राजेश सिंह : मैं भाजपा का कार्यकर्ता नहीं हूं और…
भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ कांग्रेस के विरोध में क्षेत्रीय दल कमजोर थे लेकिन 1977 तक परिवार वादी पार्टी के प्रति लोगों का मोह भंग हो गया लेकिन विपक्ष की एकजुटता बनी न रह सकी और कांग्रेस फिर से सत्ता में आई, जिस दल को बीबीसी द्वारा दक्षिण पंथी कहा जाता रहा वह जनमानस की आंतरिक भावना की समझ के आधार पर अपनी राजनीति आरंभ किया और सफल हुई।
मेरे चाचा जी कांग्रेस के लिए काम किया करते थे और पापा कांग्रेस से प्रभावित लेकिन कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति और हमारे जैसे लोगों के तर्क का उत्तर देते देते कब वे लोग भी भाजपा का समर्थन करने लगे पत्ता ही नहीं चला, मेरे सगे संबंधी जो कांग्रेस का नाम जपते थे अब वो भी भाजपा का नाम जपते हैं। इसका मूल कारण कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति है और कुछ नहीं, दक्षिण पंथी पार्टी को भारत की जनता ने अपनाया है इसका मूल कारण जन सामान्य की आस्था से हुआ खिलवाड़ है और वो अब भारत की नहीं विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है, मैं भाजपा का कार्यकर्ता नहीं हूं और दूर दूर तक कोई राजनीतिक पहुंच नहीं है लेकिन जब भारत के राष्ट्रीय गीत को भी गाने से मना किया जाता है तो मैं दक्षिण पंथी कहलाना पसंद करता हूं।
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