सुरेंद्र किशोर : 1962 युद्ध में नेहरू की दयनीयता.. क्यों ट्रम्प के समक्ष मोदी को भी निरीह- दयनीय दिखाने की कहानी कांग्रेस गढ़ रही है ?

1962 में चीन के हाथों पराजय के बाद
नेहरू की कैनेडी के समक्ष निरीहता-दयनीयता
सामने आ गई थी।
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ट्रम्प के समक्ष मोदी को भी निरीह-
दयनीय दिखाने की कहानी कांग्रेस गढ़ रही है
ताकि तब की अपेक्षा आज की विदेश नीति को
बेहतर न माना जाये।
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15 मई 25 को ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कह दिया था कि ‘‘मैंने पाकिस्तान और भारत के बीच मध्यस्थता नहीं कराई।बस मदद की है।’’
विदेश मंत्री एस.जय शंकर ने 22 मई, 25 को कहा कि यद्यपि AMERICAN नेता दोनों देशों के संपर्क में थे।किंतु सैनिक कार्रवाई को रोकने के लिए नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच सीधी बातचीत हुई थी।


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जवाहरलाल नेहरू की दयनीयता
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1962 में चीन ने भारत पर हमला किया तो सोवियत संघ ने यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया कि एक मित्र और एक भाई के बीच के झगड़े में हम नहीं पड़ेंगे।
(वैसे ए.जी.नूरानी के रिसर्च से बाद में यह पता चल गया था कि सोवियत संघ की पूर्व सहमति व उकसावे के बाद ही चीन ने भारत पर हमला किया था।)
चीन के हाथों मिल रही पराजय की पृष्ठभूमि में हतप्रभ नेहरू ने मदद के लिए अमेरिका की ओर रुख किया था।
उन दिनों बी.के.नेहरू अमेरिका में भारत के राजदूत थे।
नेहरू ने अमरीकी राष्ट्रपति जाॅन एफ.कैनेडी को लगातार कई पत्र लिखे।
नेहरू ने 19 नवंबर 1962 को कैनेडी को लिखा था कि ‘‘न सिर्फ हम लोकतंत्र की रक्षा के लिए बल्कि इस देश के ही अस्तित्व की रक्षा के लिए भी चीन से हारता हुआ युद्ध लड़ रहे हैं जिसमें आपकी तत्काल सैन्य मदद की हमें सख्त जरूरत है।’’
इससे पहले जवाहर लाल नेहरू ने अपनी अदूरदर्शी व अव्यावहारिक नीति के तहत चीन को भाई और सोवियत संघ को मित्र करार दे रखा था।(जबकि नेहरू को यह समझना चाहिए था कि साम्यवादी विस्तारवादी देश और इस्लामिक जेहादी देश भारत का वास्तविक मित्र नहीं बन सकता था।भारत का मित्र बनने लायक तो तब भी इजरायल ही था।पर,मुस्लिम वोट बैंक के प्रभाव में कांग्रेसी सरकारों ने दशकों तक इजरायल को राजनयिक मान्यता तक नहीं दी थी।)
कैनेडी से नेहरू की एक पिछली मुलाकात के बारे में खुद कैनेडी ने एक बार कहा था कि ‘‘नेहरू का व्यवहार काफी ठंडा रहा।’’
पर जब चीन ने 20 अक्तूबर 1962 को भारत पर हमला करके हमारी हजारों-हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया तो नेहरू ने अमेरिका को त्राहिमाम संदेश दिया।
19 नवंबर 1962 को जवाहर लाल नेहरू ने भारी तनाव,चिंता और डरावनी स्थिति के बीच कैनेडी को कुछ ही घंटे के बीच दो -दो चिट्ठियां लिख दीं।


इन चिट्ठियों को वर्षों तक गुप्त ही रखा गया था ताकि नेहरू की दयनीयता देश के सामने न आ पाये।
पर बाद में उनकी फोटोकाॅपी भारतीय अखबार में छप गई।
पर, कल्पना कीजिए कि यदि अमेरिका ने 1962 में पाक को भारत के खिलाफ युद्ध शुरू करने से नहीं रोका होता तो क्या नतीजा होता ?(तब संभवतः अमेरिका को यह खबर मिल गई थी कि चीन के साथ-साथ पाक भी हमला करने वाला था।)
संभवतः अमरीका के इसी कदम के बाद चीन ने तब एकतरफा युद्ध विराम कर दिया था।

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