कुमार सतीश : ये है सिंबल ऑफ रिवोल्यूशन..

ये है फ्रेंच पत्रकार विक्टर नोयर की कब्र.
जो कि पेरे लचाइसे सिमेट्री, पेरिस के कब्रगाह में अवस्थित है.

पत्रकार विक्टर को सन 1870 में नेपोलियन बोनापार्ट-3 के भतीजे प्रिंस पियरे बोनापार्ट ने एक डिबेट के दौरान इसको शूट कर दिया.
कारण था एक आर्टिकल… जो इसके अखबार में छपा था.

और, जब ये मर गया तो इसके समर्थन में और राजपरिवार के विरोध में इसके अंतिम संस्कार में एक लाख से भी ज्यादा लोग शरीक हुए.

इसे विरोध माना गया कि राजशाही शासन के विरुद्ध कोई खड़ा तो हुआ…


मने… ये सिंबल ऑफ रिवोल्यूशन बन के उभरे अपने मरणोपरांत.

खैर ये छोटा सा परिचय हो गया….!

इसके मृत्यु के 20 वर्ष पश्चात इसके कब्र के ऊपर एक कांसे का स्टेच्यू बनाया गया.

लेकिन, स्टेच्यू में इसके पैंट वाला हिस्सा किसी कारण से थोड़ा उभरा हुआ बन गया.

फिर देखते ही देखते कुछ ही दिनों में ये सिंबल ऑफ लक एंड फर्टिलिटी में तब्दील हो गया.

मल्लब का है कि…. अगर कोई औरत बच्चा चाहती है तो इसके कब्र में जा कर इसके प्रतिमा के साथ जरा इंटिमेट हो जाय तो मनोकामना पूरी हो जाती है.

बोलते है कि… अगर कोई औरत प्रेग्नेंट होना चाहती है तो विक्टर के दाएं पैर को टच करें और गर वो जुड़वा बच्चे चाहती है तो उसके बाएं पैर को.

इसकी प्रतिमा के कुछ पार्ट्स को अंग्रेजी महिलाएं कुछ इस प्रकार रगड़ती है कि रगड़-रगड़ के एकदम शाइनी (चमकीला) कर दी है… जिसे आप तस्वीरों में साफ देख सकते है.

बापड़े का दम ही घूंट जाता होगा। ज़िन्दा होता बलात्कार का केस लगा देता.

कहते तो ये भी है कि विक्टर कुंवारे मर गया था सो मरणोपरांत उसके इच्छा का ख्याल रखती है वहां की अंग्रेजी महिलाएं.

खैर…

वो पढ़े-लिखों का मुलुक है…
वे जो करे सो करे.

और हाँ…. इन्हीं ज्ञानचंदो को हम हिन्दुओं का नवरात्र में व्रत रखना एवं शिवलिंग पर जल चढ़ाना अंधविश्वास लगता है.

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