राजीव मिश्रा : वामपंथ के लाभार्थी पहली बार निशाने पर आए हैं , उनका लगभग 400 खरब डॉलर के सलाना बजट का स्रोत सूख गया है
अभी तक हम कहते आए हैं कि वामपंथी सत्ता में होते हैं तब वे अपना एजेंडा पूरी तेजी से चलाते हैं. जब उनके विरोधी सत्ता में होते हैं तब वामपंथी अपना एजेंडा थोड़ा धीरे चलाते हैं. पर एजेंडा वामपंथी का ही चलता है. उनके विरोधी आकर उनके एजेंडा को जड़ से नहीं उखाड़ते, प्रयास भी नहीं करते. और उनके विरोधियों का अपना एजेंडा नहीं होता.
बिल्कुल सही बात है, वामपंथ के विरोधियों का अपना “एजेंडा” नहीं होता. यह “एजेंडा” होना ही किसी को वामपंथी बना देता है. कम्युनिस्ट और नाज़ी, दोनों वामपंथी थे. दोनों के एजेंडा अलग अलग थे, लेकिन एजेंडा होना ही उन्हें वामपंथी बनाता है.
आइडियोलॉजी सिर्फ लेफ्ट की होती है. राइट विंग नाम की कोई आइडियोलॉजी नहीं होती. अगर आप नॉन-लेफ्ट होते हैं तो लेफ्ट आपको राइट विंग घोषित कर देता है. लेकिन राइट विंग अपनी आइडियोलॉजी से परिभाषित नहीं होता, सिर्फ लेफ्ट का विरोधी होने से परिभाषित होता है. अगर आप स्ट्रॉन्ग सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल के समर्थक हैं तो आप लेफ्टिस्ट हैं. अगर आप अकेले, आजाद छोड़ दिए जाना चाहते हैं..चाहते हैं कि सरकार आपके जीवन को अनावश्यक कंट्रोल न करे, वह सिर्फ आपकी स्वतंत्रता और जीवन की सुरक्षा करे और आपको अपना जीवन जीने दे… तो आप लेफ्ट के विरोधी होते हैं और लेफ्ट आपको राइट विंगर घोषित कर देता है. पर जब लोग अपने लिए स्वतंत्रता चाहेंगे, अपना अपना जीवन अपने अपने मूल्यों से जीना चाहेंगे तो वे मूल्य सबके अलग अलग होंगे. ऐसे लोग एक “एजेंडा” कैसे रख सकते हैं?
लेकिन पहली बार अमेरिका में एक सरकार आई है जिसके पास एक कॉमन एजेंडा है जो सभी स्वतंत्रता प्रेमी लोगों के लिए समान महत्व का है, और जो स्वतंत्रता की रक्षा के लिए वाइटल है. वह है वामपंथ की विषबेल का नाश. जनता के टैक्स के पैसे से पलते, फलते फूलते वामपंथ के लाभार्थी पहली बार निशाने पर आए हैं. उनका लगभग 400 खरब डॉलर के सलाना बजट का स्रोत सुख गया है. यही वह फंड है जिससे अरविंद केजरीवाल की पार्टी लॉन्च हुई. जिससे राहुल गांधी का 2024 का चुनावी प्रचार फण्ड हुआ. जिससे सोशल मीडिया की सेटिंग होती है और देश में विभाजनकारी एजेंडा फैलाया जाता है. यही वह फंड है जो भारत में नक्सलियों और आतंकियों को हथियार पहुंचाता है. जिससे भ्रष्ट देश विरोधी इंटेलेक्चुअल्स को अमेरिकी इंस्टीट्यूट में स्कॉलरशिप दी जाती है जहाँ से वे देश के विरुद्ध जहर उगलते हैं.
पहली बार वामपंथ की जड़ खोदी जा रही है, उनका सोर्स सूख रहा है. एलोन मस्क की टीम दिन रात बैठ कर USAID के घोटाले खंगाल रही है, उन सभी रास्तों को बन्द कर रही है जहां से ये विषधर पोषित होते हैं. अगर एलोन मस्क मानवता को मंगल ग्रह पर ना भी ले जाए, उड़ने वाली कारें ना भी बनाए, न्यूयॉर्क से दिल्ली तक मेट्रो ट्रेनें न भी चला दे… तब भी यह जो एक काम वह मानवता के लिए कर रहा है वह उसे आधुनिक इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण नायक बनाने के लिए पर्याप्त है.
