“भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा.. ‘आप विपक्ष के नेता हैं या निशान-ए-पाकिस्तान’, भाजपा का राहुल गांधी पर प्रहार
भाजपा ने लोकसकभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर उनकी हालिया टिप्पणियों को लेकर निशाना साधा। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि राहुल को भारतीय सशस्त्र बलों के पराक्रम को कम करके आंकना और देश की सुरक्षा को खतरे में डालना बंद करना चाहिए। राहुल गांधी को ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ करार देते हुए बीजेपी प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर कांग्रेस नेता की टिप्पणियों का इस्तेमाल इस्लामाबाद की ओर से भारत को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। भाटिया ने कहा, ‘राहुल गांधी, आप तय करें कि आप किस तरफ हैं। आपको तय करना होगा कि आप भारत के विपक्ष के नेता हैं या पाकिस्तान के निशान-ए-पाकिस्तान हैं।’
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत आगे बढ़ेगा। हमारी वीर सेना आतंकवादियों को सबक सिखाती रहेगी। भले ही, कांग्रेस और राहुल गांधी जैसे नेता सेना का मनोबल तोड़ने की कोशिश करें, लेकिन वे कभी सफल नहीं होंगे।
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राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग, पाकिस्तान में उनके बयानों का इस्तेमाल और भारत विरोधी नैरेटिव पर चुप्पी चिंताजनक है। अब तय उन्हें करना है भारत के नेता हैं या निशान-ए-पाकिस्तान हैं।
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हमारी वीर सेना ने जिस तरह से पाकिस्तान को सबक सिखाया है। इसकी वाहवाही केवल देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में हो रही है।
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ऑपरेशन सिंदूर का मकसद केवल 100 आतंकी जो ढेर करना नहीं है, बल्कि आतंकवाद को खत्म करना और उनके आकाओं को नेस्तनाबूद करने है, जो अभी जारी है।
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देश के 140 करोड़ देशवासी आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ खड़े हैं। लेकिन ऐसे समय में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी द्वारा समय समय पर ऐसे वक्तव्य दिए जा रहे हैं, जो अपरिपक्व और सच्चाई से कोसों दूर है।
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राहुल गांधी को राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले सवाल नहीं पूछने चाहिए, लेकिन यह उनकी आदत बन गई है कि वे जानबूझकर भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ावा देते हैं।
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देश राहुल गांधी से पूछना चाहता है कि 26/11 के आतंकी हमले में 160 से अधिक मौतें हुईं, तब वे क्या कर रहे थे? एक अखबार के अनुसार, राहुल गांधी उस वक्त रात 3-4 बजे तक नाच–गाने में व्यस्त थे।
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कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने ऑपरेशन सिंदूर को “छिटपुट युद्ध” बताया। इस तरह के एक के बाद एक बयान, कांग्रेस के चरित्र और गैर जिम्मेदार रवैये को उजागर करते हैं।
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भारत सरकार जब कोई सकारात्मक कदम उठाती है, कांग्रेस और राहुल गांधी उसका विरोध करते हैं, यही उनके राजनीतिक जीवन का लक्ष्य बन गया है।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य शक्ति और आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व को वैश्विक मान्यता दिलाई है। दूसरी ओर, राहुल गांधी ने गैर–जिम्मेदार बयानों से पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने और सेना का मनोबल तोड़ने की कोशिश की है, जो राष्ट्रहित के विरुद्ध आचरण है। इन सबके बावजूद, भारत आतंक के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई जारी रखेगा।
