आयुर्वेद मंत्री डॉ. रघु शर्मा :आयुष 64, हल्के-मध्यम कोविड-19 संक्रमण के उपचार के सहयोग में लाभकारी

चिकित्सा, स्वास्थ्य व आयुर्वेद मंत्री डॉ रघु शर्मा ने कहा कि देश के प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों का मानना है कि आयुष मंत्रालय की केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित एक पॉली हर्बल फार्मूला आयुष 64, लक्षणविहीन, हल्के और मध्यम कोविड-19 संक्रमण के उपचार के सहयोग में लाभकारी है।

उन्होंने कहा यह दवा तथा अन्य आयुर्वेद दवाएं जैसे अश्वगंधा, गिलोय वटी, मुलेठी, अनुतेल आदि राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों व औषधालयों में उपलब्ध कराई जा रही हैं। आयुर्वेद मंत्री ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना महामारी के विश्वव्यापी कहर के बीच ‘आयुष 64’ दवा हल्के और मध्यम कोविड संक्रमण के रोगियों के लिए आशा की एक किरण के रूप में उभरी है।

गौरतलब है कि आयुष 64 मूल रूप से मलेरिया की दवा के रूप में वर्ष 1980 में विकसित की गई थी और कोरोना संक्रमण के लिए काम में ली गई है। उन्होंने बताया कि हाल में आयुष मंत्रालय तथा सीएसआईआर द्वारा हल्के से मध्यम कोरोना संक्रमण के प्रबंधन में आयुष 64 की प्रभावकारिता और इसके सुरक्षित होने का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक और गहन बहु-केंद्र नैदानिक (क्लीनिकल) परीक्षण पूरा किया गया है।

डॉ. शर्मा ने बताया कि आयुष 64, सप्तपर्ण, कुटकी, चिरायता एवं कुबेराक्ष औषधियों से बनी है। यह व्यापक वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर बनाई गई है और सुरक्षित तथा प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है। इस दवाई को लेने की सलाह आयुर्वेद एवं योग आधारित नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल द्वारा भी दी गयी है जोकि आईसीएमआर की कोरोना प्रबंधन पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स के निरीक्षण के बाद जारी किया गया था।

उल्लेखनीय है कि आयुष 64 मूल रूप से मलेरिया की दवा के रूप में वर्ष 1980 में विकसित की गई थी और कोरोना संक्रमण के लिए काम में ली गई है। उन्होंने बताया कि हाल में आयुष मंत्रालय तथा सीएसआईआर द्वारा हल्के से मध्यम कोरोना संक्रमण के प्रबंधन में आयुष 64 की प्रभावकारिता और इसके सुरक्षित होने का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक और गहन बहु-केंद्र नैदानिक (क्लीनिकल) परीक्षण पूरा किया गया है।

डॉ. शर्मा के अनुसार आयुष 64, सप्तपर्ण, कुटकी, चिरायता एवं कुबेराक्ष औषधियों से बनी है। यह व्यापक वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर बनाई गई है और सुरक्षित तथा प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है। इस दवाई को लेने की सलाह आयुर्वेद एवं योग आधारित नेशनल क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल द्वारा भी दी गयी है जोकि आईसीएमआर की कोरोना प्रबंधन पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स के निरीक्षण के बाद जारी किया गया था।