सुरेंद्र किशोर : “…वरना मेरी गोली तो है ही।’’ ..पर मोदीजी जरा…

मोदी ने पाकिस्तान से कह दिया है
‘‘सुख चैन से जिओ,रोटी खाओ,
वरना मेरी गोली तो है ही।’’
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पर,मोदी जी,जरा भितरघातियों के लिए
भी अपनी तीसरी आंख खेलिए
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उदारवादी ब्रिटिश इतिहासकार सर
जे.आर.सिली ने लिखा है कि
‘‘हमने भारत को नहीं जीता, बल्कि खुद भारतीयों ने
भारत को जीत कर हमारे प्लेट पर रख दिया।’’
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मध्य युग में भी यही हुआ था।
जब विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं ने भारत पर हमला किया तो यहां के तरह -तरह के लोगों ने लोभ-लालच में आकर उनका साथ दिया।उन लोगों ने सैकड़ों साल तक राज किया।
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आज भी वैसी ही विदेशी -देशी तत्वों की कोशिश जारी है।
पहलगाम का उदाहरण ताजा है।
धर्म पूछ कर मारा गया।अंग देखकर मारा गया।
वैसे यह तो यहां दसियों साल से हो रहा है।
मुस्लिम वोट लोलुप राजनीतिक दल,दिग्भ्रमित-गैर जानकार बुद्धिजीवी और भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों से मदद लेकर भीतर-बाहर के जेहादी तत्व भारत में इस्लामिक राज कायम करने की दिशा में बड़े पैमाने पर सकिय हंै।हाल ही में उन्होंने मुर्शिदाबाद से हिन्दुओं का भगाया।
इतिहास खुद को दोहरा रहा है।
मध्य युग और ब्रिटिश काल में भारत के जिस तरह के तत्वों ने विदेशियों की मदद की,उसी तरह के तत्वांे के बल पर बाहर -भीतर के जेहादियों का मनोबल आज भी बढ़ा हुआ हैै।
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आजादी के बाद बिगड़ता अनुपात
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सुप्रीम कोर्ट के वरीय वकील और पी.आई.एल.मैन अश्विनी उपाध्याय के अनुसार आजादी के बाद इस देश के नौ राज्यों से हिन्दू खत्म हो गये।
करीब आठ सौ में सेे करीब 200 जिलों से हिन्दू खत्म हो गये।
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ब्रिटिश इतिहासकार सर जे.आर
सिली की आत्म स्वीकृति
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ब्रिटिश इतिहासकार सर जे.आर.सिली (1834-1895)ने लिखा है कि ब्रिटिशर्स ने भारत को कैसे जीता।
मशहूर किताब ‘द एक्सपेंसन आॅफ इंगलैंड’ के लेखक सिली की स्थापना थी कि
‘‘हमने (यानी, अंग्रेजों ने) नहीं जीता,बल्कि खुद भारतीयों ने ही भारत को जीत कर हमारे प्लेट पर रख दिया।’’
चैधरी चरण सिंह ने सर जे.आर.सिली की पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद करवाकर बंटवाया था।
चरण सिंह ने एक तरह से हमें चेताया था कि यदि इस देश में गद्दार मजबूत होंगे तो देश नहीं बचेगा।पर,उनके अनेक अनुयायी नेता-कार्यकर्ता भी वोट लोलुप निकले।
वोट लोलुपों ने चरण सिंह की भी बात नहीं सुनी।वे अब भी किसी की नहीं सुन रहे।इस अभागे देश का पता नहीं ,क्या हश्र होने वाला है ?
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मध्य युग की कहानी
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मध्य युग में भी वीरता की कमी के कारण हम विदेशियों से नहीं हारे।
