NRI अमित सिंघल : विपक्षी दल सत्ता में आने के लिए कर रहे इन सुधारो का विरोध…

किसी भी राष्ट्र के नागरिक – महिला एवं पुरुष – चाहते है कि उनके देश में भ्रष्टाचार समाप्त हो जाए, सभी को रोज़गार के अवसर मिले, टैक्स एवं मंहगाई नियंत्रण में रहे, उत्तम इंफ्रास्ट्रक्चर (ट्रांसपोर्ट जैसे कि रेल, सड़क, बंदरगाह, एयरपोर्ट; बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग-इंश्योरेंस, इत्यादि) मिले, एक्सीडेंट में भारी गिरावट आये। साथ ही, राष्ट्र एवं जन सुरक्षित रहे, समृद्धि बढ़े, संस्कृति एवं महान विभूतियों का सम्मान हो।

कुछ सरकारों ने उधारी लेकर उत्तम इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान कर दिया, सरकारी कर्मियों को उच्च वेतन-पेंशन भी दिया, यहाँ तक कि उनका राष्ट्र उच्च मध्यम आय वाले देश की श्रेणी में आ गया। लेकिन जब लोन चुकाने का समय आया, तो व्यवस्था ढह गयी। या फिर, खनिज एवं कमोडिटीज (कच्चा माल) की कमाई से काम चलाया; लेकिन जैसे ही दाम गिरे, सरकार दिवालिया हो गयी। उधारी एवं कच्चे माल से सरकार चलाने वाले राष्ट्रों में भारी एवं व्यापक भ्रष्टाचार भी दिखाई देता है।

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श्री लंका, पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, जिम्बाब्वे, ग्रीस, सायप्रस, वेनेज़ुएला, चिले, पेरू इत्यादि राष्ट्र इसके प्रमुख उदहारण है। बांग्लादेश के बारे में समाचार आ रहे है कि वहां की अर्थव्यवस्था किसी भी समय भरभरा कर गिर सकती है। मैंने लोकतांत्रिक देशो का ही उदाहरण दिया है क्योकि तानाशाही सरकारे दमन के द्वारा अपनी सत्ता बनाए रखते है; विपक्ष नाममात्र का होता है।

लेकिन जैसे ही व्यवस्था सुधारने के लिए कोई भी सरकार सत्यनिष्ठ प्रयास करती है, तुरंत असंतोष शुरू हो जाता है। विपक्षी दल सत्ता में आने के लिए इन सुधारो का विरोध शुरू कर देते है या फिर इन सुधारो को वापस लेने का आश्वासन देते है। कारण यह भी है कि पुरानी व्यवस्था भ्रष्ट अभिजात वर्ग का प्रभुत्व बनाये रखती है; बहुसंख्यक लोगो की समृद्धि की कीमत पर अभिजात वर्ग को और धनी बनाए रखती है।

उदाहरण के लिए, सरकारी अनाज मंडी में उपज बेचने की बाध्यता कुछ धनी किसानो एवं बिचौलियों का वर्चस्व एवं समृद्धि स्थापित रखती है। GST पूर्व की व्यवस्था टैक्स चोरी एवं भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती थी। सड़क एवं रेल यात्रा के सुचारु ना होने से अभिजात वर्ग को लाभ मिलता था जो हवाई यात्रा करके अपना समय बचाता था और उस समय का सदुपयोग करके पैसे से पैसा खींचता था। विश्व बैंक के अनुसार, भारत में पेट्रोल-डीजल की सब्सिडी का 27 गुना अधिक लाभ अभिजात वर्ग ले जाता था। निर्धनों के नाम पर सब्सिडी, फले-फूले अभिजात वर्ग।

यहाँ तक कि अभिजात वर्ग ने अपने लिए हाउसिंग, सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ जल, बिजली, ट्रांसपोर्टेशन इत्यादि की निजी व्यवस्था कर रखी थी, जबकि निम्न या निर्धन वर्गो को ऐसी सुविधाओं को सार्वजानिक पटल पर वंचित रखा जाता था।

अगर सरकार सड़क परिवहन में दुर्घटना कम करने के लिए पेनाल्टी बढ़ाती है, तो आम जन ही विरोध में खड़े हो जाते है जबकि सुरक्षित सड़क यातायात का अधिकतम लाभ उन्हें ही मिलेगा क्योकि अधिकतर लोग दुपहिया एवं कम सुरक्षित वाहन में यात्रा करते है।

इसी प्रकार, जब पेंशन की बात आती है तो लोग पुरानी पेंशन व्यवस्था के समर्थन में खड़े हो जाते है। आश्चर्य इस बात का है कि यही लोग वर्ष 2005 में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू होने के बाद 15 वर्षो तक चुप थे। इसकी मांग इस वर्ष UP चुनाव पूर्व शुरू हुई थी जो स्पष्ट रूप से विपक्ष ने एक रेवड़ी के रूप में प्रयोग किया था। रुचिकर बात यह है कि निजी क्षेत्र में में नयी पेंशन व्यवस्था चल रही है।

एक ओर आप भ्रष्टाचार के लिए सरकारी कर्मियों को कोसते है, दूसरी ओर उन्ही एकाध करोड़ सरकारी कर्मियों का वर्चस्व बनाए रखना चाहते है। जबकि निजी क्षेत्र के कई गुना अधिक लोग नयी पेंशन व्यवस्था के अंतर्गत कार्य कर रहे है। एक तरह से निजी क्षेत्र वालो की कमाई से पुरानी वाली सरकारी पेंशन दी जायेगी।

पुरानी पेंशन व्यवस्था का परिणाम क्या निकलेगा? राज्य सरकारों के पास विकास (स्वास्थ्य, शिक्षा, जल, सिंचाई, सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर इत्यादि) के लिए राजस्व ही नहीं बचेगा। या फिर कर का बोझ बढ़ाना होगा। एक तरह से हम अपने बच्चो के भविष्य के साथ खेल रहे है; उन्हें दोयम स्तर की सुविधाओं की ओर धकेल रहे है।

इसके विपरीत, प्रधानमंत्री मोदी क्या कर रहे है? वह स्मार्ट नीतियों के द्वारा सभी नागरिको के लिए एक level-playing field – या समतल जमीन तैयार कर रहे है, जिससे सभी को सामान अवसर मिले। चाहे वह GST या फिर आधार कार्ड, लेबर रिफार्म, डिजिटल भुगतान, बैंक अकाउंट, नल से जल, इंफ्रास्ट्रक्चर का तीव्र विकास। इन स्मार्ट नीतियों के द्वारा वह यह सुनिश्चित कर रहे है कि सभी नागरिको को एकसमान अवसर मिले।

जरा सोचिये कि क्यों आधार कार्ड को सब्सिडी इत्यादि से जोड़ने पे अभिजात वर्ग हल्ला मचा रहा था? किस वर्ग को इन प्रयासों से नुकसान हो रहा है?

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