श्री भाटिया ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सफलता की पराकाष्ठा है। हर भारतीय गौरवान्वित है, और पूरा विश्व मान रहा है कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और हमारी वीर सेना की वीरता ने पाकिस्तान को माक़ूल जवाब दिया है। देश और विदेशों में भारत के इस संकल्प की सराहना हो रही है कि आतंकवाद को भारत ने जड़ से उखाड़ा है। भारत का उद्देश्य केवल 100 आतंकियों को मार गिराना नहीं बल्कि आतंक के आकाओं को भी नेस्तनाबूद करना है। इस समय जब पूरा देश एकजुट है, 140 करोड़ भारतीय माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के साथ खड़े हैं, तब लोकतंत्र के एक प्रमुख स्तंभ, विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा बार–बार गैर–जिम्मेदाराना और तथ्यहीन वक्तव्य दिए जा रहे हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि राहुल गांधी माननीय प्रधानमंत्री जी के प्रति मतभेद रखते हैं, यह लोकतंत्र में स्वीकार्य है। परंतु प्रधानमंत्री जी के लिए अपमानजनक भाषा का प्रयोग, पाकिस्तान की संसद में राहुल गांधी के बयानों का हवाला दिया जाना और इस पर उनका मौन चिंताजनक है। अब उन्हें तय करना होगा कि वे भारत के नेता हैं या निशान-ए-पाकिस्तान। सार्वजनिक जीवन में कुछ सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता अनिवार्य होती है विशेषकर नेता प्रतिपक्ष के लिए। जब राष्ट्रहित की बात हो, तब ओछी राजनीति से ऊपर उठना चाहिए। संवैधानिक पदों पर जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सेनाध्यक्ष पर टिप्पणी से बचना चाहिए। लेकिन जब ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण अभियान चल रहे हैं, तब राहुल गांधी गैर–जिम्मेदार सवाल पूछते हैं जैसे भारतीय वायुसेना के कितने जेट गिरे? जब डीजीएमओ और एयर मार्शल भारती ने स्पष्ट रूप से कहा कि हम युद्ध की स्थिति में हैं और जवाब देना उपयुक्त नहीं है, तब भी राहुल गांधी पाकिस्तान की नेताओं से बातचीत में व्यस्त दिखते हैं।
श्री भाटिया ने कहा कि पाकिस्तान की वरिष्ठ नेत्री मरियम नवाज ने एक सार्वजनिक बयान में यह स्वीकार किया है कि 6-7 की रात और 9 तारीख को भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ है। सैन्य कार्रवाई से पाकिस्तान को ऐसा झटका लगा है कि वह पूरी तरह हिल गया है। जब पाकिस्तान स्वयं यह मान रहा है कि हमारी वीर सेना ने 9 आतंकी लॉन्चिंग ठिकानों और 11 पाकिस्तानी एयरबेस को नष्ट किया है, तब विपक्ष के नेता राहुल गांधी क्या कर रहे हैं? यदि कोई संदेह था, कोई सवाल था, तो उसे सर्वदलीय बैठक में उठाया जा सकता था, जहां विदेश मंत्रालय की ओर से विस्तृत जानकारी दी जाती है और विपक्ष के सांसद भी उसमें शामिल होते हैं। लोकतंत्र में सवाल और सुझावों का स्वागत है, लेकिन इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी करना केवल मासूमियत नहीं मानी जा सकती। इसे बचकाना कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि राहुल गांधी ऐसे गैर-जिम्मेदार रवैये के लिए पहले से ही पहचाने जाते हैं। जब देश की सुरक्षा, सेना का मनोबल और राष्ट्रीय हित दांव पर हों, तब हर बयान को तोल कर बोलना चाहिए। यदि कोई बात भारत के हितों को नुकसान पहुंचाती है, तो उसे उजागर किया जाएगा और हम राहुल गांधी से यह जरूर पूछेंगे कि क्या प्रधानमंत्री से नफरत करते–करते आप अब भारत की 140 करोड़ जनता से भी नफरत करने लगे हैं? क्या आप देश की सेना का मनोबल तोड़ना चाहते हैं?