बल्कि आधुनिक हथियारों की कमी और आपसी फूट के कारण हारे।विदेशी छल का भी सहारा लेते थे।जैसे गजनवी अपनी सेना के आगे -आगे गायों का झुंड लेकर चलता था जिसपर हिन्दू सेना तीर नहीं चलाती थी।
हमारे राजा अपने पराजित विदेशी दुश्मन की माफी को बार-बार स्वीकार कर उसे बख्श देते थे।
पर, दुश्मन जीतने के बाद एक बार भी नहीं बख्शता था।
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आजादी के तत्काल बाद के हमारे हुक्मरानों ने यह सुनिश्चित किया कि ऐसा इतिहास लिखवाया जाए जिसमें हमारे देश के शूरमाओं के शौर्य और वीरता की चर्चा तक नहीं हो।
वे इस काम में सफल रहे।
इतिहासकारों का तर्क था कि इससे हिन्दुत्व पनपेगा।
यानी, भले दूसरा धर्म पनप जाए किंतु हिन्दुत्व न पनपे ?
यही थी वोट बैंक की रक्षा की उनकी रणनीति।
अब उनकी वह रणनीति फेल हो रही है।
पर, उसने अब तक देश का नुकसान तो कर ही दिया।
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आज की स्थिति क्या है ?
आज की स्थिति का पता ठीकठाक यानी ईमानदार अध्ययन
हो तो चल जाएगा।
वैसे वास्तविक स्थिति यह है कि आज इस देश में गद्दारों की संख्या मध्य युग और ब्रिटिश काल से भी काफी अधिक हो चुकी है।
जिन्हें मेरी बात पर विश्वास न हो,वे कम से कम निजी टी.वी.चैनलों के डिबेट्स को ही ध्यान से देख-सुन लें।
इस तरह आज उपस्थित भीषण व चैतरफा खतरों के समक्ष इस देश का भगवान ही मालिक है।
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पुनश्चः
नब्बे के दशक की बात है।तब लोक सभा चुनाव हो रहा था।
एक एकांगी सेक्युलर दल के तथाकथित सेक्युलर उम्मीदवार के साथ मैं पूर्वोत्तर बिहार के एक चुनाव क्षेत्र के गांवों में भ्रमण कर रहा था।
एक जगह देखा कि दूर-दूर तक फैले खेतों में ताजी फूस की सैकड़ों झोपड़ियां खड़ी की गई थीं।उनमें बड़ी संख्या में घुसपैठी बांग्ला देशियों को अवैध तरीके से बसाया गया था।
उम्मीदवार जी बारी -बारी से प्रत्येक झोपड़ी के समक्ष जाते थे।
उन बांग्ला देशियों को कहते थे–आप लोग निश्चिंत होकर यहां रहिए।आपको यहां से कोई नहीं उजाड़ेगा।
यह कह कर वे आगे बढ़ जाते थे।
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पाक का बड़ा लक्ष्य
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मैं हाल में पाकिस्तान के एक सांसद (इमरान गुट)का पाक संसद में भाषण यहां यू ट्यूब पर सुन रहा था।
सांसद कह रहे थे कि भारत में हमें गजवा ए हिन्द का लक्ष्य हासिल करना है।
दरअसल यह धार्मिक उन्माद से उत्पन्न हौसला था जो आपरेशन सिन्दूर के बाद भी प्रकट हो रहा था।
जब उनका लक्ष इतना बड़ा है तो पाकिस्तान कभी युद्ध करेगा और कभी युद्ध विराम तोड़ेगा।–जब तक कि उसका लक्ष्य पूरा नहीं हो जाता।
कभी कुछ घंटे पर तोड़ेगा तो कभी कुछ साल पर ।
पर,वह रह -रह कर घाव देता रहेगा।
1947 के बाद पाक हमारे साथ यही करता रहा है।
जुल्फिकार अली भुट्टो भी कह गए हैं कि हमें भारत को हजार घाव देने हैं।
पाकिस्तान में यही पढ़ाया बताया जाता रहा है–तुम्हारा जन्म भारत सहित पूरी दुनिया में इस्लामिक शासन कायम करने के लिए ही हुआ है।इसके लिए जरूरत पडे तो जान दे देनी है।
तुम्हारा असली जीवन तो तुम्हारे मरने के बाद ही शुरू होता है।
हांलाकि इधर अंतर आया है।भारी अंतर आया है।मोदी से उनका पाला पड़ा है।इसलिए अब वे अपनी खैर मनाएं !!

Veerchhattisgarh

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