श्रीमद् देवी भागवत (5) : पं. राजकुमार शर्मा बोले “जीवन में मातृशक्ति का सम्मान करने वाले सफलता के शीर्ष पर पहुंचते हैं”
कोरबा। देवी भागवत का पारायण ब्रह्म हत्या से भी मुक्ति दिलाती है। देवराज इंद्र ने एक ब्राह्मण कुल में जन्मे वृत्तासुर जैसे अधर्मी का वध कर दिया था। इससे उनको ब्रह्म हत्या का दोष लगा। ये बातें देवी पं. राजकुमार शर्मा बोले ने श्रीमद् देवीभागवत कथा के पांचवें दिन गुरुवार को प्रवचन करने के दौरान कही। उन्होंने कहा कि ब्रह्म हत्या के दोस्त के निवारण के लिए इंद्र की पत्नी रुचि ने देवी भागवत का पारायण किया। नौ दिन तक देवी भागवत का पारायण करने के बाद मां आदिशक्ति प्रकट हुईं और देवराज इंद्र को ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त किया। देवी भागवत की कथा मनुष्य के दुखों को दूर करती है। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह मातृ शक्ति का सम्मान करें। जिस घर में मातृ शक्ति का सम्मान होता है वहां सभी सुख अपने आप मिलने लगते हैं।
वृत्तासुर वध का वृतांत सुनाते हुए उन्होंने कहा – “आदिशक्ति मां भगवती ही विजय और पराजय के कारण हैं। यह न जानते हुए कि मां भगवती ही सभी कारणों के कारण हैं, मूर्ख और दुष्ट लोग विजय या पराजय का श्रेय स्वयं लेने का प्रयास करते हैं, किन्तु वास्तव में सब कुछ मां भगवती के अधीन है। उनके अतिरिक्त किसी को कोई स्वतंत्रता नहीं है। पुरुष ( भोक्ता) और प्रकृति (भोग्य) मां भगवती के अधीन हैं, क्योंकि उन्हीं की देख-रेख में सब कुछ व्यवस्थित रूप से चलता है। प्रत्येक कार्य में मां भगवती का हाथ न देखकर मूर्ख अपने को ही सबका शासक और नियंत्रक मान लेता है। किन्तु जब कोई यह समझ लेता है कि वास्तविक नियंत्रक मां भगवती ही हैं, तो वह संसार की सापेक्षताओं, जैसे दुःख, सुख, भय और अशुद्धि से मुक्त हो जाता है। इन्द्र और वृत्रासुर न केवल लड़े, बल्कि दार्शनिक प्रवचन भी आपस में किये।”
श्रीमद् देवी भागवत कथा के पांचवें दिवस आचार्य पं. राजकुमार शर्मा जी ने वृत्तासुर के संहार के वर्णन का प्रसंग के दौरान उन्होंने घर में बेटियों के होने की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि “बेटियां को दुहति कहा गया क्योंकि उन पर दो कुलों की मर्यादा का रक्षा का भार होता है।जिस घर के आंगन में कन्यादान नहीं होता वह आंगन कुंवारी माना जाता है।”
पं. राजकुमार शर्मा ने कहा कि “कलियुग में कि इसकी महिमा इतनी महान है कि नियमपूर्वक एक-आध श्लोक का उच्चारण करने वाला भक्त भी भगवती की कृपा का पात्र बन जाता है। नवरात्र में में इसका श्रवण अधिक जीवन में शुभ मंगल को बढ़ाता है। इसलिए जितना भी समय मिले हमें मां भगवती के नाम का स्मरण करना चाहिए। इसके श्रवण करने तथा पाठ करने में समस्त प्राणियों को पुण्य प्राप्त होता है।
व्यासपीठ से कथा वाचक पं. राजकुमार शर्मा ने कहा कि सभी प्राणी जिनके भीतर स्थित हैं और जिनसे सम्पूर्ण जगत प्रकट होता है, जिन्हें परम तत्व कहा गया है, वे साक्षात स्वयं भगवती ही हैं। सभी प्रकार के यज्ञों से जिनकी आराधना की जाती है, वे एक भगवती ही हैं।”
उल्लेखनीय है कि प्रतिदिन दोपहर 3:30 बजे से श्रीमद् देवी पुराण रूपी ज्ञान गंगा का प्रवाह गुप्त नवरात्रि के पावन पर्व पर मां सिद्धिदात्री तीर्थ यात्रा सेवा समिति के प्रमोद साहू ,राहुल साहू आयोजकत्व में पुराना बस स्टैंड के पीछे लक्ष्मी निवास (बाड़ी) कोरबा में 30 जनवरी से 6 फरवरी तक किया जा रहा है।