राजीव मिश्रा : अपने मेनिफेस्टो में इसे जोड़ें.. अपने बच्चों के भविष्य की हत्या हम नहीं होने देंगे
एक समय श्रीनगर में, लाल चौक पर पाकिस्तान का झंडा लहराता था. जब देश जागा तो हमने एक ऐसा नेता चुना जिसने इस झंडे को उतार फेंका. धारा 370 हटाई, सबने इसे गंभीरता से लिया.
कांग्रेस ने अब पूरे देश पर सतरंगा झंडा लहराने का इरादा बनाया है. इस बार कॉन्ग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में एलजीबीटीक्यू के लिए विशेष प्रावधानों का वादा किया गया है… उनके लिए शिक्षा और नौकरियों में रिजर्वेशन और समलैंगिक विवाह का कानून बनाने की बात की गई है.
शायद ज्यादातर लोगों को यह चांद तारे वाले झंडे फहराने से कम बड़ी बात लगेगी. उन्हें यह सब हवा हवाई, अमेरिकी चोंचलेबाजी भर लगेगा. और जैसा कि होता है, हम जब तक जागेंगे बहुत देर हो चुकेगी. यह सतरंगा झंडा किसी अनजान शहर के अनजान चौक पर नहीं, हमारे बच्चों के ऊपर लहरा रहा होगा. हमारे बच्चे इसकी गिरफ्त में होंगे, किसी गे प्राइड परेड में शामिल हो रहे होंगे, होमोसेक्सुअलिटी से एक्सपेरीमेंट कर रहे होंगे, खुद को नॉन बाइनरी या ट्रांस घोषित कर रहे होंगे… और हमें पता भी नहीं होगा कि इन शब्दों के अर्थ क्या हैं.
आज पूरा पश्चिमी विश्व इसकी गिरफ्त में हैं. आज युवाओं का सबसे बड़ा ड्रग एडिक्शन हेरोइन और मारीजुआना नहीं, सेक्स हार्मोन है.. लड़कों से लड़कियों में और लड़कियों से लड़कों में ट्रांजिशन के लिए हार्मोन थेरेपी. और उससे बड़ी बात है कि यह डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों द्वारा, स्कूलों में प्रमोट किया जा रहा है. इसके लिए माता पिता से पूछना ना सिर्फ गैर जरूरी समझा जा रहा है, बल्कि स्कूल अपनी पॉलिसी के तहत पैरेंट्स से इसको छुपा रहे हैं, झूठ बोल रहे हैं. उससे भी एक कदम आगे, दुनिया के कई देशों में पैरेंट्स अगर बच्चों को ऐसा करने से रोकते हैं तो उनसे उनके बच्चे छीन लिए जा रहे हैं. अगर डॉक्टर या थेरेपिस्ट उन्हें इसके विपरीत सलाह देते हैं तो उनका लाइसेंस छीन लिया जा रहा है. स्कॉटलैंड में अभी अभी आए एक हेट क्राइम कानून के तहत इसके लिए सात साल तक की सजा का प्रावधान है. अगर एक लड़का खुद को लड़की घोषित कर दे, या लड़की लड़का बन जाए, और आप उसको उसके चुने हुए नाम या सर्वनाम से न बुलाएं तो इसके लिए दो साल की सजा का प्रावधान है.
हम अभी तक इस समस्या को बस किसी और दुनिया का फैड समझते आ रहे हैं, लेकिन इसने आपके दरवाजे पर दस्तक दे दी है. वैसे तो भीतर भीतर स्कूलों और यूनिवर्सिटी में यह घुसपैठ थोड़े समय से जारी है, लेकिन हमारे नए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने भीतर से कानूनी कुंडे खोलकर इसे घर के भीतर बुला लिया है. और अब कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इसको शामिल करके इस खुली लड़ाई का ऐलान कर दिया है…
आपको लगता रहेगा कि कॉन्ग्रेस को चुनाव तो जीतना है नहीं… तो उसके घोषणा पत्र में क्या लिखा है इससे क्या फर्क पड़ता है. पर ऐसा नहीं है कि यह मुद्दा भाजपा के समय थम जाएगा. अगर यह आपको खतरे की बात नहीं लगेगी तो भाजपा को भी इसकी कोई समझ नहीं होगी और यह अपनी चाल से चलता रहेगा, पैर पसारता रहेगा. हमारे आपके बच्चे अपनी जिंदगी बर्बाद करते रहेंगे, और इसको कानूनी संरक्षण बढ़ता जायेगा. आपको जो बातें आज कनाडा, कैलिफोर्निया और स्कॉटलैंड में होती दिखाई दे रही हैं वह एक दशक के अंदर हमारे साथ हो रही होगी. हमसे हमारे बच्चे छीन लिए जायेंगे और हम कुछ नहीं कर पाएंगे. इसलिए बेहद जरूरी है कि आप इसे अपना मुद्दा बनाएं… अपने मेनिफेस्टो में इसे शामिल करें कि हम अपने बच्चों के भविष्य की हत्या नहीं होने देंगे.