दयानंद पांडेय : भारत की डिप्लोमेसी का यह सूर्य समूची दुनिया में चमक रहा है

एलन मस्क और ट्रंप कुत्ते-बिल्ली की तरह लड़ने लगे हैं। ट्रंप के स्त्रियों के साथ आपत्तिजनक वीडियो बाज़ार में उतर चुके हैं। एलन मस्क ने ट्रंप को चंदा देने से इंकार कर दिया है। एलन मस्क की कंपनी स्टार लिंक को आज भारत ने सेटेलाइट इंटरनेट का लाइसेंस दे दिया है। आज ही कनाडा के राष्ट्रपति ने जी सेवन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री को निमंत्रण दे दिया है। आज ही चीन का जानी दुश्मन ताइवान , भारत से हथियार ख़रीदने भारत आ गया है। एप्पल ने डोनाल्ड ट्रंप की 25 प्रतिशत टैरिफ की धमकी के बावजूद भारत में अपनी रणनीति को मजबूत करते हुए टाटा ग्रुप को आईफोन और मैकबुक की मरम्मत का बड़ा जिम्मा सौंप दिया है। टाटा, जो पहले से ही भारत में आईफोन असेंबल करता है। अब कर्नाटक में विस्ट्रॉन की इकाई के साथ मिलकर आफ्टर-सेल्स सर्विस प्रदान करेगा। राफेल का महत्वपूर्ण हिस्सा अब भारत में बनेगा।

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शशि थरुर , सलमान खुर्शीद , असदुद्दीन ओवैसी , सुप्रिया सुले जैसे तमाम लोग भारत और आपरेशन सिंदूर के यशोगान में हर्षित हैं। और भी बहुतेरी बातें हैं। क्या – क्या गिनवाएं। इस तरह भारत की डिप्लोमेसी का यह सूर्य समूची दुनिया में चमक रहा है।

ताइवान भारत से वही हथियार ख़रीदने आया है , जिन्हों ने आपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को और चीनी हथियारों को उन का रसगुल्ला घुमा कर खिला दिया। सिंधु जल के लिए पाकिस्तान चिट्ठी पर चिट्ठी लिख कर रोज गिड़गिड़ा रहा है। फिर भी एक श्वान बहादुर निरंतर नरेंदर , सरेंडर की काल्पनिक अंत्याक्षरी के नशे में धुत्त हो कर कह रहा है कि मोदी कुछ बोल नहीं रहा है। इस श्वान बहादुर को नहीं मालूम कि डिप्लोमेसी भी एक तत्व है। श्वान बहादुर की तरह सर्वदा पृष्ठ भाग से नहीं भौंका जाता। हताशा में अग्र भाग से शौच नहीं किया जाता। सकारात्मक परिणाम पाने के लिए चालें चुपचाप चली जाती हैं।

जिस कश्मीर को लोग पत्थरबाजी और आतंक के कारण जानते थे , उसी कश्मीर में दुनिया का सब से ऊंचा , पेरिस के एफिल टॉवर से भी ऊंचा , चिनाब पुल भी इस श्वान बहादुर को नहीं दिखता। श्वान बहादुर के इस बेसुरे गायन में कुछ लेखक , पत्रकार भी मिले सुर मेरा तुम्हारा के गायन में गच्च हैं। इन नितंब नरेशों ने भेड़ की भीड़ बनने में ही अपने को खर्च करने में व्यस्त कर रखा है। आपरेशन सिंदूर की पीड़ा में उपजे इस आपरेशन को आप क्या नाम देना चाहेंगे ?

यह भी कि श्वान बहादुर , पाकिस्तान और इन लेखकों , पत्रकारों की युगलबंदी को कौन सा सलाम देना चाहेंगे ? लाल सलाम , कि हरा सलाम ! कि कोई और सलाम !

कि बकरीद मनाने के लिए गटर का ढक्कन चुराने वाले पाकिस्तानियों की बारात में बैंड बजाने के लिए भेज देंगे ? हरिशंकर परसाई का वह लिखा याद कीजिए :

इस देश के बुद्धिजीवी सब शेर हैं। पर वे सियारों की बारात में बैंड बजाते हैं।

आज की तारीख़ में पाकिस्तान वही सियार है और भारत के बुद्धिजीवी वही शेर !

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