दिलीप सी मंडल : राहुल गांधी.. इतिहास बोध कमजोर क्यों है..!

राहुल गांधी उन लोगों से इतिहास का गौरव भी छीन लेना चाहते हैं, जिनको आज दलित कहा जाता है। दलित पूर्ववर्ती बौद्ध हैं और उनका भारत पर लंबे समय तक शासन रहा है।

राहुल गांधी ने आज एक वीडियो जारी करके कहा है कि दलितों का तीन हज़ार साल तक शोषण हुआ है और इतिहास में सिर्फ 10 प्रतिशत (सवर्णों) का बखान है।

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एक तो इस संबंध में उनको रोमिला थापर, आर एस शर्मा, इरफ़ान हबीब और डीएन झा जैसे कांग्रेसी-वामपंथी सवर्ण अशराफ इतिहासकारों से बात करनी चाहिए।

इतिहास के टेक्स्ट बुक यही लोग लिख रहे थे। अभी भी यूनिवर्सिटी और यूपीएससी में इनका ही लिखा चल रहा है।

उनको शुरुआती शिक्षा मंत्रियों मौलाना आज़ाद, हुमायूं कबीर और मोहम्मद करीम छागला पर भी कुछ ज़िम्मेदारी डालनी चाहिए। और इनको शिक्षा मंत्री बनाने वाले नेहरू पर भी बात करनी चाहिए।

किताबें में आधे से ज्यादा इतिहास तो सल्तनत काल और मुगल काल का डाल दिया गया है।

कांग्रेस ने काशी प्रसाद जायसवाल जैसे महान इतिहासकार को सिर्फ पिछड़ी जाति और राष्ट्रवादी विचार के कारण किनारे लगा दिया था।

राहुल गांधी का इतिहास बोध भी कमज़ोर है। उत्तर भारत में 900 ईस्वी सन् तक तो ज़्यादातर हिस्से में बौद्ध शासन था। बौद्ध पाल राजा इस समय तक ढाका से लेकर कानपुर तक राज कर रहे थे। राष्ट्रकूट, कलचूरी आदि शासक भी बौद्धों को लेकर उदार थे। इससे पहले सातवाहन, कुषाण और इच्छ्वाकु जैसे विशाल साम्राज्य तो पूरी तरह बौद्ध वंशी थे। इससे पहले की कहानी मौर्य वंश तक जाती है।

फिर मुसलमानों का हमला हुआ। और फिर अंग्रेज़ और फिर कांग्रेसी आए।

तो ये दलितों के शोषण का तीन हज़ार साल कब शुरू हुआ और कब ख़त्म हुआ?

मैं इसकी विस्तृत व्याख्या सुनना चाहूँगा।
शोषण हुआ है। पर कब??

-श्री दिलीप सी मंडल के पोस्ट से साभार।

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