Big News_बालको चिमनी दुर्घटना : बालको व कंपनियों के हाई प्रोफाइल अधिकारियों को आरोपी बनाने सरकारी अधिवक्ता के आवेदन पर 17 फरवरी आज सोमवार को न्यायालय में होगा तर्क..! बख्शी आयोग की रिपोर्ट मंगाई गई ? 

कोरबा। बालको चिमनी दुर्घटना के लगभग 15 वर्ष बीतने के मध्य इस पर शीघ्र ही न्यायालय का निर्णय आने की संभावनाएं बढ़ गई थी जब बालको चिमनी दुर्घटना में विवेचना अधिकारी विवेक शर्मा का साक्ष्य हुआ। पूर्व में तत्कालीन सीईओ गुंजन गुप्ता का साक्ष्य कथन 26 सितंबर 2024 को अंकित हुआ था। सूत्रों के अनुसार विवेचना अधिकारी के साक्ष्य के बाद इस बात की संभावना बढ़ गई थी कि बालको चिमनी दुर्घटना के संबंध में सुनवाई पूर्ण हो जाएगी और इसके बाद न्यायालय का निर्णय शीघ्र ही आ सकता है।

सूत्रों की माने तो अब इस प्रकरण में एक नया मोड़ आ गया है। जानकारी के अनुसार सरकारी अधिवक्ता की ओर से तत्कालीन समय में पदस्थ रहे बालको व कंपनियों के हाई प्रोफाइल अधिकारियों को भी बालको चिमनी दुर्घटना के लिए आरोपी बनाने के लिए एक आवेदन पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।

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जानकारी के अनुसार इस आवेदन पत्र के संबंध में संबंधित कंपनियों के द्वारा जवाब पेश कर दिया गया है और आज सोमवार 17 फरवरी को सरकारी अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र जिसमें तत्कालीन समय में पदस्थ बालको व कंपनियों के हाई प्रोफाइल अधिकारियों को भी बालको चिमनी दुर्घटना के लिए आरोपी बनाने को लेकर है उस पर न्यायालय में तर्क होना है।

सूत्रों की माने तो तत्कालीन समय में पदस्थ रहे बालको व कंपनियों के हाई प्रोफाइल अधिकारियों को भी आरोपी बनाने से सारे प्रकरण में एक नया मोड़ आ जाएगा।

जस्टिस बख्शी आयोग की रिपोर्ट मंगाई गई..?

लंबे अरसे के बाद तक इस महत्वपूर्ण तथ्य की ओर सरकारी वकील का ध्यान आकृष्ट हुआ है, जिससे प्रकरण से संबंधित जनों में हड़कंप मचा हुआ है। सूत्रों की माने तो तत्कालीन समय में वैश्विक परिदृश्य में चर्चित हृदय विदारक दर्दनाक बालको चिमनी दुर्घटना के संबंध में जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था, जिसकी जस्टिस संदीप बख्शी ने सुनवाई पूरी कर जो रिपोर्ट सौंपी थी उसे भी न्यायालय के द्वारा मंगवाया गया है।

● बालको चिमनी दुर्घटना के वैश्विक परिदृश्य में चर्चित दर्दनाक हादसे में जिसमें कईयों की अकाल मृत्यु हुई, अनेकों घायल हुए और कई अपंग भी हुए।

● बालको चिमनी दुर्घटना विवेचना में सर्वाधिक चौंकाने वाली बात रही कि कंपनी के किसी मुख्य अधिकारी पर इस दर्दनाक घटना के परिपेक्ष्य में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जवाबदेही तय नहीं की गई थी।

● उल्लेखनीय है कि वैश्विक परिदृश्य में बेहद चर्चित बालको चिमनी दुर्घटना की 26 अक्टूबर वर्ष 2010 में सुनवाई आरंभ हुई थी। सूत्रों के अनुसार इस प्रकरण में अब तक 46 लोगों का साक्ष्य माननीय न्यायालय के समक्ष हो चुका है।

दुर्घटना की जांच कर रहे बख्शी आयोग ने इस के लिए बालको और ठेका कंपनियों के साथ ही उन्होंने स्थानीय निकाय और श्रम विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की बात भी कही थी।

क्या कहा गया था जस्टिस संदीप बख्शी आयोग की रिपोर्ट में..!

“स्ट्रक्चर, क्वॉलिटी और सिक्युरिटी से संबंधित बनाए गए कानूनों का पूरी तरह से पालन नहीं ” : आयोग

★ आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि परियोजना में चिमनी निर्माण से पहले उसकी स्ट्रक्चर, क्वॉलिटी और सिक्युरिटी से संबंधित बनाए गए कानूनों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया।

★ निर्माण के दौरान श्रमिकों और अन्य व्यक्तियों की सिक्युरिटी ऐंड सेफ्टी की पूरी व्यवस्था नहीं करने के लिए बालको ठेका कंपनी सेपको, जीडीसीएल को दोषी बताते हुए नगरपालिका, ग्राम निवेश विभाग और श्रम विभाग के तत्कालीन संबंधित अधिकारियों की उदासीनता को भी दुर्घटना का कारण माना गया था।

