सुरेंद्र किशोर : ताजा नीति है ‘‘बहुसंख्यकों को बांटो और अल्पसंख्यकों को एकजुट करो।”

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‘‘बांटो और राज करो’’ की विदेशी (हमलावरों की)
नीति का सदियों से शिकार होता रहा है भारत
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आज भी उसे दोहराने की कोशिश हो रही है।
ताजा नीति है ‘‘बहुसंख्यकों को बांटो और
अल्पसंख्यकों को एकजुट करो।
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ब्रिटिश इतिहासकार सर जे.आर.सिली (1834-1895)ने लिखा है कि ब्रिटिशर्स ने भारत को कैसे जीता।
मशहूर किताब ‘‘द एक्सपेंसन आॅफ इंगलैंड’’ के लेखक सिली की स्थापना है कि
‘‘हमने (यानी अंग्रेजों ने) नहीं जीता,बल्कि खुद भारतीयों ने ही भारत को जीत कर हमारे प्लेट पर रख दिया।’’
(आपरेशन सिन्दूर के दौरान कुछ भारतीय नेताओं के सेना-मोदी विरोधी और परोक्ष रूप से पाक समर्थक बयान देख कर आपको कैसा लग रहा है ?)
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मध्य युग में विदेशी आक्रांताओं ने,खासकर मुस्लिम आक्रांताओं ने किस तरह भारतीयों में फूट डाल कर राज किया,वह पुरानी कहानी तो घर-घर में आज भी प्रचलित है।
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आज भी हमारे देश के कुछ वोट लोलुप राजनीतिक कर्मी
प्रकारांतर से पाकिस्तान के जेहादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के काम में ही लगे हुए हैं।
‘‘आपरेशन सिन्दूर’’ के तहत एक तरफ हमारी सेना जेहादी पाकिस्तानी अड्डों तथा अन्य स्थानों पर सफल हमला कर रही थी तो इधर भारत के मुस्लिम वोट लोलुप तत्व व पाक एजेंट अपने विघटनकारी काम में लगे रहे।
पाक सरकार ने कई भारतीय नेताओं के भारत विरोधी बयानों को पूरी दुनिया में फैला कर अपना पक्ष मजबूत करने की कोशिश की।यानी, कुछ भारतीयों के बयानों से भारत का पक्ष नहीं बल्कि पाकिस्तान का पक्ष मजबूत हो रहा है।
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भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई अभी स्थगित है
समाप्त नहीं हुई है।
दैनिक जागरण में गिरीश्वर मिश्र ने ठीक ही लिखा है कि ‘‘सरकारी आतंकवाद का पर्याय है पाकिस्तान।पाकिस्तान इसका उदाहरण है कि सरकार,सेना और आतंकियों का मेल कितना खतरनाक हो सकता है।’’
उधर पाक में यह सिखाया जाता है कि मरने के बाद ही तुम्हारा वास्तविक जीवन शुरू होता है।ऐसे में पाक से भारत
के लोग स्थायी शांति की उम्मीद कैसे कर सकते हैं ?


रोहिग्याओं को जबरन वापस भेजने पर रोक लगाने की मांग करते हुए जब एक भारतीय नागरिक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की तो सुप्रीम कोर्ट ने इसी 16 मई को ठीक ही कहा–
‘‘देश कठिन समय से गुजर रहा है, दूसरी ओर आप काल्पनिक याचिकाएं लेकर यहां आ रहे हैं।’’
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अनेक सूत्रों से मिल रही जानकारियों के अनुसार जब तक पाकिस्तान के मदरसे आतंकियों को गढ़ने के लिए कारखाने का काम करते रहेंगे, तब तक भारत को ‘‘आॅपरेशन सिन्दूर’’ समय -समय और भी सघनता से सक्रिय करना ही पड़ेगा।
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सन 2017 में ही सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पाकिस्तान,चीन और आंतरिक संघर्षों का जिक्र करते हुए
कहा था कि ‘‘भारत ढाई मोर्चों पर युद्ध के लिए तैयार है।’’
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सुरक्षा एजेंसी ने कुछ साल पहले पी.एफ.आई.के गुप्त ठिकानों से जो साहित्य बरामद किये, उसके अनुसार उसकी यह योजना है कि यह प्रतिबंधित जेहादी संगठन 2047 तक हथियारों के बल पर भारत को इस्लामिक देश बना देना है।
इसके लिए वह कातिलों के हथियारबंद जत्थे
तैयार भी कर रहा है।
भीतरी राजनीति के जानकार लोग बताते हैं कि इन दिनों इस देश का 90 प्रतिशत मुस्लिम वोट यदि एक जगह पड़ रहा है तो उसके पीछे पी.एफ.आई.-एस.डी.पी.आई.का ही हाथ हैै।हाल के मुर्शिदाबाद दंगे के पीछे भी पी.एफ.आई. आई. था।भारत में अवैध रूप से बसे करोड़ों बांग्लादेशी-रोहिंग्याओं से उन्हें आंतरिक संघर्षों में ताकत मिलती है।
यह अच्छी बात है कि भारत सरकार का कर राजस्व सन 2014 की अपेक्षा अब तीन गुना हो चुका है।बढ़ता ही जा रहा है।क्योंकि मोदी सरकार ने महा घोटालों को रोक दिया है।छोटे -मोटे सरकारी भ्रष्टाचार नहीं रुके हैं।
इसीलिए भारत के पास अभूतपूर्व विकास-कल्याण के साथ-साथ आधुनिक हथियार व अन्य संसाधन खरीदने के लिए भी आज पर्याप्त पैसे हैं।(याद रहे कि जांच एजेंसी के अनुसार,मनमोहन सरकार के सिर्फ एक मंत्री ने छह देशों में एक लाख 35 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति बनाई है।यू.पी.के एक नेता ने लंदन में बड़ा होटल खरीदा है–आदि आदि।)
पर,भारम में सक्रिय आंतरिक जेहादियों से लड़ने के लिए भारत सरकार के पास और भी अधिक संसाधन और अर्ध सैनिक-सैनिक बल चाहिए।इसलिए भारत सरकार यदि थोड़ा सा ‘‘आॅपरेशन सिन्दूर टैक्स’’ जनता पर लगाये तो राष्ट्रभक्त जनता उस कर का विरोध नहीं करेगी।
जो विरोध करेंगे,वे जनता में बदनाम होंगे।
क्योंकि जिस तरह भारत ने पहलगाम में 26 निर्दोषों की जेहादियों द्वारा हत्या के बाद पाकिस्तान में घुस कर मारा है,उसके कारण देश के सुदूर स्थानों में भी भारतीय सेना-नरेंद्र मोदी सरकार की सराहना के स्वर गुंजायमान हो रहे हैं।
इसका सबसे पहला चुनावी लाभ बिना मांगे बिहार में राजग को मिल जाने की संभावना है।
ऐसा पहले का उदाहरण भी है।बांग्ला देश युद्ध (1971)के तत्काल बाद यानी 1972 में इंदिरा सरकार ने समय से पहले यू.पी.विधान सभा का चुनाव करा कर युद्ध में विजय का चुनावी लाभ उठा लिया था।
जबकि वहां अगले चुनाव का निर्धारित साल सन 1974 था।
तब के यू.पी.के मुख्य मंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के विरोध को दरकिनार करके इंदिरा गांधी ने यू.पी विधान सभा का समय से पहले चुनाव करवाया था।

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