डॉ. भूपेंद्र सिंग : ऑपरेशन सिंदूर, भारत को एक युद्धोन्मादी देश के बजाय समझदार देश बनाने में सफल हुआ
ऑपरेशन सिंदूर, भारत को एक युद्धोन्मादी देश के बजाय समझदार देश बनाने में सफल हुआ है। कांग्रेस के कुछ एक बेहूदे राजनीतिज्ञों को छोड़ दिया जाये तो पूरा देश इस पर चर्चा कर रहा है कि देश में रक्षा क्षेत्र का उत्पादन कैसे बढ़े, देश में स्वदेशी जेट इंजन पर काम कैसे आगे बढ़े, लोग रक्षा से जुड़े सेक्टर में पैसे तेज़ी से लगा रहे हैं जो प्रत्यक्ष तौर पर उसकी फंडिंग ही है। कोचिंग में मास्टर मिसाइल के बारे में पढ़ा रहे हैं, हाइपरसोनिक सुपरसोनिक के बीच अंतर बता रहे हैं। कुछ लोग जो अंध मोदी विरोधी हैं, वह मोदी जी को बुरा भला बोलते हुए भी स्वदेशी जेट इंजन के फंडिंग के लिए आंदोलन चला रहे हैं।
यह सब परिवर्तन यह बताने को काफ़ी है कि भारत समय के साथ साथ एक समझदार राष्ट्र बन रहा है जो यह जानता है कि दुनिया में हमें आगे बढ़ना है तो हमें न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना पड़ेगा बल्कि आर्थिक प्रगति में भी तेज़ी लानी पड़ेगी।
मैंने पहले भी इस बात पर चर्चा की है कि भारत में इतना नृशंस आतंकी घटना पूरी तरह से चीन ने पाकिस्तान के माध्यम से भारत की प्रगति को रोकने के लिए कराया है। ये कुछ ऐसा ही है कि गांव घर में जब किसी का लड़का अच्छे से पढ़ने लिखने लगता है, तो गांव के बड़े आदमी जलनवश अपने किसी चेले से उसको मुकदमें में फसाकर उसके ग्रोथ को रोकने का प्रयास करते हैं। यह कारनामा उससे जरा सा भी भिन्न नहीं है। समझदार व्यक्ति जिस प्रकार का प्रतिकार करता है, उससे भारत का प्रतिकार कतई भिन्न नहीं है। समय लेकर भारत ने ठीक प्रकार से जवाब दिया, लेकिन उसमें फसना भी नहीं है, बल्कि दूर दृष्टि से प्लानिंग करके अपने आपको आर्थिक रूप से आगे बढ़ाना है और अपने सुरक्षा को भी धीरे धीरे मज़बूत करना है।
नेतृत्व और जनता, ये दोनों भारत में समय के साथ समझदार होते जा रहे हैं। यह हमारे लिए शुभ संदेश है। भारत दुनिया की चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुका है, जल्द ही यह तीसरे नंबर का बनेगा। जो लोग चीन को देखकर सोचते हैं कि यह कैसे आगे बढ़ गया, उन्हें भारत के क्षमता पर शक नहीं करना चाहिए। यह वहीं देश है जहाँ एक एक दिन में कोरोना के करोड़ों टीके लगाए गए हैं, यह वहीं देश है जहाँ PPE किट बनता ही नहीं था और जब बनने लगा तो दुनिया भर को भेजने लगे। भारत की क्षमता असीमित है। उसे सही दिशा की आवश्यकता थी, जो फ़िलहाल दिख भी रही है।