★ सूत्रों के अनुसार बक्शी आयोग की रिपोर्ट में एक अन्य बात भी सामने आई थी कि चिमनी ढहने के समय पूरे छत्तीसगढ़ क्षेत्र में किसी भी प्रकार की बिजली गिरने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

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टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का वर्ष 2003 से बालको प्रबंधन को जारी नोटिस भी मात्र एक छलावा के सिवाय कुछ नहीं कहा जा सकता, संबंधित अधिकारी अगर चाहते तो काम रोका जा सकता था और असमय कालकलवित हुए मजदूरों के परिजनों को रोना नहीं पड़ता।

अनुत्तरित प्रश्न

◆ चिमनी के निर्माण के लिए सभी वैधानिक आवश्यकताओं का अनुपालन न करने के लिए कौन जिम्मेदार था? सुरक्षा उपायों का पालन कराने की जिम्मेदारी किस पर थी?

◆ सबसे बड़ी बात तो यह भी है कि बालको की भूमि के संबंध में न्यायालय में चल रहे प्रकरण के मध्य चिमनी निर्माण के लिए अनुमति देने की विधिक अधिकारिता थी या नहीं ?

◆ इसके साथ ही संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश की चिमनी निर्माण के दौरान भूमिका किस प्रकार की रही..! बालको में हुई चिमनी दुर्घटना की गूंज वैश्विक परिदृश्य में देखी और सुनी गई थी।

◆ राज्यसभा की स्टैंडिंग कमेटी ने मिनिस्ट्री ऑफ पॉवर को बालको चिमनी दुर्घटना के संबंध में तत्कालीन समय में प्रत्येक घटनाक्रम को लेकर बिंदुवार जानकारी मांगी थी लेकिन क्या हुआ, यह किसी को पता नहीं। पब्लिक डोमेन में भी यह बात सामने नहीं आ पाई है कि मिनिस्ट्री ऑफ पॉवर ने स्टैंडिंग कमेटी को जानकारी उपलब्ध कराई थी या नहीं…!!

◆ टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का वर्ष 2003 से बालको प्रबंधन को लगातार नोटिस जारी किए गए। सूत्रों की माने तो निगम प्रशासन के द्वारा भी चिमनी निर्माण के लिए किसी तरह की कोई अनुमति नहीं दी गई थी।

◆ यक्ष प्रश्न यह भी है कि जब बालको प्रबंधन के पास चिमनी निर्माण के लिए किसी तरह की कोई अनुमति अगर नहीं थी तो भी क्या बालको प्रबंधन को बिना अनुमति के किसी को भी चिमनी निर्माण के लिए ठेका देने की अधिकारिता थी..?

◆ ध्वस्त चिमनी का बाल्को स्थल लगभग 22.24N और 82.45 E पर स्थित है जिसके लिए बिजली गिरने का कोई डेटा नहीं है।  बाल्को के अपने ही क्षेत्र में छोटे-बड़े आकार की लगभग एक दर्जन चिमनी हैं और इनमें से किसी पर भी बिजली गिरने या बिजली आधारित दुर्घटना का अनुभव नहीं हुआ।

◆ तेज हवा या बवंडर को भी दुर्घटना के कारको में एक अन्य रिपोर्ट में माना गया था लेकिन ऐसा होता तो वहां पर अन्य स्थानों पर भी कुछ दुर्घटनाएं घटती।

इसलिए इन बिंदुओ के साथ ही अनेक प्रकार की चर्चाएं निर्माण कार्य को लेकर रही। औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय घरानों के साथ ही वैश्विक स्तर पर भी अनेक मजदूर संगठन सारे घटनाक्रम पर आज भी नजर लगाए हुए हैं। न्यायालय के निर्णय में न्याय की देवी की खुली आंखों से सारे तथ्य सामने आएंगे और चिमनी दुर्घटना में मारे गए मजदूरों की आत्मा को शांति मिलेगी।

उल्लेखनीय है कि वैश्विक स्तर पर चर्चित दुर्घटना में 23 सितंबर 2009 को वेदांता-बालको पॉवर प्लांट विस्तार परियोजना 1200 मेगावाट की दो चिमनियों में से एक निर्माणधीन 225 मीटर ऊंची चिमनी उस समय गिरी जब चिमनी के ऊपरी भाग में निर्माण कार्य चल रहा था।

सरकारी आंकड़ों में दुर्घटना में 40 मजदूरों की मौत होना बताया गया। घटना के बाद चारों तरफ मलबा व खून से लथपथ लाशें पड़ी हुई थीं। मलबा हटाने और लाशें निकालने के लिए रेसक्यू ऑपरेशन दस दिन से ज्यादा चला।

विधि विशेषज्ञ मानते हैं कि जिस प्रकार से निरंतर सुनवाई चल रही है उससे संपूर्ण प्रकरण में न्यायदर्शन के सापेक्ष अब आदर्श नीर क्षीर न्याय की संभावनाएं अब बढ़ गई हैं।

-चित्र इंटरनेट से साभार।

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