आज कोरोना..कल पता नही किस बात का फिर हो जाए रोना…वर्तमान राजनीति पर चिंतक जयराम
Read moreअपना क्या है इस जीवन में सब तो लिया उधार.. सारा लोहा उन लोगों का अपनी केवल धार… (अद्भुत, ऊर्जावान
Read more(सामाजिक, राजनीतिक तमाम मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात विभिन्न मंचो पर रखने वाले अजय कुमार झा का बतौर अतिथि
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