श्रीमद् देवी भागवत (6) : पं. राजकुमार शर्मा बोले “गायत्री मंत्र जप करने एवं शिव पार्वती के आचरण पर चलने वालों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है.. “
कोरबा। गायत्री मंत्र की महिमा का बखान करते हुए श्रीमद् देवी भागवत कथा पुराण के छठवें दिवस पं. राजकुमार शर्मा ने कहा कि गायत्री मंत्र को सर्वश्रेष्ठ मंत्रों में से एक माना जाता है।इसके जप से मन के दुख, द्वेष, पाप, भय, शोक जैसे नकारात्मक विचारों का अंत होता है, बुद्धि प्रखर होती है, तेज बढ़ता है और सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आज के प्रसंग में उन्होंने सत्यव्रत, त्रिशंकु, श्रवण कुमार और राजा हरिश्चन्द्र के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी विस्तार से उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया।
पं. राजकुमार शर्मा ने शिव-पार्वती विवाह के प्रसंग की कथा सुनाते हुए पूज्य कहा कि शिव पार्वती विवाह की महिमा बड़ी अद्भुत है। वैदिक रीति रिवाज से विवाह संपन्न कराकर पर्वत राज हिमांचल ने हाथ में कुश लेकर तथा कन्या का हाथ पकड़ कर उन्होंने अपने पुत्री भवानी को शिवजी को समर्पण किया।
पानि ग्रहण जब कीन्ह महेशा ।
हिय हरशे तब सकल सुरेशा ।।
वेद मंत्र मुनिवर उच्चरही ।
जय जय जय शंकर सुर करही ।।
पं. राजकुमार शर्मा ने कहा कि जब शिवजी ने पार्वती का पाणी ग्रहण किया, तब सब देवता हृदय से बड़े हर्षित हुए और श्रेष्ठ मुनिगण वेद मंत्रों का उच्चारण करने लगे और देवता शिवजी की जय-जय करने लगे। अनेक प्रकार के बाजे बाजने लगे आकाश से अनेक प्रकार के फूलों की वर्षा होने लगी।
इस तरह शिव पार्वती का विवाह संपन्न हो गया। सारे ब्रम्हांड में आनंद भर गया। अनेक प्रकार की वस्तुएं शुभ शगुन के रूप में दहेज।दिया गया जिसका वर्णन नहीं हो सकता है।
पं. राजकुमार शर्मा ने कहा कि शिव पार्वती विवाह के पावन चरित्र कथा को जो भी मनुष्य सुनता, पढ़ता, गाता और कहता है, उसको अपने आचरण में उतरता है। उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं उसे धन्यादि, पुत्रादि एवं विद्या आदि की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।
आज शिव पार्वती प्रसंग पर कथास्थल पर विभिन्न अलौकिक झांकियां एवं साक्षात शिव बारात के समान वेशभूषा में बारातियों की मनोहर झांकियों के अद्भुत दर्शन दिखाए गए और विधिवत तरीके से ब्राह्मण पंडितों के द्वारा वेद मंत्रों एवम वैदिक रीति से शिव पार्वती का विवाह संपन्न कराया गया। जिसमें शिव तांडव, ढोल ताशो की गर्जना एवं फूलों की होली शिव पार्वती विवाह के महोत्सव में बहुत ही आकर्षक एवं आनंद देने वाला रहा।जिसमें लोग मंत्रमुग्ध होकर झूमते गाते और नाचते हुए आनंद लेते रहे।