कबीरपंथी हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी..! छत्तीसगढ़ के कबीरपंथियों को है ये आस.. 07 जुलाई को रायपुर आगमन..

छत्तीसगढ़ में कबीरपंथ के फैलाव का श्रेय धनी धर्मदास जी उर्फ़ जुड़ावन साहू को है जो बांधवगढ़ के समृद्ध व्यापारी मनमहेश साहू एवं सुधर्मावती के पुत्र थे। धर्मदास नीमावत वैष्णव पंथ के अनुयायी थे उन्होंने अपनी सारी संपत्ति कबीरपंथ के प्रचार में लगा दी।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल 07 जुलाई को छत्तीसगढ़ पहुंच रहे हैं और शुक्रवार को राजधानी रायपुर में दो घंटे के मध्य छत्तीसगढ़ को 7500 करोड़ रुपये की सौगात देंगे। सात जुलाई को रायपुर दौरे के दौरान वे 6400 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग की पांच परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। इसके साथ ही नई रेलवे लाइन की भी सौगात देंगे। परिवहन मार्गों के उन्नयन से वनांचल क्षेत्रों में सड़कों का विस्तार होगा साथ ही अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ का बेहतर परिवहन संपर्क स्थापित हो सकेगा।

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… लेकिन छत्तीसगढ़ जैसे हरित प्रदेश में जल की महिमा का पतन हो रहा है और…जो भी है यह एक भयानक, भयंकर, भयावह स्थिति है…पुकार भारत के इतिहास के सबसे अधिक मजबूत-जागरूक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अवश्य सुनेंगे।

ईश्वर पर अगाध श्रद्धा रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कबीर पंथ के प्रति कितनी आस्था रखते हैं, यह कुछ बातों से स्पष्ट हो जाता है जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह थे तब प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर रायपुर के कबीरपंथी धर्मगुरु प्रकाश मुनि साहेब से मिलकर उन्होंने उनसे आशीर्वाद लिया था।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने  साल 18 जून, 2022 को अपनी मां के 100वें साल में प्रवेश करने पर  एक भावनात्मक ब्लॉग लिखा था। उन्होंने अपनी मां के साथ बिताए हुए कुछ पलों को याद किया। उन्होंने उनको बड़ा करने के दौरान मां द्वारा किए गए बलिदानों को याद किया और अपनी मां की विभिन्न खूबियों का उल्लेख किया जिससे उनके मस्तिष्क, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को स्वरूप मिला।

इसी ब्लॉग में उन्होंने अपनी मां के कबीरपंथी होने का उल्लेख करते हुए लिखा था – “ईश्वर पर मां की अगाथ आस्था है, वो शुरु से कबीरपंथी रही हैं और आज भी उसी परंपरा से अपना पूजा-पाठ करती हैं। हां, माला जपने की आदत सी पड़ गई है उन्हें। दिन भर भजन और माला जपना इतना ज्यादा हो जाता है कि नींद भी भूल जाती हैं। घर के लोगों को माला छिपानी पड़ती है, तब जाकर वो सोती हैं, उन्हें नींद आती है।”
मां के सांस्कृतिक विचारों का संतान पर गहराई से पर प्रभाव पड़ता है और यही कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी किसी न किसी रूप में कबीरपंथ का अनुशरण करते हैं।
राज्य में कबीरपंथी बड़ी संख्या में है और छत्तीसगढ़ में कई कबीरपंथी आश्रम हैं लेकिन दामाखेड़ा के कबीर आश्रम को सबसे प्रमुख माना जाता है। यहीं से सभी आश्रमों की गतिविधियां संचालित होती हैं और यहां दुनियाभर से कबीरपंथी आते हैं।
छत्तीसगढ़ में साहू, कुर्मी, मरार, यादव, सतनामी, पनिका समाज में कबीर पंथ का व्यापक प्रभाव है। इसके साथ ही राजपूत परिवार की बड़ी भूमिका थी। बौद्ध और जैन समेत कई अन्य धर्मों के लोग भी कबीरपंथ से जुड़े हैं।
कबीरपंथ की अन्य शाखाओं की तुलना में छत्तीसगढ़ी  में शाखा सबसे ज्यादा फैली हुई है और इसे मानने वाले भी सबसे ज्यादा है। अब चूंकि प्रधानमंत्री मोदी का पारिवारिक वातावरण कबीरपंथी रहा है, ऐसे में कबीरपंथियों को आस है कि भविष्य में कबीरपंथ के विकास के संबंध में कोई बड़ी सौगात देंगे।

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