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले प्रश्न पूछना राहुल गांधी को बंद कर देना चाहिए। लेकिन यह राहुल गांधी के चरित्र का हिस्सा बन गया है कि वे जानबूझकर ऐसे सवाल पूछते हैं जो भारत विरोधी राष्ट्रों के एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं। देश का हर नागरिक माननीय प्रधानमंत्री जी पर विश्वास करता है, उनके विरुद्ध कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से एक आपत्तिजनक तस्वीर साझा की गई। पूरे देश ने इस पर तीखी आपत्ति जताई और कांग्रेस पार्टी की घोर निंदा की। पहले कांग्रेस ने उस पोस्ट का समर्थन किया और बाद में चुपचाप उसे हटा दिया, लेकिन न राहुल गांधी और न ही मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसके लिए देश से माफी मांगी। इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि उस पोस्ट को पाकिस्तान के एक पूर्व मंत्री ने न केवल साझा किया बल्कि उस पर आपत्तिजनक टिप्पणी भी की, जिसे यहां दोहराना उचित नहीं है।
श्री भाटिया ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब दस वर्षों तक राफेल विमान पर केवल भ्रष्टाचार हुआ, लेकिन एक भी लड़ाकू विमान भारत नहीं आया। स्क्वाड्रन की संख्या 42 से घटकर 33 रह गई, लेकिन कांग्रेस सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसके विपरीत आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने फ्रांस के साथ देश–से–देश समझौता कर राफेल विमानों की आपूर्ति सुनिश्चित की, जिनकी मारक क्षमता ने ऑपरेशन सिंदूर में निर्णायक भूमिका निभाई और भारत को विजय दिलाई। यह दुखद है कि छह-सात की रात और नौ तारीख को जब भारत की सेना आतंकवादियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई कर रही थी, तब कांग्रेस और उसके नेता ऐसे बयान और कृत्य कर रहे थे, जो राष्ट्रविरोधी शक्तियों को बल प्रदान करते हैं। कांग्रेस नेता अजय राय ने राहुल गांधी के इशारे पर राफेल को एक खिलौना बताया और नींबू–मिर्ची लटकाकर यह दिखाने का प्रयास किया कि “राफेल एक खिलौना है।” यह बेहद आपत्तिजनक और राष्ट्र के गौरव के अपमान की बात थी। लेकिन राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अजय राय को पार्टी से निष्कासित नहीं किया, इससे यह साफ जाहिर होता है कि यह कांग्रेस पार्टी की सोच का हिस्सा है। जब हमारी सेना पाकिस्तान और आतंकवादियों पर कार्रवाई करती है, तो उसी कांग्रेस पार्टी के विधायक सेना के शौर्य पर सवाल उठाते हैं और प्रमाण मांगते हैं। जैसे पहले सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक पर किया गया था, वैसे ही आज ऑपरेशन सिंदूर को भी संदेह के घेरे में लाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में देश राहुल गांधी से पूछना चाहता है, जब 26/11 का भयानक आतंकी हमला हुआ, जिसमें 160 से अधिक भारतीय नागरिक मारे गए, तब आप क्या कर रहे थे? एक प्रमुख अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, उस हमले के दो–तीन दिन बाद राहुल गांधी रात 3-4 बजे तक नाच–गाने के कार्यक्रम में व्यस्त थे। जब गलवान में चीनी सेना ने दुस्साहस किया, तब हमारी वीर सेना ने पराक्रम की पराकाष्ठा दिखाकर चीन को करारा जवाब दिया। लेकिन उस समय भी राहुल गांधी ने बयान दिया कि “भारतीय सेना को चीनी सेना ने पीटा।” क्या यह सेना का मनोबल गिराने और राष्ट्रविरोधी एजेंडे को बढ़ावा देने वाला बयान नहीं है? बार-बार इस तरह की बयानबाजी क्या केवल राजनीति है या फिर यह किसी गहरे भारत-विरोधी इरादे का संकेत है? कांग्रेस को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह भारत के साथ खड़ी है या भारत के विरोधियों