न्याय पत्र में कांग्रेस ने समाज को तोड़ने वाले वादे किए : नितीन

कोरबा। न्याय पत्र में कांग्रेस ने समाज को तोड़ने वाले कई वादे किए हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि कांग्रेस ने हाल ही में मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन कानून को रद्द करने, मुस्लिमों को पर्सनल लॉ को बनाए रखने और धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर कई तरह की छूट देने का संकेत अपनी घोषणा पत्र में दिया है। कांग्रेस तुष्टिकरण के लिए कुख्यात है। इसका परिणाम ये हुआ है कि पार्टी लगभग 52 सीटों पर सिमट गई, लेकिन तुष्टिकरण छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। उक्त बातें प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा के छत्तीसगढ़ प्रभारी व बिहार राज्य सरकार के केबिनेट मंत्री नितिन नबीन ने कही।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना घोषणा पत्र जारी किया, जिसे न्याय पत्र नाम दिया है। इस न्याय पत्र में कांग्रेस ने समाज को तोड़ने वाले कई वादे किए हैं। इसके अलावा, स्कूल-कॉलेजों में बुर्का हिजाब को पहनने की अनुमति, भाषा और खानपान की स्वतंत्रता की बात कही है। ऐसी स्थिति गो हत्या, लव जिहाद और लैंड जिहाद जैसे सामाजिक तानाबाना को तोड़ने वाले कार्यों को बढ़ावा मिल सकता है। यहाँ तक हेट स्पीच के नाम हिंदुओं की स्वतंत्रता का दमन, मुस्लिम जजों की नियुक्ति करके न्यायपालिका को धार्मिक आधार पर बाँटने की कोशिश और जाति जनगणना कराकर हिंदुओं को बांटने का संकेत दिया गया है। कांग्रेस का न्याय पत्र एक तरह से बहुसंख्यकों के लिए अन्याय पत्र है।

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में अल्पसंख्यकों के लिए 9 प्वॉइंट जारी किया है। इसके पहले प्वॉइंट में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 15, 16, 25, 28, 29 और 30 के तहत अल्पसंख्यकों को मिलने वाले मौलिक अधिकारों का आदर करेगी और उन्हें बरकरार रखेगी। अगले प्वॉइंट में पार्टी ने कहा है कि अनुच्छेद 15, 16, 29 और 30 के तहत भाषा की दृष्टि से अल्पसंख्यकों को मिलने वाले मौलिक अधिकारों का आदर करेगी और उन्हें बरकरार रखेगी। संविधान का अनुच्छेद 15 का नियम 2 कहता है कि किसी भी भारतीय नागरिक को जाति, धर्म, लिंग, जन्म स्थान और वंश के आधार पर दुकानों, होटलों, सार्वजानिक भोजनालयों, सार्वजनिक मनोरंजन स्थलों, कुओं, स्रान घाटों, तालाबों, सड़कों और पब्लिक रिजॉर्ट्स में जाने से नहीं रोका जा सकता।

यानी कई मामलों में इससे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच टकराव बढ़ेगा। भाजपा सरकार द्वारा बंद किए गए मौलाना आजाद छात्रवृत्ति को फिर लागू करने और उसकी संख्या बढ़ाने की बात कही है। मुस्लिमों को ऋण देने के लिए भी कांग्रेस ने आसान नीति बनाने की बात कही है। इसके साथ ही पार्टी ने अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य, सरकारी नौकरी लोक निर्माण अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में उचित अवसर देने की बात कही है।

मुस्लिमों को लेकर कॉन्ग्रेस ने जो भी घोषणा की है, उनमें से अधिकांश की माँग ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड करता रहा है। बोर्ड मुस्लिमों के कानून में किसी भी तरह के संशोधन या हस्तक्षेप का विरोध करता है। इस संस्था का कहना है कि मुस्लिमों के कानून शरिया यानी इस्लामी कानून एवं कुरान द्वारा संचालित हैं, इसलिए उसे बदला नहीं जा सकता।

कांग्रेस ने चुनाव आयोग और मानवाधिकार आयोग की तर्ज पर एसटी/एससी और ओबीसी आयोग के साथ-साथ अल्पसंख्यक आयोग को भी स्वायत्तता देने की बात कही है। कॉन्ग्रेस ने नफरत भरे भाषणों, घृणा अपराधों और सांप्रदायिक विवादों को सख्ती से खत्म करने की बात कही है। ऐसे अपराधियों और उनके प्रायोजकों की पहचान कर उन्हें दंडित करने की बात कही है।

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में उन तमामों मुद्दों को सांकेतिक रूप से जगह दी है, जिसके जरिए तुष्टिकरण के लिए वह कुख्यात रही है। पार्टी ने सांप्रदायिक विवादों और हेट स्पीच को लेकर इसे और इसके प्रायोजकों की पहचान करने के नाम पर हिंदुओं और हिंदू संगठनों पर कार्रवाई का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि कि कांग्रेस यूपीए-II के दौरान एक कानून का मसौदा तैयार किया था, जिसमें दंगों के लिए बहुसंख्यक समुदायो को जिम्मेदार ठहराया गया था।

कांग्रेस की तुष्टिकरण की सीमा कुछ ऐसी थी कि तत्कालीन सरकार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को यहाँ तक कहना था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुस्लिमों का है। यह बयान कुछ ऐसा था, जो भारत के विभाजन से पहले मुहम्मद अली जिन्ना की मुस्लिम लीग ने कहा था। मुस्लिम लीग कहती थी कि अंग्रेजों ने सत्ता मुस्लिमों से लिया है, इसलिए इसका हस्तांतरण भी मुस्लिमों को होना चाहिए। उक्त बातें प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा के छत्तीसगढ़ प्रभारी व बिहार राज्य सरकार के केबिनेट मंत्री नितिन नबीन ने कही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *