सुरेंद्र किशोर : ये राज्य सरकार जेहादियों से निपटने के लिए अपने मूल वासियों को देगी गन लाइसेंस
असम सरकार जेहादियों से निपटने के लिए
अपने मूल वासियों को गन लाइसेंस देगी
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असम कैबिनेट ने कर दिया फैसला
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देश के उन राज्यों की सरकारों को भी ऐसा ही फैसला करना चाहिए
जहां इसकी जरूरत है अन्यथा यह देश नहीं बचेगा।
सिर्फ ‘आपरेशन सिंन्दूर’ से काम नहीं चलेगा।नाजुक वक्त में देश के कदम -कदम पर तो पुलिस नहीं पहुंच सकती।
नागरिक अपनी रक्षा खुद करें,इसके लिए विभिन्न राज्य सरकारें उनका सशक्तीकरण करें।
कानून -व्यवस्था राज्य सरकारों के ही अधीन होती है।यदि अगला विधान सभा चुनाव शांतिपूर्वक निष्पक्ष ढंग से संपन्न हो गया तब तो पश्चिम बंगाल में भी स्थिति बदलेगी।
पर,पता नहीं तब तक वहां स्थिति में और कितना बिगाड़ हो चुका होगा !
रिपेयर लायक राज्य बचेगा भी या तब तक कश्मीर बन चुका होगा ?!
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यदि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के हिन्दुओं के पास आग्नेयास्त्र होते तो वहां से उनका हाल में पलायन नही होता।
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बांग्ला देशी प्रवासियों-घुसपैठियों के कारण असम के जो जिले अब
मुस्लिम बहुल हो चुके हैं,वहां के अल्पसंख्यकों (खास कर मूलवासी हिन्दुओं)
को उनकी आत्म रक्षा के लिए आग्नेयास्त्रों के लाइसेंस देना जरूरी हो गया था।ऐसा मुख्य मंत्री हिमंता बिस्व शर्मा मानते रहे हैं।
हिमंता बिश्व सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार के कैबिनेट के इस फैसले से अन्य राज्य सरकारें समय रहते सबक लंे।
असम के सीमावर्ती जिले धुबरी,ग्वालपारा,नौगांव आदि कई जिलों की स्थिति इस मामले में चिंताजनक बनी हुई है जहां मुस्लिम बहुसंख्यक हो चुके हैं।
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नब्बे हिन्दुओं के गांव में 10 मुस्लिम पूरी तरह सुरक्षित रह सकते हैं।किंतु 90 मुस्लिमों के गांव में 10 हिन्दू सुरक्षित नहीं रह सकते।इस देश का ताजा अनुभव यही बताता है।