के साथ। क्या एक नेता प्रतिपक्ष को यह नहीं पता होना चाहिए कि किस समय, किस प्रकार के सवाल पूछे जाने चाहिए? यह चिंताजनक है कि कब भारत माता के साथ खड़ा होना है, यह भी उन्हें नहीं पता। जब ऑपरेशन सिंदूर चल रहा है, उस समय बार–बार सरकार और सेना से जानकारी मांगी जा रही है, यह अत्यंत गंभीर विषय है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कांग्रेस के सत्तासीन होने के समय की एक तस्वीर दिखाते हुए कहा कि गांधी परिवार ने भारत के हितों को प्राथमिकता नहीं दी है, बल्कि सिर्फ अपने परिवार के हितों का ध्यान दिया है। उन्होंने 2008 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ हुए पार्टी–टु–पार्टी करार पर सवाल उठाते हुए पूछा कि उस समझौते में क्या लिखा था? यह जानना देश के नागरिकों का अधिकार है, फिर भी न राहुल गांधी जवाब देते हैं, न वह समझौता सार्वजनिक किया जाता है। यह प्रश्न पूछा जाना चाहिए कि वे और सोनिया गांधी इसे क्यों छिपा रहे हैं? क्या यह देशवासियों का मूल अधिकार नहीं है कि वे इसे जानें? और हम यह सवाल पूछते रहेंगे। जबकि सेना का ऑपरेशन सिंदूर चल रहा है और उसी दौरान राहुल गांधी वही मापदंड लगाकर जानकारी मांगते हैं। 22 अप्रैल को आतंकवादी हमला होता है, पूरा देश एकजुट हो जाता है, लेकिन 23 अप्रैल को रॉबर्ट वाड्रा यह कहते हैं कि यह हमला इसलिए हुआ क्योंकि हिंदुत्व की शक्तियां मजबूत हो रही हैं और भारत के मुसलमान डरे हुए महसूस कर रहे हैं। इस प्रकार के वक्तव्यों के माध्यम से पाकिस्तान को क्लीन चिट दी जाती है, और कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे चुप्पी साधे रहते हैं।
श्री भाटिया ने कहा कि कांग्रेस ने पूर्व में भी माननीय प्रधानमंत्री जी के लिए एक गैर-मर्यादित ट्वीट किया है। हर 2-3 दिन बाद राहुल गांधी कांग्रेस के किसी नेता को कोई विवादित बयान देने का इशारा करते हैं। अजय राय राफेल का मजाक उड़ाते हैं, जो अत्यंत गंभीर विषय है। सात तारीख को जब हमारी वीर वायुसेना आतंकवादियों के ठिकाने नष्ट कर रही थी, तब कर्नाटक कांग्रेस ने कहा “दी मोस्ट पावरफुल वेपन ऑफ मैनकाइंड इस पीस” यानी जब भारत पर हमला हुआ, तब कांग्रेस शांति की बात कर रही थी। इस बयान पर न कोई खंडन, न माफी, न कोई कार्रवाई हुई। 16 तारीख को कर्नाटक के कांग्रेस विधायक मंजूनाथ ने कहा, प्रमाण दीजिए क्या नष्ट हुआ है। जबकि पाकिस्तान की नेता मरियम नवाज स्वयं मान रही थीं कि नुकसान हुआ। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने “ऑपरेशन सिंदूर” को “छिटपुट युद्ध” बताया। ये बयान एक के बाद एक, कांग्रेस के चरित्र और गैर जिम्मेदार रवैये को उजागर करते हैं। भारत सरकार जब कोई सकारात्मक कदम उठाती है, कांग्रेस और राहुल गांधी उसका विरोध करते हैं, यही उनके राजनीतिक जीवन का लक्ष्य बन गया है। सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल को विदेश भेजे जाने पर भी खड़गे नुक्ताचीनी कर रहे थे। यह प्रतिनिधिमंडल एकजुटता की मिसाल थी और ऐसे प्रतिनिधित्व को लेकर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण है। भारत सरकार ने अनुभवी और तार्किक नेताओं को यह जिम्मेदारी दी, यह गर्व की बात है पर कांग्रेस ने इस पर भी राजनीति की। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत आगे बढ़ता रहेगा। हमारी सेना वीर है, वह आतंकिस्तान को सबक सिखाती रहेगी, चाहे कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी जैसे कुछ नेता सेना का मनोबल तोड़ने का हरसंभव प्रयास करें, उनका यह प्रयास कभी सफल नहीं होगा।
–भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु
-चित्र इंटरनेट से साभार।
