श्रीमद् देवी भागवत (4) : पं. राजकुमार शर्मा बोले “जीवन में सफल लोग आदिशक्ति की आराधना से जुड़े है ” 

कोरबा।  ” मां आदिशक्ति ने दुर्गा के रूप में अवतार लिया था। जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। दुनिया में जितने भी सफल लोग हैं वे किसी न किसी रूप में मां दुर्गा की अराधना से जुड़े हुए हैं” इसके लिए उन्होंने भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहा कि वे नवरात्र के दौरान मात्र नींबू पानी पर ही आश्रित रहते हैं, इसके साथ ही श्रीमद् देवी भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस व्यास पीठ से पंडित श्री राजकुमार शर्मा जी ने मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों पर विस्तार से बताया।

श्रीमद् देवी भागवत कथा के चौथे दिवस आचार्य पं. राजकुमार शर्मा जी ने भगवती ने महिषासुर के संहार के वर्णन का प्रसंग सुनाया। उन्होंने श्रीमद् देवी भागवत महापुराण की कथा के चौथे दिन, महिषासुर जन्म कथा, देवी के प्रादुर्भाव संवाद की व्याख्या की। कथा में म आदिशक्ति का वर्णन होते ही श्रद्धालु देवी मां के जयकारों के साथ झूम उठे। कथा वाचन के दौरान झांकियों ने श्रोताओं को खूब आनंदित किया।

श्रीमद् देवी भागवत कथा के चौथे दिवस आचार्य पं. राजकुमार शर्मा जी ने भगवती ने महिषासुर के संहार के वर्णन का प्रसंग के दौरान उन्होंने घर में बेटियों के होने की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि बेटियां को दुहति कहा गया क्योंकि उन पर दो कुलों की मर्यादा का रक्षा का भार होता है।जिस घर के आंगन में कन्यादान नहीं होता वह आंगन कुंवारी माना जाता है।

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श्रीमद् देवी भागवत कथा की महिमा का बखान करते हुए पं. राजकुमार शर्मा ने कहा कि अठारह पुराणों में देवी भागवत पुराण उसी प्रकार सर्वोत्तम है, जिस प्रकार नदियों में गंगा, देवों में शंकर, काव्यों में रामायण, प्रकाश स्त्रोतों में सूर्य, शीतलता और आह्लाद में चंद्रमा, कर्मशीलों में पृथ्वी, गंभीरता में सागर और मंत्रों में गायत्री आदि श्रेष्ठ हैं। यह श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण सब प्रकार के कष्टों का निवारण करके आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। भक्तों को ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है।

पं. राजकुमार शर्मा ने कहा कि कलियुग में कि इसकी महिमा इतनी महान है कि नियमपूर्वक एक-आध श्लोक का उच्चारण करने वाला भक्त भी भगवती की कृपा का पात्र बन जाता है। जिन्हें परम तत्व कहा गया है, वे साक्षात स्वयं भगवती ही हैं। सभी प्रकार के यज्ञों से जिनकी आराधना की जाती है, वे एक भगवती ही हैं।

पं. राजकुमार शर्मा ने कहा कि कलियुग में कि इसकी महिमा इतनी महान है कि नियमपूर्वक एक-आध श्लोक का उच्चारण करने वाला भक्त भी भगवती की कृपा का पात्र बन जाता है। नवरात्र में में इसका श्रवण अधिक जीवन में शुभ मंगल को बढ़ाता है। इसलिए जितना भी समय मिले हमें मां भगवती के नाम का स्मरण करना चाहिए। इसके श्रवण करने तथा पाठ करने में समस्त प्राणियों को पुण्य प्राप्त होता है।

व्यासपीठ से कथा वाचक पं. राजकुमार शर्मा ने कहा कि सभी प्राणी जिनके भीतर स्थित हैं और जिनसे सम्पूर्ण जगत प्रकट होता है, जिन्हें परम तत्व कहा गया है, वे साक्षात स्वयं भगवती ही हैं। सभी प्रकार के यज्ञों से जिनकी आराधना की जाती है, वे एक भगवती ही हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रतिदिन दोपहर 3:30 बजे से श्रीमद् देवी पुराण रूपी ज्ञान गंगा का प्रवाह गुप्त नवरात्रि के पावन पर्व पर मां सिद्धिदात्री तीर्थ यात्रा सेवा समिति के प्रमोद साहू ,राहुल साहू आयोजकत्व में पुराना बस स्टैंड के पीछे लक्ष्मी निवास (बाड़ी) कोरबा में 30 जनवरी से 6 फरवरी तक किया जा रहा है।

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