परख सक्सेना : जगदीप धनकड़ के इस्तीफे से सिद्ध हुआ मोदीजी को सिर्फ मोदीजी ही हटा सकते है

चौबे जी छब्बे बनने चले थे दुबे बनकर लौटे, जगदीप धनकड़ के लिये इससे अच्छा मुहावरा कोई नहीं हो सकता था। कांग्रेस से शुरुआत की थी और उसी के चक़्कर मे आखिर नेपथ्य मे भी गए।

कांग्रेस का ये बयान की वाजपेयी जी अच्छे व्यक्ति थे यह सिद्ध करता है कि वाजपेयी सरकार की तर्ज पर मोदी सरकार गिराने का भी पूरा प्रबंध था लेकिन ये 1999 वाली बीजेपी नहीं है।

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26 साल पहले 13 महीने मे वाजपेयी जी की सरकार गिरी थी, इन 13 महीनों मे मोदीजी की सरकार भी गिरानी थी लेकिन समय पर घर का भेदी पता कर लिया गया।

जगदीप धनकड़ ने चंद्रबाबू नायडू को तोड़कर अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई थी। आश्चर्य मत कीजिए यदि ये नायडू ने ही लीक करवाया हो।

चंद्रबाबू नायडू इस समय NDA मे नंबर दो की पॉजिशन पर है, यदि इंडी मे गए तो वे पांचवे स्थान पर होंगे। ऐसे मे बीजेपी को जितनी आवश्यकता TDP की है उतनी ही TDP को BJP की भी है। वैसे भी नायडू जानते है कि उनके जीवित रहते आंध्र मे कोई दूसरी पार्टी है नहीं।

लेकिन इसमें दो बाते स्पष्ट हो गयी, पहली कि बीजेपी ने जो खुद को केंद्रीयकृत किया वह बहुत अच्छा था। मेंढको को तराजू मे तोलना बहुत कठिन काम है बीजेपी ने केंद्रीयकरण करके इस समस्या से निजात पा ली।

दूसरा कि विपक्षी दलों से आये नेताओं को आपको संवैधानिक पद देने से बचना है। हालांकि ये बात समय समय पर RSS ने कही भी है, सिवाय ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस समय ऐसा कोई शख्स दिखता भी नहीं जो बड़ी पॉजिशन पर हो।

एक लेफ्ट विंग का व्यक्ति था सुधीन्द्र कुलकर्णी, ये वाजपेयी युग मे बीजेपी मे आया। 2004 मे आडवाणी का सलाहकर बना और इसी ने आडवाणी को वो युक्ति बताई थी कि जिन्ना की मजार पर जाकर रो दो।

आडवाणी कराची जाकर जिन्ना की मजार पर रो दिये और पाकिस्तानी मीडिया को कहा कि यहाँ सेकुलरिज्म का शूरमा सो रहा है। जिन्ना के जिन्न ने आडवाणी का पूरा करियर खत्म कर दिया। आडवाणी ने इतने वर्षो मे जो हिंदुत्व की कमाई की थी वह सब शून्य हो गया।

लेकिन वो कुलकर्णी उसे सब भूल गए, ये समस्या होती है ज़ब आप किसी बाहरी को बड़ा पद देते हो। जगदीप धनकड़ इसी की कड़ी बन गए थे लेकिन दाद देनी होंगी मोदी शाह की, इन्हे दिल्ली के हर कोने की जानकारी है।

जयराम रमेश ने सही कहा वाजपेयी अच्छे थे, अच्छे थे इसीलिए उनकी सरकार एक वोट से गिरा दी गयी थी और वे फूट फूट कर रोये थे। मोदीजी बुरे है इसलिए राजमाता को खून के आंसू रुला रहे हैं।

अभी आप अमित शाह या किसी और संघी को तो आने दो आपको मोदीजी भी बहुत शरीफ लगेंगे।

ये बात भक्तगण भी याद रखे कि मोदी 3.0 अल्पमत की सरकार नहीं है। ये 293 सीटें प्री पोल गठबंधन को मिली है, लोगो ने नायडू नीतीश को वोट इसलिए दिया ताकि मोदीजी प्रधानमंत्री बने इसलिए इसे पूर्ण बहुमत की ही सरकार समझिये।

वैसे इस ड्रामे मे एक सबक मिला कि बीजेपी को 2027 मे उत्तरप्रदेश का चुनाव जान बूझकर हार जाना चाहिए। योगी आदित्यनाथ बहुत अच्छे नेता है मगर काफ़ी समय से ये गौर करने मे आ रहा है उनके नाम से बीजेपी को दो फाड़ करने का प्रयास हो रहा है।

सोशल मीडिया पर फैन क्लब गडकरी, शिवराज और फडणवीस के भी है मगर वे पार्टी मे आंतरिक प्रहार नहीं करते। मैंने कई बार कमेंट्स मे देखा है कि योगीजी को प्रधानमंत्री बनाने को लेकर एक डेस्पिरेशन है। वो डेस्पिरेशन जो बगावत को जन्म देती है।

लेकिन योगी और योगी समर्थक दोनों अलग है, पर्टिकुलर योगी बड़े अच्छे व्यक्ति है। लगता नहीं वे प्रधानमंत्री बनने के लिये दो फाड़ या बगावत जैसा कदम उठाएंगे। आशा है ये महज उनके फैन्स का उन्माद ही है।

हालांकि एक सेफ जॉन के लिये बीजेपी को योगी के लिये एक अलग भूमिका पर विचार कर लेना चाहिए।

बहरहाल जगदीप धनकड़ के इस्तीफे ने सिद्ध कर दिया कि मोदीजी को सिर्फ मोदीजी ही हटा सकते है। यदि षड़यंत्र से हटा भी दिया तो मध्यावधि चुनाव की ही नौबत आएगी और बीजेपी अकेले पूर्ण बहुमत मे आ जाएगी।

यदि बीजेपी 2028 मे खुद ही अपनी सरकार गिरवा ले तो दुनिया भर की एंटी इनकमबेंसी से निजात मिल जायेगी।

✍️परख सक्सेना
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