बालको के बैचिंग प्लांट पर निगम ने जड़ा ताला..CSEB पूर्व भी आएगा सामने…? क्या वेदांता पॉवर के अवैध निर्माण पर भी चलेगा बुलडोजर..?
कोरबा। नियमों को ठेंगा दिखाते हुए बालको प्रबंधन के अधीन ठेका कंपनियों के द्वारा अवैध निर्माण, अवैध कब्जों को लेकर लगातार विवाद की स्थितियों का निर्मित होना कोई नई बात नहीं रही है। इसी कड़ी में आज बालको के अधीन 4 ठेका कंपनियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करते हुए नगर पालिक निगम, कोरबा ने उनके अवैध निर्माण पर ब्रेक लगाते हुए ताला लगाकर नोटिस थमा दिया है। अवैध निर्माण पर निगम की कार्रवाई के बाद बालको प्रबंधन में हड़कंप मच गया है।
बैचिंग प्लांट पर निगम ने ताला जड़ दिया है। चेकपोस्ट में चल रहे अवैध प्लांट पर कार्रवाई के बाद अब क्या प्लांट के भीतर हो रहे अवैध निर्माण पर भी निगम का बुलडोजर चलेगा…?? क्या यह सब सिर्फ खानापूर्ति के लिए की गई कार्यवाही है। इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
1500 मीटर दूरी..400 मीटर का दायरा और 6 महीनों की कुम्भकर्णी नींद
उल्लेखनीय है नगर पालिक निगम, कोरबा के साकेत भवन से लगभग 1500 मीटर की दूरी पर पिछले लगभग 6 महीनों से चेकपोस्ट के पास लगभग 400 मीटर की दूरी में फैले बैचिंग प्लांट में लगातार काम चल रहा था लेकिन निगम के संबंधित विभाग के अधिकारियों की आंखें बंद पड़ी हुई थी जबकि बालको में भी निगम का जोन कार्यालय है और लगातार निगम के अधिकारियों का आवागमन बैचिंग प्लांट से मात्र 10 मीटर की दूरी पर लगे सड़क से लगातार बना रहता है।
बैचिंग प्लांट किसकी जमीन पर..?
- बैचिंग प्लांट की जमीन सूत्रों के अनुसार CSEB पूर्व की है और ऐसे में CSEB पूर्व के प्रबंधन के द्वारा विगत लगभग 6 महीनों से चुप्पी साधे रखना अनेक संदेहों को जन्म देता है। प्रश्न अब यह उठता है कि अगर जमीन CSEB पूर्व की है तो क्या अब CSEB प्रबंधन भी कार्यवाही करने के लिए आगे आएगा ?
बिना अनुमति के हो रहे थे अवैध निर्माण
भारत एल्यूमिनियम कंपनी बाल्को को अपनी सेवाएं दे रही एसीसी इंडिया सुभाष इंडिया और केइसी प्रोजेक्ट नामक कंपनियों के दफ्तरों पर नगर निगम अधिकारियों ने आज ताला लगा दिया। लगभ 50 से अधिक की संख्या में अधिकारियों और कर्मचारियों ने बालको प्लांट पहुंचकर तीनों कंपनियों मैं जैसे ही ताला लगाया बालको प्लांट के भीतर हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि यह कंपनियां नगर निगम से बिना अनुमति लिए कार्य कर रही थी। निगम के द्वारा इस संबंध में दो बार नोटिस भी दिया जा चुका था लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया।
निर्माण कार्य के अन्य बिंदुओ के साथ पर्यावरण विभाग की भी अनुमति नहीं..?
चेकपोस्ट के पास स्थापित बैचिंग प्लांट से सारा काम बालको का किया जा रहा था। हेवी बैचिंग प्लांट के लिए किसी प्रकार की कोई अनुमति नहीं ली गई है। सूत्रों की माने तो इस प्रकार के कार्यों के लिए पर्यावरणीय अनुमति की भी आवश्यकता होती है जिसकी अनुमति भी नहीं ली गई है।
इसके साथ ही जानकारों की माने तो बिजली विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र, जल कनेक्शन, उद्यम पंजीकरण, भूमि पट्टा या भूमि का स्वामित्व प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत करना पड़ता है। इन सारे प्रमाणपत्रों के लिए साथ ही निगम कार्यालय का भी चक्कर अवश्य लगता है।
